खबरों में रहने के लिए कांग्रेस को कुछ ना कुछ तो चाहिए : कंवर पाल गुज्जर

Edited By Manisha rana, Updated: 17 Feb, 2021 03:02 PM

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आने वाले बजट सत्र का हंगामेदार रहना तय है। कांग्रेस पार्टी सत्तापक्ष को घेरने को लेकर रणनीति तैयार कर रही है। हरियाणा के शिक्षा, पर्यटन एवं संसदीय मंत्री कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि इससे कांग्रेस बेनकाब हो जाएगी। कांग्रेस के पास कोई तर्क...

चंडीगढ़ (धरणी) : आने वाले बजट सत्र का हंगामेदार रहना तय है। कांग्रेस पार्टी सत्तापक्ष को घेरने को लेकर रणनीति तैयार कर रही है। हरियाणा के शिक्षा, पर्यटन एवं संसदीय मंत्री कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि इससे कांग्रेस बेनकाब हो जाएगी। कांग्रेस के पास कोई तर्क नहीं है। इसीलिए कांग्रेस चर्चा की बजाय पिछले सत्र में वाक आउट करके भाग बची थी और इस समय जो अल्पमत का राग कांग्रेस अलाप रही है। वह केवल भ्रम फैलाने की कोशिश है। क्योंकि  अविश्वास प्रस्ताव का मतलब केवल चर्चा करना होता है। इससे सरकार का गिरना या सरकार को नुकसान पहुंचने जैसी कोई बात नहीं होती। इन्हें पहले से ही बोलने के लिए पूरा समय मिलता रहा है। लेकिन कांग्रेस की आदत अच्छी बातों का भी विरोध करना बन गया है। यह बात पंजाब केसरी से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि आलोचना करने में कांग्रेस ने शर्म की हदें पार की है। क्योंकि जिस बात को पाकिस्तान की पार्लियामेंट स्वीकार करती है। हमारे देश के कांग्रेसी लोग उस बात पर भी उंगली उठाने से परहेज नहीं करते। कांग्रेस ने पुलवामा हमले और सर्जिकल स्ट्राइक पर भी राजनीति करने से परहेज नहीं किया। इससे यह साफ है कि इन लोगों के लिए देश मायने नहीं रखता।

कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि हमारे भाजपा के 40 सदस्य हैं। 10 जेजेपी के सदस्यों का समर्थन हमें प्राप्त है। निर्दलीयों का भी समर्थन है। तो अल्पमत में कहां से है। आपस में बैठकर सभी के जनता को किए वायदों पर विचार कर समर्थन किया था और वायदा किया था कि इनमें से यह वायदे हम निश्चित तौर पर पूरे करेंगे तो आप बताएं कि सरकार अल्पमत में कहां से है। हरियाणा के शिक्षा, पर्यटन एवं संसदीय मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा की खबरों में रहने के लिए कांग्रेस को कुछ ना कुछ तो चाहिए ही। कांग्रेस के पास और तो कुछ है नहीं। इसलिए अविश्वास प्रस्ताव की नई बात की खोज इन्होंने की है। अविश्वास प्रस्ताव चर्चा के लिए होता है।लेकिन आम आदमी को लगता है कि शायद सरकार को तोड़ सकते हैं। नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसका मतलब होता है कि किसी बात पर लंबे समय तक चर्चा करनी है। अब देखना यह रहेगा कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहते हैं या खबरों में रहना चाहते हैं। चर्चा के लिए तो हम समय देने के लिए पहले ही तैयार हैं। हमने तो पिछली बार भी उनसे कहा था कि अनलिमिटेड टाइम है। खूब चर्चा करो। चर्चा से वही भागे थे। अगली बार भी हम चर्चा के लिए तैयार हैं।

गुर्जर ने कहा कि कुछ विधायकों ने यह बात जरूर कही थी कि इनकी बात सुननी चाहिए। वो तो हम सुन ही रहे हैं।जिस दिन से आंदोलन शुरू हुआ, उसी दिन से हमारी सरकार ने, प्रधानमंत्री ने, गृह मंत्री ने, कृषि मंत्री ने सभी कह रहे हैं कि हमारे दरवाजे खुले हैं। हम बातचीत के लिए तैयार हैं। कानूनों पर क्लाज बाय क्लाज विचार करो। अगर कहीं भी कमी लगती है तो हमें बताओ। हम ठीक करने के लिए तैयार हैं। कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि डिस्कशन होने पर कांग्रेस बेनकाब होगी। जो बिल्कुल किसान के विरोध में चल रही है। जिसने अपने घोषणापत्र में कानून का वायदा किया। हाल ही में प्रधानमंत्री जी ने भी कहा है यह तो मनमोहन जी की इच्छा थी। वह भी इन्हें बनाना चाहते थे। कम से कम उनकी इच्छा का सम्मान करो। बेनकाब होने के डर से पिछली बार कांग्रेस वाकआउट करके निकल गई थी। क्योंकि उनके पास कोई तर्क नहीं था।

कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि पिछली बार शायद दो-तीन फ़ीसदी ही वोट मिले थे। आने वाले दिनों में पता चल जाएगा। मुझे लगता है कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला। आप भी महसूस कर रहे होंगे कि समाज समझने लगा है, समाज में परिवर्तन आने लगा है, लोग समझ चुके हैं कि यह झूठी बातों से भड़काने में लगे हैं। यह झूठ बोलते हैं। अंबानी-अडानी की औकात क्या है। इतना बड़ा देश है। अंबानी-अडानी तो सिर्फ एक अमीर व्यक्ति हैं। हमारी जमीनों पर तो अमेरिका भी कब्जा नहीं कर सकता। गुर्जर ने कहा कि इन्होंने मोदी जी द्वारा हर सुधार के बिल का विरोध किया है। जीएसटी का भी विरोध किया था।आज अगर किसी जीएसटी देने वाले से पूछेंगे तो वह यही जवाब देगा कि यह है 10 साल पहले आनी चाहिए थी। आज व्यापारी आकर खुद बोलते हैं कि वह जीएसटी की चोरी कर रहा है। कार्यवाही करो। चोरी रुकनी चाहिए। इन्होंने नोटबंदी का विरोध किया। सीएए  में लोगों को मुसलमानों को भड़काया कि इससे उनकी नागरिकता खत्म हो जाएगी। लेकिन क्या आज तक किसी की नागरिकता खत्म हुई। धारा 370 पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय में लगी थी। सारी लोकसभा इसके खिलाफ थी। लेकिन नेहरू ने इसे आंशिक बताया और कहा कि थोड़े दिन में इसे समाप्त कर देंगे। लेकिन लंबे कार्यकाल के बावजूद कांग्रेस ने इसे खत्म नहीं किया। आखिरकार हमें यह समाप्त करनी पड़ी। बेशर्मी की हद होती है। इनका नेता लोकसभा में कहता है कि आपने 370 कैसे समाप्त की। यह तो मामला यूएनओ में है।

कंवरपाल गुर्जर ने कहा की  जब प्रधानमंत्री ने कोरोना में थाली और ताली बजवाई तो उन्होंने विरोध किया कि पूरा विश्व वैक्सीन की खोज कर रहा है और मोदी ताली-थाली बाजवा रहा है। जब भारत ने वैक्सीन खोज ली तो उन्होंने कहा कि पूरी तरह से चेक किए बिना नहीं लगानी चाहिए थी। फिर कहने लगे कि मोदी की वैक्सीन है हम नहीं लगवाएँगे। होनी तो वाह-वाही चाहिए थी। देश के वैज्ञानिकों की जय-जयकार होनी चाहिए थी। लेकिन यह लोग आलोचना करने में इतने अंधे हो गए कि देश का अपमान करने से भी नहीं चूकते। पुलवामा अटैक में हमें पाकिस्तान की आलोचना करनी चाहिए थी। लेकिन कहने लगे कि मोदी ने अपने आप ही करवा लिया। जब भारत ने कार्रवाई की तो कहने लगे कि फर्जी कार्रवाई थी। लेकिन पाक के पूर्व मंत्री ने अपने आप कहा कि अभिनंदन मामले में हमारे जनरल के पैर काप रहे थे। पसीना आ रहा था।पाकिस्तान की पार्लियामेंट ने स्वीकार किया कि पुलवामा अटैक करवाया, सर्जिकल अटैक करवाई।लेकिन कांग्रेसी सांसद आलोचना करते रहे। जब इस प्रकार की बातें बार-बार जनता के बीच में जा रही हैं।तो जनता समझ रही है कि इन लोगों के लिए देश कोई मायने नहीं रखता, यह केवल अपने स्वार्थ का रोना रो रहे हैं।

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