जैसे-जैसे मनोहर सरकार में पारदर्शिता बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे भूपेंद्र सिंह हुडा की परेशानी बढ़ जाती है: प्रवीन आत्रेय

Edited By Manisha rana, Updated: 28 Oct, 2023 10:49 AM

as transparency is increasing in manohar government praveen atreya

मीडिया सचिव प्रवीन आत्रेय ने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुडा के कार्यकाल में नम्बर वन हरियाणा की बात जो कह रहे है उस बारे उस बात की सच्चाई का पता आंकड़ों एवं फैक्टस चलेगा।

चंडीगढ़ (धरणी) : मीडिया सचिव प्रवीन आत्रेय ने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुडा के कार्यकाल में नम्बर वन हरियाणा की बात जो कह रहे है उस बारे उस बात की सच्चाई का पता आंकड़ों एवं फैक्टस चलेगा। लेकिन एक बात निश्चित मान लें कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 2014 में जब मुख्यमंत्री का पद संभालना था, भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी तो मुख्यमंत्री ने व्यवस्था परिवर्तन का काम शुरू किया क्योंकि उससे पहले की व्यवस्था में, हरियाणा जिसके लिए बदनाम था। भाई भतीजावाद, जातिवाद, भ्रष्टाचार व्यवस्था परिवर्तन से सुशासन की ओर भी जो ये 9 साल की यात्रा है, इसका नतीजा ये हुआ सुनवाई के हर क्षेत्र में प्रगति के पथ पर दूसरे प्रदेशों से बहुत आगे जा चुका है लेकिन जहां तक हुडा साहब की बात करते हैं उससे पहले आ जाता हूं कि देखिए हरियाणा पिछड़ गया है, लेकिन आपने केवल आलोचना करने के लिए आलोचना कर रहें या एक सफेद झूठ बोलने का प्रयास कर रहे हैं।

जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल 2014 में मुख्यमंत्री बने थे हमारे हरियाणा प्रदेश की पर कैपिटा इनकम ₹1,27,770 जो आज ₹2,96,685 है। जिस वक्त मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पद संभालना था। हरियाणा प्रदेश ये 68,000 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट होता था। अब वो एक्सपोर्ट 2,45453 रुपए करोड़ का है। हरियाणा प्रदेश जो कृषि प्रधान प्रदेश है, हम सब जानते हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा जब तक मुख्यमंत्री रहे हरियाणा का खाद्यान्न उत्पादन 1,69,000  मीट्रिक टन था, आज वो 1,85,000 मीट्रिक टन हो गया है। दूध का उत्पादन 79 लाख टन था आज 116 लाख टन हो गया है। हमारी प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2014 में 747 ग्राम था आज वो 1081 ग्राम हो चुका है। हरियाणा प्रदेश में 2014,-15 में 105 कॉलेजों थे जो आज 182 हो गए है। पिछले 9 साल में 77 और नए कालेज बनें है। हमारे यहाँ यूनिवर्सिटी 2014 -15 में 43 और आज 56 है। हरियाणा में 2014-15 तक 142 आईटीआई थी आज 192 हो गई। मेडिकल कॉलेज 2014-15 में मात्र 6 थे आज 15 हो गए मनोहर सरकार में नौ की बढ़ोतरी हो गई है। स्वास्थ्य संस्थान हॉस्पिटल आदि सबको मिलाकर पहले 3944 और आज 4266 हो गए हैं। जनता भूपेंद्र सिंह हुडा के झूठ को बहुत अच्छी तरह से समझती है।  

कृषि क्षेत्र में मत्स्य उत्पादन पहले की तुलना में दोगुना हो गया है। 2014-15 में 1,00,000 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता था हरियाणा प्रदेश में मछली आज दोगुना 2,00,000 मीट्रिक टन हो गया आज किसान की स्थिति यह है कि अब वे सूक्ष्म सिंचाई तकनीक से खेती करते हैं, क्योंकि हमारे यहां पानी की थोड़ी कमी रहती है। भौगोलिक दृष्टि से हरियाणा प्रदेश में औसत से कम बारिश होती है। मनोहर लाल ने वॉटर्स प्रबंधन के ऊपर फोकस करना शुरू किया जो ड्रिप इरीगेशन 2014-15 में मात्र 33000 हैक्टेयर होती थी। आज 4,36,636 हेक्टेयर यह तरक्की जो हरियाणा प्रदेश ने की है। इससे हरियाणा प्रदेश एक्सपोर्ट बढा प्रति व्यक्ति आय बढी। जब मनोहर लाल ने सत्ता संभाली थी, हरियाणा प्रदेश के मात्र 538 गांवों को 24 घंटे बिजली मिलती थी। आज हरियाणा प्रदेश के 5792 गांवों में 24 घंटे बिजली दी जा रही है। 

प्रवीण आत्रेय ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल  बहुत योजनाएं बनाई हैं जिनका लाभ आमजन को मिल रहा है। इनमें परिवार पहचान पत्र हरियाणा प्रदेश की ऐसी अनुठी योजना जो देश में पहली बार हरियाणा में लागू हुई। जिसे बाद में दूसरे प्रदेशों ने स्टडी किया और इसको अडॉप्ट करने की बात कही। इस योजना के तहत हरियाणा प्रदेश के 71,00,000 परिवारों का डाटा हरियाणा सरकार के पास है । जिसके अंदर हमें हर परिवार के कितने सदस्य हैं, उनकी सालाना आमदनी कितनी है, उसमें से सरकारी नौकरी में कितने हैं, उनकी आयु क्या क्या है आदि की पूरी डिटेल हरियाणा सरकार के पास है। अब इस डेटा से लाभ होना शुरू हुआ जिसमें 397 ऐसी सेवाएं सरकार की हैं जिसका लाभ लोगों को इस योजना के जरिये मिलना शुरू हुआ है। मतलब 45,00,000 के करीब लोगों ने परिवार पहचान पत्र के जरिये 397 सरकारी सेवाओं का लाभ लिया है। किसी व्यक्ति की आयु 60 साल हो जाती है तो हरियाणा प्रदेश में बुढापा पेंशन लगनी शुरू हो जाती है।

पहले बुजुर्गों को अपनी पेंशन लगवाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। आयु प्रमाण पत्र, जन्मतिथि प्रमाण पत्र आदि मांगते थे लेकिन जैसे ही परिवार पहचान पत्र योजना लागू हुई है तो 60 साल की आयु होते ही ऑटोमैटिकली उनकी पैंशन लग जाती है। जो एक बहुत बड़ा काम इस योजना के जरिए हुआ है और लगभग 39,00,000 बीपीएल कार्ड हरियाणा के लोगों के बने है क्योंकि हमारे पास पूरा डेटा है कि कौनसे परिवार की सालाना आमदनी ₹1,80,000 से कम है या किस की सालाना आमदनी ₹3,00,000 से कम है। अगर बीपीएल कार्ड बनवाना है तो आपको कोई चक्कर नहीं काटने पड़ते और ऑटोमैटिकली इस योजना के जरिए आपका बीपीएल कार्ड बन जाता है।  

केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चिरायु हरियाणा योजना नाम देकर विस्तार किया। इस योजना में ₹1,20,000 सालाना से कम आमदनी वाले परिवारों को ₹5,00,000 तक का मुफ्त इलाज मिलता है। पहले तो सरकार ने उसको ₹1,80,000 फिर आयुष्मान योजना का विस्तार करके जिन परिवारों की आमदनी ₹3,00,000 सालाना से कम है, उनको भी ₹5,00,000 तक का इलाज मुफ्त देने का कार्य किया। इस तरह का प्रावधान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा में किया है और परिवार पहचान पत्र के जरिए लगभग 57,00,000 आयुष्मान चिरायु कार्ड बने हैं। 

हरियाणा प्रदेश में इस परिवार पहचान पत्र की वजह से लगभग 14,00,000 दिव्यांगों की पेंशन लगी है। क्योंकि पहले पेंशन के लिए कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते थे, अब इस तरह की स्थिति नहीं है। अगर किसी को जाति प्रमाण पत्र चाहिए उसे इस योजना के जरिये  घर बैठे ही मिल जाता है। किसी को अपना इनकम सर्टिफिकेट की जरूरत है। वह भी घर बैठे मिल जाता है।  जिस तरह की भी सेवा का लाभ लेना चाहते है। उन्हें किसी दफ्तर में जाने की जरूरत नहीं है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष विधानसभा में खड़े होकर इसी के ऊपर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। भूपेंद्र सिंह हुडडा तो इसके उलट बोल रहे है। उन्होंने तो साफ तौर पर विधानसभा में मुख्यमंत्री को यह कहा था सबसे पहले यह पोर्टल में देखिये। यह कांग्रेसियों विशेष तौर पर भूपेंद्र सिंह हुडा की समस्या को समझना पड़ेगा। 

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री बनते ही व्यवस्था बदली, पारदर्शी सरकार हरियाणा की जनता को मिले इस व्यवस्था को कायम किया। अब जैसे जैसे पारदर्शिता बढ़ती जा रही है। वैसे वैसे भूपेंद्र सिंह हुडा की परेशानी बढ़ जाती है। हरियाणा प्रदेश में डीबीटी लागू होने का फायदा ये हुआ कि जिस व्यक्ति को जो भी स्कीम का लाभ मिल रहा है चाहे किसी को सब्सिडी, बुढ़ापा पेंशन, दिव्याँग पेंशन है, वह भी सीधा उसके खाते में जमा होगी। ये प्रावधान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा में कर दिया। 

इस तकनीक से ह्यूमन इन्टरफियरेंस बीच में से हट गई है, इस तकनीक का सहारा लेकर सीधा खाते में पैंशन जमा करने का यह प्रावधान किया है। इससे लगभग 2,75,000 लोगों की ऐसी बुढ़ापा पेंशन का पता चला है जो लोग इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनके नाम से पैसा जा रहा है। जैसे ही डीबीटी लागू हुआ, सरकार की जानकारी में आ गया की 2,75,000 लोग इस दुनिया में नहीं है तो ये पैसा किसके खाते में जा रहा है और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। अब आप समझ सकते हैं कि जिन लोगों की जेब में वो पैसा जा रहा था वे लोग ही परेशान होंगे वो ही इस बात की आलोचना करेंगे। 

हरियाणा के अंदर कांग्रेस ने तो इस बात की भी आलोचना की थी जी जब सरकार ने किसान की फसल का पैसा सीधा किसान के खाते में जाने का ये प्रावधान किया तो आलोचना करने वाले हमारे ही विपक्ष के मित्र जब बुढ़ापा पेंशन सीधा बुजुर्गों के खाते में जाएगी तो कांग्रेस ने खुलकर आलोचना की कि बुजुर्गों के तो बैंक खाते ही नहीं होते, गांव में तो बैंक ही नहीं होता, बुजुर्ग कैसे बैंक से पैंशन लेंगे। आज इस योजना का लाभ बुजुर्गों को घर बैठे प्राप्त हो रहा है। ये हम सभी देख रहे हैं तो हरियाणा सरकार ने पारदर्शिता से काम करते हुए अंत्योदय सरल पोर्टल बनाया। इस पोर्टल से यह फायदा हुआ की 54 विभागों की लगभग 675 ऐसी सेवाएं हैं जो उन पोर्टल के जरिए आम हरियाणवी को घर बैठे प्राप्त हो रही। 

अब यहाँ पर विपक्ष की परेशानी और बढ़ जाती है। विपक्ष को लगता है कि पहले किसी को   ट्रांसफर करवानी होती थी तो वो ट्रांसफर करवाने के लिए चंडीगढ़ दफ्तर के चक्कर काटते थे। 2014 से पहले के जिस अध्यापक को ट्रांसफर करनी होती थी तो एक दो महीना की तनख्वाह देनी पड़ती थी, तब उसकी ट्रांसफर होती थी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ऑनलाइन ट्रांसफर शुरू कर दी। मतलब तकनीक का सहारा लेकर ह्यूमन फेस को बीच में से हटा दिया। मतलब किसी भी व्यक्ति की बीच में दखलंदाजी नहीं होगी। जो अध्यापक पोर्टल पर  अपनी चॉइस के स्टेशन को अपलोड करता है और कंप्यूटर के जरिए उसकी ऑनलाइन ट्रांसफर हो जाती है। जैसे ही ये व्यवस्था कायम हुई, तकलीफ तभी विपक्ष को होनी शुरू हो गई थी क्योंकि विपक्ष को ये पसंद था कि लोग दफ्तरों के चक्कर काटे और नेताओं के पीछे घूमते रहे।  इस उद्योग के जरिए कुछ लोग अपनी जेबें भरते रहे। लेकिन मनोहर लाल जी ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया तो विपक्ष अवश्य ही आलोचना करेगा।

नशा तस्करी की अगर बात की जाए पहले पंजाब का नाम सुना करते थे। अब हरियाणा प्रदेश में भी नशा का विस्तार हुआ। चाहे विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बात की जाए। लगातार ये भी सरकार पर आरोप लगते आए हैं कि गैंगवार हो, चाहे वो नशा तस्करी हो, इस पर कब लगाम लगे देखिए। जहाँ तक कानून व्यवस्था की बात है, पंजाब के अंदर नशे का जिस तरह से बहुत विस्तार हुआ। जिस तरह के हालात पंजाब में पैदा हुए। पंजाब के ऊपर तो   उड़ता पंजाब जैसी फ़िल्में बनी। हरियाणा का बॉर्डर पंजाब के साथ लगता है। हरियाणा के उन जिलों में इस तरह की समस्या सुनने में आने लगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तुरंत नशे की समस्या को खत्म करने पर काम करना शुरू कर दिया है।

इसके लिए बकायदा जो हमारे आसपास के पड़ोसी राज्य है। सब राज्यों की पुलिस फोर्स के डीजीपी को बुलाकर पंचकुला में एक मीटिंग हुई जिसका हेड ऑफिस पंचकूला में बनाया गया ताकि स्टेट पुलिस का आपस में कोऑर्डिनेशन रहे और इस समस्या की जड़ पर चोट की जाए। बकायदा नशे के काम को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने 1 दिन के अंदर 100 एफआईआर दर्ज की थी। हरियाणा पुलिस तत्परता से काम कर रही है। इस मामले में 1000 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई है। पुलिस ने नारकोटिक्स ब्यूरो हरियाणा प्रदेश के अंदर बनाया हैे। यह नशे का जो कारोबार है, उसके मूल नाश के लिए बहुत व्यापक स्तर पर काम कर रहा है और हमें बहुत बड़ी सफलता उसमें मिली है। लेकिन हमारे बॉर्डर के जो जिलें  है उसमें हमें कभी कभी इस तरह की कोई जानकारी मिलती है तो उसके ऊपर तुरंत कार्रवाई होती है। प्रवीण आत्रेय ने कहा कि पुलिस विभाग के आईओ के संस्पेंशन को लेकर कहा कि अगर कोई व्यक्ति सरकारी सेवा में हैं और वो अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर रहा है तो स्वभाविक है उसके ऊपर हमेशा कार्रवाई होती है। ये तो नियमों में डिफाइन्ड है और विभाग अगर नियमों के तहत काम करता है तो उसकी प्रशंसा होनी चाहिए ना कि यह आलोचना का विषय है। 

 

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