Edited By Manisha rana, Updated: 16 Apr, 2021 10:53 AM
पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने कहा कि सरकार हठधर्मिता और जिद्द छोड़कर किसानों से तुरंत बातचीत करके इन तीनों काले कानूनों के मामले को लेकर समाधान निकालें...
कैथल : पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने कहा कि सरकार हठधर्मिता और जिद्द छोड़कर किसानों से तुरंत बातचीत करके इन तीनों काले कानूनों के मामले को लेकर समाधान निकालें। अपने निवास पर बातचीत करते हुए माजरा ने कहा कि हरियाणा की मंडियों में गेहूं के अंबार लग गए है मंडियों में न तो उठान हो रहा है न ही बारदाना है न ही पेमैंट है। कहते थे 72 घंटे में अदायगी हो जाएगी वो दावा सरकार का फेल हो गया। आज 10 दिन हो गए हैं कोई पेमैंट नहीं आई। उन्होंने डी.ए.पी. के दामों में की गई बढ़ोतरी पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि किसान पहले ही दर्द से तड़प रहा है ये भारी भरकम चोट वो कैसे बर्दाश्त करेगा। किसान देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ है, पता नहीं सरकार उससे कौन सी दुश्मनी निकाल रही है।
सरकार जो सौतेला व्यवहार देश के किसानों के साथ कर रही है वैसा व्यवहार तो कोई दुश्मन के साथ भी नहीं करता। उन्होंने कहा कि देश की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण आज पैट्रोल-डीजल व रसोई गैस के दाम आसमान छू रहे हैं जिस कारण से आम लोगों की रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के साथ-साथ फसलों के लागत मूल्यों में भारी वृद्धि हुई है। सरकार एक तरफ तो किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है और दूसरी ओर कृषि इनपुट जैसे डीजल, कीटनाशक दवाईयां, खाद-बीज और उपकरण इत्यादि की कीमतों में भारी वृद्धि कर दी गई है ऐसे में किसानों की आय दोगुनी कैसे होगी। आज हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि बेतहाशा महंगाई के कारण जरूरत व खाने-पीने की चीजें आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गई हैं।
माजरा ने कहा कि पिछले 139 दिनों से किसान कठिन संघर्ष कर रहे हैं लेकिन सरकार अपने राजहठ पर अड़ी हुई है। सरकार जब एम.एस.पी. था, है और रहेगा की बात कह रही है तो फिर वो एम.एस.पी. की कानूनी गारंटी देने में हिचक क्यों रही है। सरकार के रवैये से स्पष्ट है कि उसकी नीयत साफ नहीं है। पूर्व मुख्य संसदीय सचिव ने कहा कि हर मोर्चे पर विफल बी.जे.पी.-जे.जे.पी. गठबंधन सरकार में शराब, रजिस्ट्री, भर्ती, पेपर लीक, माइनिंग जैसे तमाम घोटालों किए। इस सरकार में न तो किसान को फसलों का दाम मिल रहा है, न युवा को रोजगार, न मजदूर को काम और न कर्मचारी को सम्मान मिल रहा है। सरकार हर वर्ग के अधिकारों के साथ खिलवाड़ करने में लगी है।
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