वाइजर 2023 ग्रांट के लिए हुआ हकेवि की डॉ. पूजा यादव का चयन, कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने दी बधाई

Edited By Ajay Kumar Sharma, Updated: 30 May, 2023 10:29 PM

hakevi s dr pooja yadav selected for wiser 2023 grant vice chancellor

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्याल  महेंद्रगढ़ की सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग की सहायक आचार्य डॉ. पूजा यादव को इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंट से प्रतिष्ठित वाइजर ग्रांट प्राप्त हुई है।

महेंद्रगढ़(प्रदीप बालरोडिया): हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्याल  महेंद्रगढ़ की सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग की सहायक आचार्य डॉ. पूजा यादव को इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंट से प्रतिष्ठित वाइजर ग्रांट प्राप्त हुई है। आईजीएसटीसी जर्मन फेडरल मिनिस्टरी ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी)  भारत सरकार का एक संयुक्त प्रयास है। जिसके अंतर्गत मिलने वाली ग्रांट हेतु वर्ष 2023 में दस भारतीय महिला शोधार्थियों और दो जर्मन शोधार्थियों को चुना गया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने डॉ. पूजा यादव को मिली इस सफलता पर हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी और कहा कि अवश्य ही डॉ. पूजा इस ग्रांट के निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति करने में सफल रहेंगी।

सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र सिंह ने कहा कि इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर द्वारा वाइजर कार्यक्रम का उद्देश्य महिला शोधकर्ताओं में वैज्ञानिक क्षमता का निर्माण करना और उन्हें नए शोध हेतु प्रोत्साहित करना है। डॉ. पूजा यादव को मिले अनुदान का मुख्य लक्ष्य अंतर्जात मानव पेप्टाइड्स की खोज करना है जो बायोफिल्म निर्माण और बैक्टीरिया के विकास को रोक सकता है। इस अध्ययन का दीर्घकालिक लक्ष्य एंटीबायोटिक दवाओं के विकल्प के रूप में रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स का उपयोग करना है। यह निश्चित रूप से दुनिया भर में एंटीबायोटिक बोझ को कम करने में मददगार साबित होंगे। 

बता दें कि डॉ. यादव ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संक्रामक रोगों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने चिल्ड्रन हॉस्पिटल, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल, बोस्टन, एमए, यूएसए से अपनी पहली पोस्ट-डॉक्टरेट फेलोशिप पूरी की। इसके पश्चात उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय, ह्यूस्टन में स्वास्थ्य विज्ञान केंद्र में प्रवेश लिया और अपनी दूसरी पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप पूरी की। वर्ष 2022 में एसआईआरई (एसईआरबी-इंटरनेशनल रिसर्च फेलोशिप) सहित उनकी उत्कृष्ट शैक्षणिक और वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए उन्हें कई फेलोशिप और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। उनके शोध का प्राथमिक क्षेत्र एंटीबायोटिक प्रतिरोध, बायोफिल्म और डीएनए माध्यमिक संरचना बैक्टीरियल रोगजनन के मध्यस्थता विनियमन पर केंद्रित है। डॉ. पूजा यादव माइक्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर बारबरा स्पीलबर्ग के साथ मिलकर काम करेंगी। वर्तमान अनुदान सीआरसी 1279 (उलम विश्वविद्यालय) के संदर्भ में 2017 से 2025 तक वित्तपोषित है, जिसका उद्देश्य एंडोजेनर्स मानव पेप्टाइड्स की खोज करना है जो मानव रोगजनकों के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और संभावित चिकित्सीय अनुप्रयोगों के लिए उन्हें अनुकूलित करते हैं। यह ग्रांट तीन साल की अवधि के लिए है जिसके अंतर्गत हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय और उलम विश्वविद्यालय, जर्मनी के बीच शोध का आदान-प्रदान किया जाएगा।

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