साइबर खतरे से बचने के लिए लोग करवा रहे बीमा, कोरोना में डिजीटल लेने-देने से बढ़ रहा क्राइम

Edited By Manisha rana, Updated: 09 Sep, 2020 12:13 PM

people are getting insurance to avoid cyber threat

कोरोना के कारण लॉकडाउन अवधि के दौरान जहां डिजीटल लेन-देन बढ़ा है वहीं साइबर क्राइम में भी लगातार इजाफा हो रहा है। तमाम प्रयासों के बावजूद...

फरीदाबाद (पूजा शर्मा) : कोरोना के कारण लॉकडाउन अवधि के दौरान जहां डिजीटल लेन-देन बढ़ा है वहीं साइबर क्राइम में भी लगातार इजाफा हो रहा है। तमाम प्रयासों के बावजूद पुलिस साइबर अपराध रोकने में नाकाम साबित हो रही है। ऐसे में अब लोग साइबर खतरे से बचने के लिए साइबर बीमा का सहारा ले रहे हैं। साइबर क्राइम करने वाले लोगों की नजर सबसे अधिक युवाओं व बुजुर्गों पर रहती है। ऐसे में साइबर बीमा साइबर खतरे से बचने का बेहतर विकल्प साबित हो रहा है। 

कोरोना काल में  पर्सनल कंप्यूटर और डिजिटल डिवाइस पर इंटरनेट की खपत में वृद्धि हुई है। इस प्रकार, अधिक से अधिक लोगों को अब साइबर रिस्क के चपेट में आने की संभावना बढ़ गई है। लॉकडाउन के बाद, अधिक से अधिक लोग अब भुगतान के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं। कोरोना के चलते सोशल डिस्टेंसिंग के साथ, नकदी से पेमेंट का आदान-प्रदान और भी कम हो गया है, साथ ही साथ, भुगतान के ऑनलाइन तरीके अब बहुत बड़ी भमिका निभा रहे हैं। जिससे साइबर खतरे का एक्सपोजर बढ़ गया है।

फरीदाबाद में भी ऐसे अनेक मामले थाने-चौकियों में लोग लेकर आ रहे हैं जहां पेटीएम, ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स के अलावा, फोन कॉल के जरिए लोगों के खाते खाली किए जा रहे हैं। पुलिस इस मामले में बेबस साबित होती है और लोगों से यही कहा जा रहा है कि यदि वे धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं तो साइबर सैल में अपनी शिकायत करें और साइबर सैल कहता है कि ठगी करने वाले लोगों को ट्रेस करना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में अब लोगों ने साइबर बीमा का सहारा लेना शुरु कर दिया है।

युवा व बुजुर्ग निशाने पर
लॉकडाउन में इंटरनेट के उपयोग से खासकर नए यूजर्स, बुजुर्गों या तकनीक की कम जानकारी रखने वालों के लिए खतरा ज्यादा बढ़ गया है। इसके साथ ही साथ खुद को शिक्षित करने और मनोरंजन के लिए अब ज्यादा से ज्यादा लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आने लगे हैं। ज्यादा से ज्यादा वक्त इंटरनेट पर बिताने लगे हैं। इसके कारण साइबर हमलों की बढ़ती घटनाओं जैसे स्पाईवेयर और रैनसमवेयर, फिशिंग ईमेल, साइबर स्टॉकिंग आदि सहित मैलवेयर हमलों को भी देखा जा रहा है।

इसके अलावा फिशिंग स्पीयर, फिशिंग और स्पूफिंग साइबर अपराधियों के लिए कुछ आजमाए हुए तरीके हैं, जिसमें धोखाधड़ी करने वाले लोग विश्वसनीय कंपनियों का ओरिजनल सा दिखने वाला पेज या ईमेल का उपयोग करते हैं। यूजर्स को उनकी व्यक्तिगत जानकारी देने जैसे कि उनकी लॉग-इन के्रंडेशियल्स, क्रेडिट कार्ड, बैंक खाते का विवरण आदि मांगते हैं और जानकारी मिलते ही साइबर ठगी को अंजाम दे जाते हैं।

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