ACB में CBI के रिटायर्ड अधिकारियों की नियुक्ति जांच के घेरे में...हाईकोर्ट ने माना नियुक्ति अवैध

Edited By Saurabh Pal, Updated: 26 Apr, 2024 10:04 PM

high court termed the appointment of retired cbi officers in acb as illegal

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई से सेवानिवृत्त हुए कुछ अधिकारियों को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) हरियाणा में पुनः नियुक्त करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए ऐसे पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति से संबंधित...

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई से सेवानिवृत्त हुए कुछ अधिकारियों को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) हरियाणा में पुनः नियुक्त करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए ऐसे पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति से संबंधित संपूर्ण रिकार्ड को सील करने का आदेश दिया है। 4 अप्रैल, 2022 और 21 अक्टूबर, 2022 को हरियाणा सरकार ने सीबीआई के सेवानिवृत्त पुलिस कर्मियों सेशन बालासुब्रमण्यम और रामास्वामी पार्थसारथी को क्रमशः एसपी (एसीबी) और डीएसपी (एसीबी) फरीदाबाद के पद पर पुनः नियुक्त किया था।

हाई कोर्ट ने शनिवार को उनकी नियुक्ति से संबंधित संपूर्ण रिकार्ड तलब करते हुए वकील अक्षय जिंदल को स्थानीय आयुक्त नियुक्त किया। ताकि उनकी नियुक्ति से संबंधित संपूर्ण रिकॉर्ड  मुख्य सचिव कार्यालय से जब्त किया जा सके और उसे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल विजिलेंस के पास जमा कराया जा सके। कोर्ट ने हरियाणा सरकार के वकील से यह प्रस्ताव भी मांगा है कि इन अवैध  नियुक्तियों के मामले की जांच कौन सा अधिकारी करेगा, चाहे वह सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज हो या डीजीपी रैंक से ऊपर का कोई अधिकारी। हाई कोर्ट का मानना है कि जब तत्कालीन मुख्यमंत्री (सीएम) ने इन पुलिसकर्मियों को सलाहकार के तौर पर नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, तो तत्कालीन डीजी एसीबी ने उन्हें एसपी और डीएसपी के पद पर क्यों नियुक्त किया।

जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने रिश्वत मामले में गिरफ्तार विवादास्पद आईआरएस अधिकारी और पूर्व अतिरिक्त आबकारी एवं कराधान आयुक्त धीरज गर्ग की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। उन्होंने हरियाणा सरकार के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है, जिसके तहत सीबीआई के पूर्व पुलिसकर्मियों को एसीबी में नियुक्त किया गया था। इससे पहले नवंबर 2023 में हाई कोर्ट ने एसीबी द्वारा इन पूर्व सीबीआई पुलिसकर्मियों को सौंपे गए मामलों की जांच तत्काल प्रभाव से वापस लेने का आदेश दिया था। खास बात यह है कि एसीबी में डीएसपी या एसपी के तौर पर कार्यरत इन पूर्व सीबीआई पुलिस कर्मियों ने भ्रष्टाचार के कई अहम मामलों की जांच की है। हाई कोर्ट ने यह आदेश तब पारित किया था जब राज्य सरकार यह बताने में विफल रही थी कि कानून के किस मूल परविधान के तहत पुलिस अधिकारियों को मामलों की जांच करने और राजपत्रित अधिकारियों की शक्तियों का प्रयोग करने तथा अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में स्वीकृत प्रस्ताव केवल सलाहकार का था न कि एसपी नियुक्ति करने का, इसलिए इस नियुक्ति का रिकार्ड जब्त कर जांच जरूरी है। हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर इन अधिकारियों के काम करने पर रोक लगाते हुए तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि ऐसे तो भविष्य में डीजीपी के पद पर भी ऐसी ही नियुक्ति होने लगेंगी। इन पूर्व सीबीआई पुलिस कर्मियों की नियुक्ति को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एसीबी के प्रस्ताव पर मंजूरी दी थी। कोर्ट ने कहा कि अदालत के विचार के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं कि क्या इन जांच अधिकारियों को अनुबंध के माध्यम से एसपी और डीएसपी के राजपत्रित पद पर नियुक्त किया जा सकता है और क्या वे कानून के तहत जांच करने और आरोप-पत्र दाखिल करने के लिए अधिकृत हैं या नहीं, जिसे अभी निर्धारित किया जाना  है।

हाई कोर्ट ने यह भी  देखा था कि हरियाणा राज्य में एसपी का पद अखिल भारतीय सेवाओं (भारतीय पुलिस सेवा) के कैडर में दिया जाता है और यह समझना समझ से परे है कि आईपीएस कैडर के पद पर नियुक्ति अनुबंध के आधार पर की जा रही है, खासकर तब जब राज्य खुद मूल पद पर नियुक्ति करने में सक्षम नहीं है।

 (पंजाब केसरी हरियाणा की खबरें अब क्लिक में Whatsapp एवं Telegram पर जुड़ने के लिए लाल रंग पर क्लिक करें)

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!