वर्षों से लंबित है में सूरत नगर व लक्ष्मण विहार में सामुदायिक भवनों का निर्माण

Edited By Shivam, Updated: 05 Mar, 2019 01:11 PM

negligence in gurguram

नगर निगम की लापरवाही शहर के विकास पर भारी पड़ रही है। रुटीन के तहत होने वाले विकास कार्यों में विलंब तो किया ही जा रहा है, मुख्यमंत्री की विकास घोषणाएं भी लंबित पड़ी हैं। अब प्रदेश सरकार का कार्यकाल अंतिम दौर में चल रहा है और लोकसभा चुनाव की अचार...

गुडग़ांव (मनोज): नगर निगम की लापरवाही शहर के विकास पर भारी पड़ रही है। रुटीन के तहत होने वाले विकास कार्यों में विलंब तो किया ही जा रहा है, मुख्यमंत्री की विकास घोषणाएं भी लंबित पड़ी हैं। अब प्रदेश सरकार का कार्यकाल अंतिम दौर में चल रहा है और लोकसभा चुनाव की अचार संहिता भी शीघ्र लागू होने वाली है। इसको लेकर जागरूक नागरिकों द्वारा कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर शीघ्र ही इन घोषणाओं को पूरा करने का प्रयास नहीं किया गया तो इस कार्यकाल में इन विकास कार्यों का होना काफी मुश्किल होगा। वार्ड 10 अन्तर्गत लक्ष्मण विहार में पंजीरी प्लांट पर प्रस्तावित सामुदायिक भवन निर्माण की घोषणा करीब साढ़े तीन वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री ने की थी लेकिन अब तक निर्माण कार्य लंबित है।

इसके पीछे कारण यह है कि जिस पंजीरी प्लांट पर सामुदायिक भवन का निर्माण कराना है वह जमीन समाज कल्याण विभाग की है। इस जमीन को नगर निगम को हस्तांतरित किए जाने के बाद निर्माण कार्य शुरु हो सकेगा लेकिन इसके लिए पूर्ण प्रयास नहीं किया जा रहा है। उधर सूरतनगर में भी सामुदायिक भवन का निर्माण लंबित पड़ा है। सूरतनगर स्थित धनवापुर की एक एकड़ नगर निगम की जमीन पर सामुदायिक भवन और छठ घाट का निर्माण कराए जाने की मांग वहां के नागरिकों द्वारा 2016 में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह से की गई थी। 

नागरिकों द्वारा मांग पत्र सौंपे जाने के बाद मंत्री ने उसी समय अधिकारियों को निर्माण के संबंध में कार्यवाही आगे बढ़ाने का आदेश दिया लेकिन अब तक निर्माण नहीं शुरु हो सका। इसके अलावा भी कई विकास घोषणाएं लंबित पड़ी हैं और इसके पीछे प्रशासनिक लापरवाही सामने आ रही है। 

भवनों के अभाव में दुर्दशा झेल रहे नागरिक 
वार्ड 10 अन्तर्गत लक्ष्मण विहार, भीमगढख़ेड़ी सहित अन्य क्षेत्रों की काफी आबादी के लिए कोई सामुदायिक भवन नहीं है। इन इलाकों में सर्वाधिक लोग आर्थिक रुप से कमजोर तबके के हैं। इसके कारण शादी आदि समारोहों के लिए वे बहुत अधिक पैसा खर्च कर कहीं अन्यत्र आयोजनों को नहीं करा सकते और इसके लिए उन्हें घोर परेशानियों का सामना करना पउ़ता है। यही स्थिति सूरतनगर में प्रस्तावित सामुदायिक भवन की है। पार्षदों द्वारा नगर निगम के समक्ष इन बातों को प्रमुखता से रखा जा रहा है फिर भी निर्माण में लापरवाही की जा रही है।

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