हौसले को सलाम: 5वीं पास महिला आज है 2 करोड़ की फैक्ट्री का मालकिन(VIDEO)

Edited By Isha, Updated: 02 Jan, 2020 04:34 PM

मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है। इस वाक्य पर पुरी तरह से सही साबित कर रही है। महेन्द्रगढ़ के बवानिया गांव की एक महिला बनारसी देवी जो कि पांचवी पास

महेंद्रगढ़(प्रदीप बालरोडिया)- मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है। इस वाक्य पर पुरी तरह से सही साबित कर रही है। महेन्द्रगढ़ के बवानिया गांव की एक महिला बनारसी देवी जो कि पांचवी पास है और बीपीएल कार्ड धारक थी लेकिन हौसलों और जज्बातों को मजबूत रखते हुए अपने साथ-साथ हज़ारों महिलाओं को प्रगति के पथ पर पहुचाते हुए आज एक अचार फैक्टरी की मालिक बन चुकी है जो कि इस तरह की अपने आप मे पूरे हरियाणा की पहली प्रगतिशील महिला है। 

बस 5वीं तक की है पढ़ाई
महेन्द्रगढ़ उपमंडल के माजरा कलां के सोहन लाल के घर जन्मी बनारसी देवी ने पांचवी तक कि पढ़ाई की फिर उसकी शादी बवानिया गांव में राजेंद्र सिंह के साथ हुई। सन 2000 के दिसंबर माह में बीडीपीओ कार्यालय में संजीवनी व आंगनवाड़ी का एक सेमिनार था जिसमे कई महिलाओं के साथ बनारसी देवी भी वंहा गई। उसमे स्वयं सहायता समूह के बारे में महिलाओं को जानकारी दी गई थी जिसमे किसी और ने कोई जानकारी अर्जित की या नही की बनारसी ने इस जानकारी को ठीक से समझा की किस प्रकार से महिलाओं को आगे बढ़ने के लिये लोन मिलते है। उसने उस जानकारी के आधार अपने ही गांव में अपने लेवल पर अलग महिलाओं के सात ग्रुप बनाये। फिर इन ग्रुपों को लोन के माध्यम से मदद करवाई और अलग-अलग उनको कार्य करवाये। इसमे उसने सबसे पहले खुद भी इस सहयोग से अपने घर पर सिलाई कड़ाई का कार्य शुरू किया। अपने पति को किराना की दुकान खुलवाई।

2225 महिलाओं को जोड़ कर बनाए 150 ग्रूप
उनकी इस सफलता पर जिला उपायुक्त ने सन 2001 में उसको एक प्रोत्साहित पत्र दिया और लिखा कि आप पूरे जिले में महिलाओं के उत्थान के लिये समूह बना सकती है। इस पर उसने निरंतर कार्य करते हुए 2225 महिलाओं को जोड़ कर 150 ग्रूप बनाये। इस कार्य मे उसे एक ग्रुप बनाने पर सरकार की तरफ से तीन हज़ार की प्रोत्साहन राशी मिलने लगी। लगातार इस तरह उसने छह साल कार्य किया। उसके बाद 2006 से उसने केवल अपने लिये ही कार्य करना शुरू कर दिया। 

आज है अचार फॅक्टरी की मालकिन
2012 कृषि विज्ञान केंद्र व बागवानी से जुड़ी जिसके अंदर करनाल में जाकर उसने आचार बनाने की ट्रेनिंग ली। उसके बाद उसने अपने घर पर ही अचार का उत्पादन शुरू किया। जंहा पर भी कृषि विज्ञान से संबंधित प्रदर्शनी लगती ये वही पर अपनी अचार की स्टाल लगाती  जिसमे 2017 में गोवा में आयोजित सरस मेले में स्टाल लगाई जिसमे इनके अचार की बहुत अधिक डिमांड हुई। फिर 2018 में सूरज कुंड के अंतरास्ट्रीय मेले में भी स्टाल लगाई। उनकी इसी मेहनत व लग्न को देखते हुए बागवानी विभाग ने उसको बड़े स्तर पर अचार की फैक्ट्री लगाने का प्रपोजल दिया है जिसमे लगभग दो करोड़ का प्रोजेक्ट है इसमें इस प्रगतिशील महिला को केवल 10 प्रतिशत ही देना होंगा बाकी के 90 प्रतिशत की सरकार की तरफ से सब्सिडी मिलेगी। अब देखते ही देखते एक बीपीएल परिवार की महिला करोड़ो रूपये की लागत से तैयार अचार फॅक्टरी की मालिक होंगी। इस फैक्ट्री में 150 से ज्यादा केवल महिलाओं को कार्य करने पर लगाया जायेगा। 

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