ईटेंडरिंग के बाद घोटाला नहीं होगा, क्या सरकार इसकी गारंटी लेगी : नीरज शर्मा

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 02 Mar, 2023 08:16 PM

neeraj sharma attacked bjp on sarpamch lathicharge issue

पंचकूला में सरपंचों पर हुए लाठीचार्ज का कड़ा विरोध करते हुए फरीदाबाद विधायक नीरज शर्मा ने इसे बेहद दुखदाई बताया है...

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी) : पंचकूला में सरपंचों पर हुए लाठीचार्ज का कड़ा विरोध करते हुए फरीदाबाद विधायक नीरज शर्मा ने इसे बेहद दुखदाई बताया है। उन्होंने कहा दो साल तक चुनाव नहीं करवाने के कारण लोग गांवों में दयनीय स्थिति में रहने को मजबूर हैं। चुनी हुई गांव की सरकार- चुने हुए प्रतिनिधि पर इस प्रकार से शक करना और उन्हें प्रताड़ित करना हरियाणा सरकार और हरियाणा पुलिस के लिए बेहद बेशर्मी की बात होनी चाहिए। निहत्थे सरपंच बिना कोई हिंसक काम किए अपनी बात उठा रहे थे और लोकतंत्र इसकी इजाजत देता है। ई-टेंडरिंग करने वाली सरकार बताएं कि पहले जिन विभागों में ई-टेंडरिंग लागू है क्या उनमें घोटाले नहीं होते ? क्या सरकार ई-टेंडरिंग के बाद इसकी गारंटी लेगी ? क्या नगर निगम में 200 करोड़ का घोटाला बिना ई-टेंडरिंग के हुआ ? क्या पूजा शर्मा के खिलाफ बिना ई-टेंडरिंग के मामले में दो-दो एफआईआर दर्ज हुई ? लोकल बॉडी विभाग में ई-टेंडरिंग के कारण रोजाना घपले हो रहे हैं ? 24 कैरेट का सोना ई-टेंडरिंग को मानने वाली सरकार बहुमत के आधार पर चुने जाने वाले जनता के प्रतिनिधि की बात सुनने को क्यों तैयार नहीं है। अगर कोई सरपंच-पंच या पंचायत गलत काम करे तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इस प्रकार से सरपंचों पर अत्याचार बेहद निंदनीय है।

ई-टेडरिंग की शर्त विधायकों-सांसदों पर क्यों नहीं

जेजेपी सुप्रीमो अजय सिंह चौटाला पर पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली की टिप्पणी को लेकर नीरज शर्मा ने संगठन को पार्टी की मां बताते हुए कहा कि संगठन से सरकार बनती है। बिना संगठन के कुछ भी नहीं होता। संगठन सर्वोपरि है। पार्टी के प्रोग्राम में मुख्यमंत्री से अधिक वैल्यू प्रदेश अध्यक्ष को दिए जाने का कारण यही है। इसलिए संगठन के विषय में इस प्रकार के शब्दों का इस्तेमाल करने से मैं सहमत नहीं हूं। यह बात गलत है। सरकार भी जनता की नुमाइंदगी के लिए होती है और पंच-सरपंच जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं। आखिर यह सरकार अपनी हर शर्त सरपंचों पर क्यों थोप रही है। पढ़ाई की शर्त एमएलए-एमपी पर क्यों नहीं। अब ई-टेंडरिंग की शर्त भी सरपंचों पर। क्योंकि ग्रामीण आँचल में भाजपा का जनाधार बिल्कुल नहीं है। इसके साथ इनका गठबंधन भी सही नहीं चल पाने तथा आपस में अच्छा तालमेल ना होने का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। अपने नए-नए प्रयोगों से यह लोग ग्रामीण आँचल को बर्बाद करने में लगे हुए हैं। सरकार 2 लाख की शर्त लगाकर यह कहना चाह रही है कि छोटी चोरी बेशक कर लो लेकिन बड़ी चोरी मत करने दो। चुनी हुई संस्था पंचायती राज को मजबूत करने सरपंचों को अधिक अधिकार देने और अर्थव्यवस्था को कैसे मजबूत किया जाए, इस ओर ध्यान देने की बजाय गांवों की सरकार को कमजोर करने की सोच के साथ  लाठी-डंडों से इनकी पिटाई कर रही है, जिसकी हम कड़ी निंदा करते हैं।

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