Intresting Fact : कांग्रेस तब-तब सत्ता में लौटी, जब प्रदेश अध्यक्ष मजबूत चेहरे थे...

Edited By Isha, Updated: 10 Oct, 2024 05:49 PM

congress returned to power

कांग्रेस के जानकारों का कहना है कि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस तब-तब सत्ता में लौटी, जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मजबूत चेहरे थे। 1990 में चौधरी बीरेंद्र सिंह राजीव गांधी के कार्यकाल में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का काम देख रहे थे।

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): कांग्रेस के जानकारों का कहना है कि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस तब-तब सत्ता में लौटी, जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मजबूत चेहरे थे। 1990 में चौधरी बीरेंद्र सिंह राजीव गांधी के कार्यकाल में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का काम देख रहे थे। 1991 में कांग्रेस सत्ता में लौटी तथा तब भजनलाल मुख्यमंत्री बने। राजीव गांधी का निधन हो जाने की वजह से चौधरी बीरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री बनने से रह गए और उन्हें ट्रेजडी किंग का नाम मिला। 

2003 में हरियाणा कांग्रेस की कमान भजनलाल को दी गई। 2004 में हरियाणा कांग्रेस के 67 विधायक चुने गए और कांग्रेस फिर से सत्ता में वापस लौटी। उस समय कांग्रेस आला कमान ने भजनलाल को मुख्यमंत्री नहीं बनाया और चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री पद मिला। वर्तमान में कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर चौधरी उदयभान हैं। उदयभान को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनवाने में नेता प्रतिपक्ष रहे चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा का अहम रोल रहा है।

कांग्रेस को जानने वाले बताते हैं कि अगर हुड्डा खुद प्रदेश अध्यक्ष बनते तो विधानसभा चुनाव में ज्यादा सार्थक परिणाम ला सकते थे। कांग्रेस की हार के प्रमुख कारणों में कांग्रेस के भीतर कोई मजबूत गैर जाट नेता का होना भी एक कारण माना जा सकता है। वर्तमान में कांग्रेस के पास थानेसर से विधायक चुने गए अशोक अरोड़ा एक बड़ा नाम और चेहरा है। मगर उन्हें कांग्रेस में कोई भी जिम्मेदारी परोक्ष रूप में नहीं मिली हुई है। 

हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी सदैव हावी रही है। पिछले करीब 12 साल से हावी गुटबाजी के चलते कांग्रेस में अभी तक जिला स्तर पर कोई संगठन नहीं बन पाया है। हरियाणा कांग्रेस में व्यक्तिवाद की राजनीति ज्यादा है। हरियाणा कांग्रेस में पिछले 12 सालों से जो भी प्रभारी बनाए गए, उनकी भी इसमें भूमिका रही है। हरियाणा कांग्रेस गुलाबी तथा लाल पगड़ियों तक अतीत में भी सीमित होकर रह चुकी है। कांग्रेस में टांग खिंचाई का इतिहास कोई नया नहीं है। 

कांग्रेस के दिग्गज पुत्रवाद तथा वंशवाद में सदैव ही उलझे रहे हैं। बंसीलाल अपने पुत्र सुरेंद्र सिंह को कांग्रेस में मजबूत नेता के रूप में स्थापित करने का प्रयास करते रहे। एक बार उन्हें कांग्रेस छोड़कर हरियाणा विकास पार्टी भी बनानी पड़ी। भजनलाल भी अपने पुत्र चंद्रमोहन और कुलदीप बिश्नोई को राजनीति में स्थापित कर कर गए। भजनलाल को भी कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा जनहित कांग्रेस बनानी पड़ी थी। अब यहीं क्रम भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने पुत्र दीपेंद्र हुड्डा को स्थापित कर करने में लगे हैं।

 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!