गुमशुदा की परिजनों ने भी छोड़ दी थी मिलने की आस, नर्स ने कायम की मानवता की मिशाल

Edited By Isha, Updated: 13 Jan, 2020 09:46 AM

missing relatives had also hope meet nurse became an example of humanity

नर्सिंग की शिक्षा से मानवता की सेवा, भाव का जज्बा अम्बाला छावनी की नॄसग स्टाफ मनप्रीत कौर में ऐसा पैदा हुआ कि अपनी नौकरी लगने के बाद से ही वह मरीजों की सेवा में दिन-रात लग गई........

अम्बाला छावनी (जतिन) : नर्सिंग की शिक्षा से मानवता की सेवा, भाव का जज्बा अम्बाला छावनी की नर्सिंग स्टाफ मनप्रीत कौर में ऐसा पैदा हुआ कि अपनी नौकरी लगने के बाद से ही वह मरीजों की सेवा में दिन-रात लग गई, लेकिन इस सेवा में स्टार्फ नर्स ने उन मरीजों को बेहतर बनाने की ठानी जिन्हें हर कोई अनजान बताकर आगे बढ़ जाता है। 

स्टाफ नर्स ने ऐसे ही 3 अनजान मरीजों को न केवल बिल्कुल दुरुस्त किया बल्कि अपने स्तर पर गूगल की मदद से उन चारों को उनके घर तक परिवार को सौंपने का बीड़ा भी उठाकर मानवता की मिसाल पेश की। स्टाफ नर्स की मानें तो वह अभी भी वार्ड में जाकर पूछती है कि कोई और अनजान मरीज तो भर्ती नहीं है? और अगर ऐसा कोई मरीज भर्ती होता है तो वह उनकी सेवा में लग जाती है।

जींद थाने में जुटाई बुजुर्ग बारे जानकारी 
हरियाणा के जींद निवासी बुजुर्ग को जब कैंट के नागरिक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था तो वह फेफड़ों की गम्भीर बीमारी से ग्रस्त था। किसी संस्था के सदस्यों ने एमरजैंसी वार्ड में बुजुर्ग को भर्ती करवाया था, जहां से उसे सर्जिकल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। जब नर्सिंग स्टाफ मनप्रीत कौर ने वार्ड में ड्यूटी के दौरान हर बैड पर जाकर मरीजों की उपचार देना शुरू किया तो उनकी नजर बुजुर्ग पर पड़ी।

बुजुर्ग को दवाई देने के बाद लगभग 3 दिन तक रोज बुजुर्ग का हाल-चाल और परिवार के बारे में पूछना शुरू किया लेकिन बुजुर्ग कुछ बताने की बजाय रोना शुरू कर देते थे। कई दिन बीत जाने के बाद एक दिन फिर जब बुजुर्ग से बात की तो उन्होंने कुछ बताने से खुद को असमर्थ बताया। सिर्फ बताया कि वह टेलर का काम किया करते थे और दिमागी परेशानी के कारण घर से निकल आए थे लेकिन फिर वापस जाना भी चाहा लेकिन घर का पता ही याद नहीं रहा। बुजुर्ग को सिर्फ इतना पता था कि वह जींद के है।

जिसके बाद स्टाफ मनप्रीत ने अपने स्तर पर गूगल की मदद से जींद थाने में बुजुर्ग के बारे में जानकारी जुटाई और 2 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद बुजुर्ग के परिजनों तक वह पहुंच पाई। बुजुर्ग का परिवार तभी जींद से अम्बाला के लिए निकला और अम्बाला पहुंचने के बाद वह बुजुर्ग को अपने साथ ले गए। परिजनों ने बताया कि करीब 15 साल पहले वह लापता हो गए थे। बुजुर्ग के एक बेटी और एक बेटा है। बेटा नेवी में कार्यरत है। बुजुर्ग के मिलने के बाद परिवार ने बताया कि हमने हर जगह तलाश की लेकिन जब वह कहीं नहीं मिले तो हमने तो उनके मिलने की उम्मीद ही छोड़ दी थी।

 

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