Jind में बंदरों का आतंक, बच्चों व बुजुर्गों का घर से बाहर निकलना हुआ मुश्किल

Edited By Manisha rana, Updated: 27 Nov, 2024 12:34 PM

terror of monkeys in jind

गलियों में घूम रहे बंदरों के झुंडों से उचाना के अंदर दहशत फैली हुई है। बंदरों के डर के कारण घरों से बुजुर्गों और बच्चों ने निकलना भी बंद कर दिया है।

उचाना/जींद (अमनदीप पिलानिया) : गलियों में घूम रहे बंदरों के झुंडों से उचाना के अंदर दहशत फैली हुई है। बंदरों के डर के कारण घरों से बुजुर्गों और बच्चों ने निकलना भी बंद कर दिया है। बंदर बुजुर्गों बच्चों पर हमला कर घायल कर रहे हैं तो वहीं गलियों से सामान लेकर जाते हुए लोगों का सामान छीन रहे हैं। ऐसे में उचाना वासियों ने प्रशासन से बंदरों को पकड़ने की गुहार लगाई है।

उचाना शहर के लोगों ने करोड़ों रुपए खर्च कर घरों पर बंदरजाल लगवाए हैं। निरंतर शहर में बंदरों का आतंक बढ़ रहा है। लोग बंदरों से बचने के लिए मकान के आगे बंदरजाल लगवा रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार उचाना में लगभग सभी घरों पर लोहे की जाल लगे हुए हैं। एक बंदरजाल बनवाने पर 30000 से 50000 रुपए का खर्च आता है। बंदरों के आतंक से छुटकारा पाने के लिए निरंतर लोग प्रशासन से मांग करते आ रहे हैं।

अस्पताल में बंदरों के काटने से  5 से 7 मरीज दाखिल होते हैं रोजाना 

बीते दिनों नगर पालिका द्वारा बंदरों को पकड़ने के लिए ठेका दिया गया था। वह कार्य कुछ ही दिन चला लेकिन बाद में बंद हो गया। बंदरों के आतंक के डर से गली में बच्चे व बुजुर्ग निकलने से भी डरते हैं। उचाना के सिविल अस्पताल में रोजाना बंदरों के काटे हुए 5 से 7 मरीज दाखिल होते हैं।

बंदरों की समस्याओं से निपटने के लिए जब नगर पालिका सचिव विक्रमजीत से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि इस बारे में जिला नगर आयुक्त से बात हुई थी और बंदरों को पकड़ने के लिए पहले भी काम दिया गया था लेकिन उस एजेंसी ने सही तरीके से अपना काम नहीं किया। अब नगर पालिका उचाना द्वारा नया टेंडर लगाकर आगे की कार्रवाई की जाएगी । 10 से 15 दिनों में नगरपालिका द्वारा नया टेंडर बंदरों को पकड़ने के लिए लगा दिया जाएगा।

उचाना सिविल अस्पताल केडॉक्टर योगेश ने बताया कि उचाना में लगातार कुत्तों और बंदरों के कांटे जाने के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। वही कुत्तों में बंदरों के काटने से रेबीज का खतरा भी बढ़ रहा है। किसी भी मरीज को किसी कुत्ते, बंदर या बिल्ली द्वारा काटा जाता है तो 24 घंटे के भीतर पहला इंजेक्शन लगाया जाता है ।रेबीज के चार स्टेज होते हैं यह किसी भी जानवर द्वारा काटे जाने पर निर्धारित किया जाता है।

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