Edited By Isha, Updated: 30 May, 2025 12:28 PM

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अब पुराने, कटे-फटे और चलन से बाहर हो चुके नोटों को केवल नष्ट करने तक सीमित नहीं रखेगा। अपनी हालिया वार्षिक रिपोर्ट में RBI ने संकेत दिया है कि इन नोटों का इस्तेमाल अब लकड़ी
डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अब पुराने, कटे-फटे और चलन से बाहर हो चुके नोटों को केवल नष्ट करने तक सीमित नहीं रखेगा। अपनी हालिया वार्षिक रिपोर्ट में RBI ने संकेत दिया है कि इन नोटों का इस्तेमाल अब लकड़ी के बोर्ड (पार्टिकल बोर्ड) बनाने जैसे पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों में किया जाएगा, जिससे कुर्सियां, टेबल और अन्य फर्नीचर तैयार किए जा सकेंगे। यह पहल न सिर्फ कचरे को घटाएगी, बल्कि सतत विकास की दिशा में एक नया कदम भी साबित होगी।
रिजर्व बैंक के पास हर साल 15,000 टन से ज्यादा ऐसे नोट जमा होते हैं, जो कट-फट जाने या अन्य कारणों से चलन से बाहर कर दिए जाते हैं। अब तक इन नोटों को या तो जलाकर या फिर सड़ाकर नष्ट किया जाता था। यह प्रक्रिया न केवल महंगी थी, बल्कि पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक थी।
RBI ने पार्टिकल बोर्ड बनाने वाली कंपनियों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। योजना के तहत, रिजर्व बैंक पुराने और खराब हो चुके नोटों को बारीक काटकर इन कंपनियों को बेचेगा। इससे कंपनियों को सस्ता और टिकाऊ कच्चा माल मिलेगा, जबकि RBI का नष्ट करने का खर्च घटेगा। साथ ही इस प्रक्रिया से बैंक को अतिरिक्त राजस्व भी प्राप्त होगा।
RBI ने यह फैसला पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए लिया है। अब तक पुराने नोटों को जलाना या लैंडफिल में डालना न केवल खर्चीला था, बल्कि पर्यावरण के लिए भी हानिकारक माना जाता था। इस समस्या के समाधान के लिए बैंक ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी संस्थान से अध्ययन करवाया। अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला कि पुराने नोटों की कतरनों का उपयोग पार्टिकल बोर्ड के निर्माण में प्रभावी और सुरक्षित है।
पार्टिकल बोर्ड एक प्रकार की इंजीनियर्ड वुड है, जिसे लकड़ी की कतरनों, चूरे या फाइबर को गोंद और राल के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। अब इस मिश्रण में पुराने नोटों की कतरन भी शामिल की जाएगी, जिससे कुर्सी, मेज, अलमारी जैसे टिकाऊ और किफायती फर्नीचर बनाए जा सकेंगे।