विज की एबीवीपी सदस्य से लेकर सात बार के विधायक बनने तक की कहानी, जानें पूरी स्टोरी

Edited By Yakeen Kumar, Updated: 18 Jan, 2025 08:51 PM

vij s story from being an abvp member to becoming a seven time mla

एबीवीपीए में महासचिव विज्ञान से सात बार के विधायक बने नरेंद्र मोदी और अमित शाह की तरह  अनिल विज उन्हीं की तरह से फैसला ऑन द स्पॉट करने के माहिर हैं। हरियाणा के दमदार मंत्री अनिल विज हरियाणा के उन राजनीतिक लोगों में से एक है

चंडीगढ़ (चन्द्रशेखर धरणी) : 1970 से एबीवीपीए में महासचिव विज्ञान से सात बार के विधायक बने नरेंद्र मोदी और अमित शाह की तरह  अनिल विज उन्हीं की तरह से फैसला ऑन द स्पॉट करने के माहिर हैं। हरियाणा के दमदार मंत्री अनिल विज हरियाणा के उन राजनीतिक लोगों में से एक है, जो अपने संबंधों का ढींढोरा पिटने के आदि नहीं है। 

चार दशक से अधिक लंबी राजनीतिक पारी खेलने वाले अनिल विज भाजपा की हैट्रिक लगने के बाद सत्ता पक्ष में एक मात्र ऐसे विधायक और मंत्री है, जो हरियाणा के बहुत सारे लोग जब उनसे मिलने आते हैं तो उन्हें उनका नाम लेकर संबोधित करते हैं। आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद और जनसंघ की पृष्ठभूमि से जुड़े अनिल विज ने भाजपा की राजनीति की बहुत सारे उतार-चढ़ाव देखे हैं। हरियाणा की विधानसभा में जब भाजपा के दो व चार विधायक हुआ करते थे, उस समय भी अनिल विज विधायक थे और विपक्ष के विधायक के रूप में सदन के भीतर इनकी आक्रामक भूमिका सबने देखी है। 

देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दिशा-निर्देश और मार्गदर्शन में भारतीय जनता पार्टी नए आयाम स्थापित कर रही है। उनके नेतृत्व और दिखाए गए मार्ग पर चलते हुए हरियाणा के राजनेताओं में दबंग छवि रखने वाले अनिल विज बिना किसी रुकावट और बेबाकी के साथ अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। इसके लिए अनिल विज समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  और बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर उनका मार्गदर्शन भी हासिल करते रहते हैं। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के विश्वस्त नेताओं में शामिल अनिल विज उन्हीं की तरह से फैसला ऑन द स्पॉट करने के आदि है। 

विधानसभा चुनाव या फिर उससे इतर जब भी मोदी और शाह हरियाणा में आए, अनिल विज के साथ उनकी मुलाकात एक अलग ही अंदाज में हुई। हरियाणा के गृह और स्वास्थ्य विभाग में कई प्रकार के परिवर्तन कर उन्हें आधुनिक बनाने के बाद अब अनिल विज को परिवहन, श्रम और बिजली विभाग मिले हैं। विभाग मिलने  के तुरंत बाद से ही विज उनके सुधारीकरण  में  जुटे हुए हैं। विज का मानना है  कि विभाग चाहे कोई भी हो, लेकिन वहां  पर  जनता को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। 

विधानसभा चुनाव में किया था नया प्रयोग

खुद को मिलने वाले विभागों में नए-नए प्रयोग करने वाले अनिल विज ने इस बार अपने चुनाव में भी नया प्रयोग किया। खुद अनिल विज ने कहा कि “मैनें अम्बाला छावनी में कराए गए विकास के मुद्दे पर विधानसभा चुनाव लड़ा और चुनाव प्रचार के दौरान किसी सभा, मीटिंग व भाषण में मैनें कोई राष्ट्रीय या प्रदेशस्तरीय मुद्दा नहीं उठाया और मैंने चुनाव प्रचार में हर जगह विकास की बात कही”। विज ने कहा कि मैं देखना चाहता था कि मेरी विधानसभा में काम करने की कितनी कद्र है। मैनें चुनाव में कोई राष्ट्रीय नेता नहीं बुलाया जबकि कई स्थानों पर राष्ट्रीय नेता चुनाव प्रचार के लिए तीन-तीन बार आए। इस बार नीतिगत तरीके से मैनें चुनाव लड़ा व चुनाव में स्थानीय मुद्दों को ही घोषणापत्र में उठाया। मुझे अम्बाला छावनी में करवाए गए विकास कार्यों पर पूरा भरोसा था और मैंने कभी भी जाति-पाति की राजनीति नहीं की जबकि उनके विरोधी यह कर रहे थे। 

उन्होंने कहा कि “मैनें पहले सोच लिया था कि मैं जो दिन-रात काम करने के लिए मर रहा हूं मैं देखू कि मेरे मरने की यह शहर कीमत पाता है या नहीं। हो सकता है कि इस चुनाव में इस वजह से मैं हार भी जाता, लेकिन यह जानना बहुत जरूरी था। मैनें कोरे काम के सिर पर चुनाव लड़ा, एक पेड वर्कर तक मेरे पास नहीं था। सारे हिंदुस्तान में मैं चैलेंज करके कह सकता हूं कि ऐसा चुनाव कहीं नहीं लड़ा गया होगा और मैनें बहुत आराम से योजनाबद्ध तरीके से चुनाव लड़ा।

छात्र राजनीति से की शुरूआत

15 मार्च 1953 को जन्मे अनिल विज राजनीति में आने से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा में थे। अनिल विज ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जरिए छात्र राजनीति में कदम रखा। वह एसडी कॉलेज, अंबाला कैंट में पढ़ते हुए राजनीति में एक्टिव रहे। 1970 में एबीवीपी ने अनिल विज को महासचिव बनाया। अनिल विज ने विश्व हिंदू परिषद, भारत विकास परिषद बीएमएस और ऐसे अन्य संगठनों के साथ सक्रिय रूप से काम किया। अनिल विज 1974 में भारतीय स्टेट बैंक में नौकरी करने लगे लेकिन बीजेपी से जुड़े रहे।

सुषमा स्वराज की जगह लड़े उपचुनाव

1990 में जब सुषमा स्वराज राज्यसभा के लिए चुनी गईं तो अंबाला छावनी की सीट खाली हो गई। अनिल विज ने बैंक की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और सुषमा स्वराज की सीट से उपचुनाव लड़े। अनिल विज यह उपचुनाव जीत गए। करीब 34 साल पहले 27 मई 1990 को तत्कालीन सातवीं हरियाणा विधानसभा में दो रिक्त हुई सीटों पर उपचुनाव हुए थे। उस समय ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री हुआ करते थे। तब दडवा कला हलके से जनता दल की टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और अंबाला कैंट से अनिल कुमार विज विधायक निर्वाचित हुए थे। तब अनिल विज की आयु 37 वर्ष की थी। बैंक की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए अनिल विज 2019 में हुए 14वीं विधानसभा के चुनाव में लगातार तीसरी बार और कुल छठी बार अंबाला छावनी से चुनाव जीते थे। 

नहीं छूटा बीजेपी प्रेम

अनिल विज एक अप्रैल 1996 तथा फऱवरी 2000 में हुए दो विधानसभा चुनावों में निर्दलीय के रूप में अंबाला कैंट से विधायक बने। 2005 में विधानसभा के आम चुनाव में अनिल विज 615 वोट से अपनी हैट्रिक बनाने से चूक गए। 2007 में उन्होंने विकास परिषद के नाम से अपनी एक अलग राजनीतिक पार्टी भारतीय चुनाव आयोग से पंजीकृत करवाई। 2009 में हरियाणा विधानसभा के आम चुनाव से पहले भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा उन पर फिर से भरोसा जताया गया और उन्हें भाजपा की टिकट दी गई। विज 2009, 2014, 2019 में लगातार तीन बार विधायक बने और अपनी हैट्रिक लगाई। अब 2024 में विज ने अंबाला कैंट से लगातार चौथी बार और कुल सातवीं बार जीत दर्ज की है।

बंसीलाल-चौटाला के मंत्री के ऑफर को भी ठुकरा चुके हैं विज

अनिल विज अंबाला कैंट विधानसभा से सातवीं बार विधायक चुने गए हैं। वह पिछले 11 साल से हरियाणा की बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री है। अनिल विज अपने सक्रिय राजनीतिक जीवन में भाजपा के अलावा कभी किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल नहीं हुए। 1996 में बंसीलाल जब हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, उनके द्वारा मंत्री बनाए जाने के ऑफर को भी विज ने ठुकरा दिया था और सन 2000 में ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व में प्रदेश में इनेलो की सरकार थी, चौटाला ने पार्टी के दो दिग्गज पंजाबी नेताओं अशोक अरोड़ा और ओमप्रकाश महाजन की जिम्मेदारी अनिल विज को पार्टी ज्वाइन करने के लिए मनाने को दी थी। मनाए जाने पर इनाम के रूप में ना केवल अनिल विज को बल्कि ओपी महाजन को भी मंत्री बनाया जाना था। इस कोशिश में महाजन 2 दिन तक विज के निवास पर डटे रहे, लेकिन उस समय भी उनके पथ- सोच और विचारधारा से अलग नहीं कर पाए।

सबने देखा था मोदी और विज का लगाव

अनिल विज भाजपा सरकार में 2014 में, 2019 में व अब 2024 में कैबिनेट मंत्री के पद पर हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनिल विज का सामन्जसय कोई नया नहीं है। लाल चौक कश्मीर में जब भाजपा के तत्कालीन नेता तिरंगा झंडा लहराने के लिए जा रहे थे, उस यात्रा में नरेंद्र मोदी के साथ अनिल विज का लगाव सबने देखा था। इसी प्रकार से हरियाणा की 15वीं विधानसभा के गठन से पूर्व मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में भी अनिल विज किस गर्मजोशी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे, उसे भी सबने देखा था। शपथ ग्रहण के बाद वासपी में मंच पर मौजूद नेताओं के अभिवादन करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पहुंचते ही विज ने उनसे हाथ मिलाया। इस दौरान दोनों नेताओं में थोड़ी सी बात भी हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी भी मुस्कुराते हुए नजर आए थे।


 

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