अस्पताल की मनमानी, नई करंसी न होने पर शव के लिए भटकते रहे परिजन

Edited By Updated: 15 Nov, 2016 12:22 PM

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हिसार के निजी अस्पताल में छत से गिरकर घायल हुए मरीज की मौत के बाद परिजन शव के लिए दर-दर भटकते रहे। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल

हिसार: हिसार के निजी अस्पताल में छत से गिरकर घायल हुए मरीज की मौत के बाद परिजन शव के लिए दर-दर भटकते रहे। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल स्टाफ ने पुरानी करंसी लेने से इंकार कर दिया। यही नहीं इसी परिवार के निजी अस्पताल में दाखिल मरीज को नई या छोटे नोट न होने पर डिस्चार्ज नहीं किया। यह मामला परिजनों ने डी.सी. के संज्ञान में लाया। उसके बाद पुरानी करंसी जमा करवाने पर मरीज को डिस्चार्ज किया गया। हालांकि शव को परिजनों ने किसी तरह छोटे नोटों का प्रबंध करके ले लिया था। 

 

छत से गिरने से हुई मौत
गांव कापड़ो पूर्व सरपंच रोशनलाल ने बताया कि गांव उगालन निवासी सुलतान सिंह (55) अपने बेटे संजय के पास रोहतक गए थे। गत 8 नवम्बर को वह चौबारे पर सोए थे और नींद में ही छत से नीचे गिर गए। गंभीर रूप से घायल सुलतान सिंह को परिजन हिसार के निजी अस्पताल में ले आए। यहां उपचार के दौरान बीती रात्रि सुलतान सिंह की मौत हो गई। 

 

नोटबंदी के चलते शव के लिए भटकते रहे परिजन
पूर्व सरपंच ने बताया कि अस्पताल में उपचार के दौरान खर्च हुई राशि का अस्पताल प्रबंधक ने 33 हजार रुपए का बिल बनाया। पुरानी करंसी को अस्पताल प्रशासन ने लेने से मना कर दिया। राशि जमा होने पर ही शव ले जाने की बात कही। किसी तरह से यह राशि परिजनों आदि से इकट्ठा की और बिल की राशि जमा करवा दी और मृतक सुलतान का शव ले लिया। पूर्व सरपंच ने बताया कि सुलतान सिंह के रिश्तेदारों के सामने एक और समस्या उस समय आ गई जब इन्हीं के परिवार के सदस्य हवा सिंह, राजेश और अमनदीप 2 दिन पूर्व मिर्जापुर रोड पर सड़क हादसे में घायल हो गए थे। घायलों में अमनदीप की हालत स्थिर होने पर अस्पताल प्रशासन ने छुट्टी करने के निर्देश दिए। अमनदीप के उपचार में खर्च हुए करीब 14 हजार रुपए की राशि जमा करवाने को कहा गया। परिजनों ने यह बिल 500-1000 की पुरानी करंसी से जमा करवाने की बात कही तो अस्पताल प्रशासन मना कर गया। हालांकि परिजनों ने बताया कि सुलतान के बिल की राशि ही बड़ी मुश्किल से इकट्ठा की थी अब प्रबंध करना मुश्किल है लेकिन अस्पताल प्रशासन नहीं माना। 

 

पूर्व सरपंच ने इस समस्या के बारे में डी.सी. कार्यालय में बात की वहां से सी.एम.ओ. से बात करने को कहा गया। उसके बाद पूर्व सरपंच ने सी.एम.ओ. डा. जे.एस. ग्रेवाल से बात की। उन्होंने सी.एम.ओ. से गुजारिश की कि वे निजी अस्पताल संचालकों को कहकर 1000 और 500 रुपए के नोट स्वीकार करवाएं। सी.एम.ओ. ने पूर्व सरपंच रोशनलाल को कहा, उनके पास निजी अस्पतालों के बारे में कोई गाइडलाइन नहीं आई। 

 

CMO से हुई बात बताने पर जमा की पुरानी करंसी
सी.एम.ओ. ने बताया कि मंत्रालय में भी निजी अस्पतालों बारे बातचीत की थी लेकिन स्पष्ट जवाब नहीं आया है। इस पर पूर्व सरपंच ने डी.सी. कार्यालय में बात की तो उन्होंने सी.एम.ओ. से बात कर समाधान करने के लिए कहा। जब डी.सी. कार्यालय में फोन उठाने वाले कर्मी को सी.एम.ओ. से हुई बात बताई तो उन्होंने अस्पताल प्रशासन से इस संबंध में बात की। उसके बाद निजी अस्पताल में आई.डी. के साथ परिजनों ने पुरानी करंसी जमा करवाकर मरीज को डिस्चार्ज करवाया।

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