नाबालिग किशोरी के अपहरण का मामला: आरोपियों की गिरफ्तारी के नाम पर 17 दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली

Edited By Manisha rana, Updated: 25 Dec, 2024 10:26 AM

minor girl kidnapping case

सेवा सुरक्षा ओर सहयोग का दावा करने वाली हरियाणा की भोंडसी थाना पुलिस इन दिनों पुलिस के इस दावे को खोखला करने में जुटी हुई है, जिसके चलते लोगों का विश्वास पुलिस से उठता जा रहा है।

सोहना (सतीश कुमार) : सेवा सुरक्षा ओर सहयोग का दावा करने वाली हरियाणा की भोंडसी थाना पुलिस इन दिनों पुलिस के इस दावे को खोखला करने में जुटी हुई है, जिसके चलते लोगों का विश्वास पुलिस से उठता जा रहा है।

दरअसल हम बात कर रहे है उस पीड़ित परिवार की जो 17 दिनों से कभी पुलिस थाना तो कभी एसीपी ऑफिस के चक्कर काट रहा है,लेकिन उनको वहां से दुदकार कर भगा दिया जाता है। इतना ही नहीं पहले तो पुलिस एक सप्ताह तक सीमा विवाद में उलझी रही लेकिन जब पीड़ितों ने एसीपी ऑफिस का दरवाजा खटखटाया तो भोंडसी थाना पुलिस द्वारा पीड़ितों को बुलाया गया जहां पर पुलिस ने उस शिकायत पर कार्यवाही नहीं की जो पीड़ितों द्वारा एसीपी ऑफिस में दी गई थी बल्कि पुलिस ने पीड़िता को धमका कर अपनी मर्जी से शिकायत लिखवाई और हल्की धाराएं लगा कर अपना पल्ला झाड़ लिया। जब पीड़ित आरोपियों को गिरफ्तार करने की बात  बोलते है तो जांच अधिकारी द्वारा उनको डराया और धमकाया जाता है।

जानें क्या है पूरा मामला

बता दें कि 7 दिसंबर को दो बहनें सोहना से ऑटो में बैठकर अपने घर जा रही थी। जैसे ही वह धुनेला बस स्टैंड पर ऑटो से आकर उतरी तभी वहां पर एक टैक्सी आकर रुकी, जिस कार में एक महिला सहित चार लोग सवार थे जिन्होंने बड़ी बहन से आकर कहा कि आपकी छोटी बहन ने किसी व्यक्ति से 50 हजार रुपये ले रखे है और वह व्यक्ति घामडोज टोल प्लाजा पर है। हम आपकी बहन को उसके पास लेकर जा रहे है। तभी बड़ी बहन भी छोटी बहन के साथ गाड़ी में बैठ गई। 

छोटी नाबालिग बहन को लेकर भाग गए कार सवार 

टोल प्लाजा पर पहुंचने के बाद कार सवार लोगों ने कहा कि आप पानी लेकर आओ। वह व्यक्ति आने वाला है, जिसके पैसे है। जैसे ही बड़ी बहन पानी लेने के लिए गई, वैसे ही कार सवार उसकी छोटी नाबालिग बहन को लेकर भाग गए। जिसकी सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दी। मौके पर पहुंचीं पुलिस ने पीड़िता को कार्यवाही कराने के लिए भौंडसी थाना भेज दिया था लेकिन भोंडसी थाना पुलिस ने उसे सोहना थाना का मामला बताते हुए सोहना भेज दिया। यानी कि पीड़ित परिवार पांच दिनों तक दोनों पुलिस थानों के चक्कर काटता रहा।लेकिन किसी ने भी कार्यवाही नहीं की। उसके बाद पीड़ित एसीपी ऑफिस पहुंचे, जिसके बाद पुलिस ने अपनी मर्जी से शिकायत लिखवा कर आधा अधूरा मुकदमा दर्ज कर खाना पूर्ति की है।

अगर हम किसोरी की माँ की मानें तो जो लोग उनकी बेटी को लेकर गए है वह सपा चलाने का काम करते है। जो कि लड़कियों से गलत काम कराते है। उनकी बेटी को पहले भी दो बार बहला फुसला कर इन्हीं लोगों द्वारा ले जाया गया था। जिनमें एक मुस्लिम युवक भी है, उनको घर पर लड़की के पर्स में कुछ फोटो मिले है जिन फोटो में मुस्लिम युवक उनकी नाबालिग बेटी से शादी कर रहा है, लेकिन पुलिस ना तो आरोपियो के फोन ट्रेस कर रही है और ना ही उनके चंगुल से उनकी बेटी को छुड़ा कर लेकर आ रही है। जांच अधिकारी की आरोपियों से फोन पर खूब बातें हो रही है और आरोपियों के फोन भी धड़ल्ले से चल रहे है। अब इसे पुलिस की लापरवाही कहे या फिर आरोपियों के साथ मिलीभगत कहे। अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला के उच्च पुलिस अधिकारियों द्वारा इस मामले को लेकर लापरवाह कर्मियों के खिलाफ क्या कार्यवाही अमल में लाई जाती है और आरोपियों के कब्जे से नाबालिग किशोरी को कब तक छुड़ा कर लाया जाता है।

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