एशियन गेम्स में पहलवान दीपक पुनिया ने हासिल किया रजत पदक, परिजनों और ग्रामीणों ने मनाई खुशियां
Edited By Ajay Kumar Sharma, Updated: 07 Oct, 2023 06:14 PM

पिछले साल कॉमनवेल्थ गेम्स में कुश्ती के अंदर गोल्ड पर अपना कब्जा जमाने वाले झज्जर के गांव छारा के दीपक पूनिया शनिवार को एशियन गेम्स में आयोजित कुश्ती में 86 भार किलोग्राम वर्ग में अपने प्रतिद्वंदी से पिछड़ कर गोल्ड से चूक गए। उन्हें रजत पदक से ही...
बहादुरगढ़(प्रवीण धनखड़): पिछले साल कॉमनवेल्थ गेम्स में कुश्ती के अंदर गोल्ड पर अपना कब्जा जमाने वाले झज्जर के गांव छारा के दीपक पुनिया शनिवार को एशियन गेम्स में आयोजित कुश्ती में 86 भार किलोग्राम वर्ग में अपने प्रतिद्वंदी से पिछड़ कर गोल्ड से चूक गए। उन्हें रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। दीपक पुनिया के परिजनों व ग्रामीणों के अलावा क्षेत्र के लोगों को उम्मीद थी कि वह इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स की तरह एशियन गेम्स में भी अपने गोल्ड के रुतबे को बरकरार रखेगा, लेकिन वह चूक गए।
पुनिया के घर पर उसके परिजनों के अलावा गांव वाले टीवी सेट पर कुश्ती को मुकाबला देख रहे थे, लेकिन जैसे ही उन्हें दीपक के पिछडने और गोल्ड से चूकने का पता लगा तो उन्हें थोड़ी निराश जरूर हुई,लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत बांधते हुए ओलम्पिक में दीपक पूनिया के गोल्ड जीतने की आस नहीं छोड़ी। रजत पदक जीतने की खुशी में ग्रामीणों ने दीपक के घर पर ही मिठाईयां बांटी और ढोल-नगाड़े के साथ अपनी खुशी जताई। उसके पिता सुभाष पुनिया का कहना था कि बेशक उनका लाड़ला गोल्ड से चूक गया है,लेकिन उन्हें उम्मीद है कि जिस पहलवान से एशियन गेम्स में उसने मात खाई है। उसी पहलवान को वह ओलम्पिक में हरा कर अपनी एशियन कुश्ती का बदला लेगा और गोल्ड हर हाल में जीतेगा।
इस मौके पर दीपक पुनिया के गुरु रहे विरेन्द्र कोच ने भी रजत जीतने पर खुशी जताई। उन्होंने देश के हर युवा से अपील की कि वह कुश्ती को अपने जीवन में अपनाए। उन्होंने कुश्ती को हर खेल की जननी मां बताया। उन्होंने कहा कि देश में जो भी खेल निकला है वह कुश्ती से ही निकला है। उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि जिस देश के पहलवान तगड़े होंगे उस देश का न सिर्फ भविष्य तगड़ा होगा बल्कि सुरक्षित भी होगा।
बता दें कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के हांगझोऊ में जीते गए इस रजत पदक की बदौलत भारतीय पहलवानों ने एशियाई खेल 2023 में कुश्ती में अपना अभियान छह पदकों के साथ समाप्त किया। हांगझोऊ में भारतीय पहलवानों द्वारा जीते गए अन्य सभी पांच पदक कांस्य थे। दीपक पुनिया ने राउंड ऑफ 16 में अपने अभियान की शुरुआत तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर इंडोनेशिया के रैंडा रियानडेस्टा पर शानदार जीत हासिल करते हुए की थी। उन्होंने क्वार्टरफाइनल में जापान के शोता शिराई को 7-3 से हराया और फाइनल में जगह बनाने के लिए बहरीन के मैगोमेद शारापोवा को 4-3 से मात दी।
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