विपक्ष का ‘सफाया’ करने में लगे हरियाणा के ‘चौथे लाल’

Edited By Naveen Dalal, Updated: 26 Jul, 2019 09:54 AM

haryana s  chauthi lal  who is  trying to wipe out  the opposition

देश-प्रदेश की राजनीति में जब भी लालों की चर्चा होती है तो हरियाणा के क्रमश: देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल की चर्चा होती थी लेकिन अब ‘चौथे लाल मनोहर लाल’ की चर्चा भी होने लगी है। खासकर वह भी तब जब भाजपा आलाकमान ने दूसरी पारी के लिए मुख्यमंत्री के...

पानीपत (खर्ब): देश-प्रदेश की राजनीति में जब भी लालों की चर्चा होती है तो हरियाणा के क्रमश: देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल की चर्चा होती थी लेकिन अब ‘चौथे लाल मनोहर लाल’ की चर्चा भी होने लगी है। खासकर वह भी तब जब भाजपा आलाकमान ने दूसरी पारी के लिए मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर मनोहर लाल का नाम ही आगे किया है जिसके कारण हरियाणा के सभी हलकों में अबकी बार 75 पार, फिर एक बार, मनोहर सरकार के नारों के होॄडग्स चमकने लगे हैं। जैसे-जैसे हरियाणा विधानसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे-वैसे हरियाणा के विपक्षी दलों के नेता एक-एक करके भाजपा का दामन थाम रहे हैं। 

जहां-जहां भाजपा कमजोर है या जिन हलकों में भाजपा के पास मजबूत उम्मीदवार नहीं हैं वहां भाजपा ने इनैलो के विधायकों व दूसरे नेताओं को शामिल करना शुरू कर दिया, लेकिन साथ में किसी को टिकट की गारंटी नहीं दी। एक तरह से इनैलो, जे.जे.पी. व कांग्रेस के नेताओं को भाजपा में शामिल कर मुख्यमंत्री मनोहर लाल तीनों लालों के बाद चौथे लाल के तौर पर चॢचत होते जा रहे हैं जिन्हें शुरूआत में विपक्ष के नेता राजनीति का अनुभवहीन खिलाड़ी बता रहे थे, वही अब राजनीति का माहिर खिलाड़ी बताने लगे हैं।

इनैलो की लड़ाई व कांग्रेस की फूट बना रही चौथे लाल को मजबूत
यदि हरियाणा की राजनीति के हालातों की चर्चा करें तो इनैलो परिवार की लड़ाई व कांग्रेस की आपसी फूट ही हरियाणा के चौथे लाल मनोहर लाल को मजबूत बनाती जा रही है। जिस प्रकार से इनैलो से जे.जे.पी. बनी और इनैलो के विधायकों का जे.जे.पी. व भाजपा में जाना हुआ उससे भाजपा मजबूत स्थिति में आती गई। इसी प्रकार भाजपा के सामने जो चुनौतियां थीं वे धीरे-धीरे कमजोर होती गईं। कांग्रेस में बदलाव से पूर्व सन्नाटा पसरा हुआ है। कांग्रेस की फूट भी मनोहर लाल को मजबूत करती जा रही है। यदि विपक्ष के आज जैसे हालात रहे तो भाजपा को दूसरी बार सरकार बनाने में ज्यादा रुकावट आती दिखाई नहीं दे रही। यदि कांग्रेस ने जल्दी से संगठन का प्रारूप तैयार नहीं किया तो यह देरी भाजपा के लिए और भी आसान साबित होगी। हरियाणा में भविष्य की राजनीति इन्हीं बदलती घटनाओं पर निर्भर करेगी।

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