शर्मनाकः विकलांग व परिवार से असहाय महिला को नौकरी से निकाला, 9 महीने से नहीं दिया वेतन

Edited By Isha, Updated: 09 Sep, 2020 02:00 PM

disabled and helpless woman fired from family

एक तरफ सरकार द्वारा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान पर पूर्ण रूप से कार्य किया जा रहा है और बेटियों की पढ़ाई से लेकर शादी व नौकरी के लिए तरह-तरह योजनाएं बनाए करोड़ो रुपये खर्च भी किए जा रहे है। लेकिन कुछ अधिकारी व नेताओं की कार्य प्रणाली इस

पलवल(दिनेश): एक तरफ सरकार द्वारा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान पर पूर्ण रूप से कार्य किया जा रहा है और बेटियों की पढ़ाई से लेकर शादी व नौकरी के लिए तरह-तरह योजनाएं बनाए करोड़ो रुपये खर्च भी किए जा रहे है। लेकिन कुछ अधिकारी व नेताओं की कार्य प्रणाली इस अभियान को पलीता लगा रही है। ऐसी ही कहानी पलवल के जवाहर नगर कैंप की रहने वाली मीनू बाला की है। मीनू बाला दोनों पैरों से पूर्ण रुप (100 प्रतिशत) से विकलांग है। इतना ही नहीं उसके माता-पिता की भी मृत्यु हो चुकी है जिससे कि वह परिवार की तरफ से भी असहाय हो चुकी है। माता-पिता का साया सिर से उठने के बाद पीडि़ता के सामने जीवन यापन संकट गहरा गया और नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगी। लेकिन पीडि़ता को कहीं नौकरी मिली।

बगैर कोई नोटिस निकाल दिया काम से
गत 13 अप्रैल वर्ष 2018 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल का पलवल की पंजाबी धर्मशाला में आगमन हुआ। पीडि़ता उसी समय अपनी दुख भरी कहानी को लेकर सीएम से मिली। जिस पर सीएम मनोहर लाल ने तुरंत जिला उपायुक्त मनीराम शर्मा को आदेश देते हुए पीडि़ता को डीसी रेट पर नौकरी देने की बात कही थी। सीएम के आदेश के बाद पीडि़ता को 2 जुलाई वर्ष 2018 में नगर परिषद में रिसेप्शन के पद नियुक्त कर दिया गया। जहां पर पीडि़ता को 30 जून वर्ष 2019 तक को वेतन दिया गया। लेकिन जुलाई वर्ष 2019 से मार्च 2020 तक का वेतन पीडि़ता को नहीं दिया गया और उसे बगैर कोई नोटिस या सूचना दिए ही नौकरी से भी निकाल दिया गया जिसके बाद पीडि़ता अपनी नौकरी व वेतन की मांग को लेकर जिला उपायुक्त से लेकर नगर परिषद के अधिकारी तथा विधायक दीपक मंगला से मिली। लेकिन पीडि़ता को सभी से आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला।

टाल-मटोल करती नजर आई जिला नगर आयुक्त
अधिकारियों व विधायक की लचर कार्य प्रणाली के बाद पीडि़ता हार-थक कर अपने घर बैठ गई। कुछ दिनों पहले ही जिले में जिला नगर आयुक्त के पद पर मोनिका गुप्ता को नव नियुक्त किया गया। पीडि़ता को फिर एक बार आस जगी और वह आठ-दस दिन पहले विश्राम गृह में जिला नगर आयुक्त मोनिका गुप्ता से मिलने आई। जहां पर पीडि़ता ने पांच-छह घंटे लंबा इंतजार किया लेकिन जिला नगर आयुक्त मोनिका गुप्ता ने मिलने का समय नहीं दिया।  वहीं इस बारे में टाल-मटोल करते हुए जिला नगर आयुक्त मोनिका गुप्ता ने बताया कि उन्हें पीडि़ता की लिखित शिकायत मिली है जिसको नगर परिषद के ईओ को मार्क कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि 15 दिन पहले ही उन्होंने पलवल में कार्यभार संभाला है। यह मामला उनके सामने आया है। पीडि़ता की समस्या का समाधान किया जाएगा।
 

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