किसान कर्जे की किस्त न भर सके तो उसको आत्महत्या करने को किया जाता है मजबूर : अभय चौटाला

Edited By Isha, Updated: 15 Feb, 2020 08:33 AM

farmers are forced to commit suicide installment abhay chautala

रेवाड़ी जिले के गांव राजगढ़ के अमर सिंह की पत्नी निर्मला देवी को कर्जा लेने के मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी दौरान लोगों के बीच अभद्र व्यवहार करने से निर्मला के पति अमर सिंह द्वारा आहत......

चड़ीगढ : रेवाड़ी जिले के गांव राजगढ़ के अमर सिंह की पत्नी निर्मला देवी को कर्जा लेने के मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी दौरान लोगों के बीच अभद्र व्यवहार करने से निर्मला के पति अमर सिंह द्वारा आहत होकर आत्महत्या करने पर इनैलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि एक तरफ तो भाजपा सरकार पूंजीपतियों का लाखों करोड़ रुपए का कर्जा माफ कर रही है और दूसरी तरफ अगर कोई किसान कर्जे की किस्त न भर सके तो उसको आत्महत्या करने को मजबूर किया जाता है। 

इनैलो नेता ने कहा कि विजय माल्या एवं नीरज मोदी जैसे हजारों करोड़ रुपए का कर्जा लेकर केंद्र सरकार की नाक के नीचे से फरार हो जाते हैं और अधिकारियों की मिलीभगत से बैंकों द्वारा दिया गया ऋण एन.पी.ए.राशि के खाते में डाला जाता है। आंकड़ों अनुसार लगभग 9 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा ऋण की राशि औद्योगिक घरानों को दी गई थी,उसकी किस्तें जमा न कराने से बैंकों ने उसको एन.पी.ए. के खाते में डाल दिया है जिसकी वजह से पूंजीपति घराने बैंकों का पैसा खाकर मौजमस्ती कर रहे हैं। 

इनैलो नेता ने कहा कि कृषि ऋण के आंकड़ों अनुसार लगभग 66 हजार करोड़ रुपए के कर्जे की देनदारी किसानों की तरफ है जिसकी वजह से किसान आत्महत्याएं करने को मजबूर हैं अगर कोई किसान ऋण की राशि की अदायगी नहीं कर पाता तो उनको पकड़ कर जेलों में बंद कर दिया जाता है। किसान मजबूरी में कर्जा लेता है। आंकड़ों के अनुसार देश में कुल आत्महत्याओं में से 12 प्रतिशत किसान कर्जा राशि न चुका पाने की वजह से आत्महत्या करते हैं।

वर्ष 1990 के बाद कर्ज के कारण प्रति वर्ष लगभग 10 हजार किसान आत्महत्या करते रहे हैं और 1997 से लेकर 2006 तक लगभग 2 लाख किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का यह कहना है कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी कर दी जाएगी परंतु अभी तक केंद्र व प्रदेश की सरकार ने आमदनी दोगुनी करने का कोई ऐसा रोडमैप तैयार नहीं किया। आय दोगुनी करने के लिए केंद्र व प्रदेश की सरकारों को कोई नीति निर्धारित करनी चाहिए और स्वामी नाथन रिपोर्ट की शर्तों अनुसार कृषि के लिए रोडमैप तैयार करना चाहिए।

अभय ने कहा कि अगर पूंजीपति घरानों को दिए गए ऋण की राशि एन.पी.ए. के खाते में डाली जा सकती है तो किसान को दिए गए ऋण की राशि को एन.पी.ए. के खाते में डालने में क्या दिक्कत है? भाजपा सरकार की कथनी और करनी में दिन-रात का अंतर है और उसकी नीतियां किसान विरोधी हैं जिसकी वजह से किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।   

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