एक तरफ किसानों के साथ बातचीत, दूसरी तरफ अध्यादेशों को करवाया जा रहा पास: शैलजा

Edited By Manisha rana, Updated: 17 Sep, 2020 08:33 AM

farmers on one side ordinances being passed side shailaja

हरियाणा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कु. शैलजा ने कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार लगातार किसान और जनविरोधी फैसले ले रही है। किसानों और कांग्रेस पार्टी के भारी...

चंडीगढ़ (बंसल) : हरियाणा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कु. शैलजा ने कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार लगातार किसान और जनविरोधी फैसले ले रही है। किसानों और कांग्रेस पार्टी के भारी विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश को लोकसभा में पास करवा लिया। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार किसानों के साथ बातचीत का ढोंग पीटती है तो दूसरी तरफ अध्यादेशों को पास करवाया जा रहा है। सरकार चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

शैलजा ने कहा कि आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश के जरिए अनाज, दलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज को अनिवार्य वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया है। अब इनका स्टोरेज किया जा सकेगा। स्टोरेज से कालाबाजारी भी बढ़ेगी और बड़े कारोबारी लाभ उठाएंगे। उन्होंने कहा कि पहले किसानों की फसल को औने-पौने दामों में खरीदकर भंडारण कर लिया जाता था फिर जमकर कालाबाजारी होती थी। इसे रोकने के लिए एशैंसियल कमोडिटी एक्ट 1955 बनाया गया था जिसके तहत कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गई थी। 

हर रोज 38 बेरोजगार और 28 विद्यार्थी कर रहे आत्महत्या
वहीं, उन्होंने किसानों और बेरोजगारों की आत्महत्याओं को लेकर भी सरकार की गलत और विफल नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि एन.सी.आर.बी. की रिपोर्ट अनुसार हर रोज 38 बेरोजगार और 28 विद्यार्थी आत्महत्या कर रहे हैं, जो एक खतरनाक संकेत है। वर्ष 2019 में कुल 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की, जिसमें 14,051 लोग ऐसे थे,जो बेरोजगार थे। वहीं, आत्महत्या करने वाले विद्यार्थियों की संख्या 10,295 थी। बेरोजगार लोगों की आत्महत्या का आंकड़ा 25 वर्षों में सबसे अधिक है।

इन 25 वर्षों में पहली बार बेरोजगार लोगों की आत्महत्या का प्रतिशत दहाई अंकों (10.1 प्रतिशत) में पहुंचा है। वर्ष 2018 में आत्महत्या करने वाले बेरोजगार लोगों की संख्या 12,936 थी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किसानों की आत्महत्या से जुड़े हुए राज्यवार आंकड़े भी उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे हैं। कर्ज में डूबे और दिवालियापन में कारण आत्महत्या करने वाले किसानों के आंकड़े वर्ष 2016 से केंद्र के पास उपलब्ध नहीं हैं। यह सरकार द्वारा अपनी विफलताओं को छुपाने का एक और प्रयास है।

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