स्वास्थ्य संकट: हरियाणा की 51 फीसदी महिलाओं में खून की कमी, इस वजह से हुई शिकार

Edited By Isha, Updated: 22 Aug, 2025 05:50 PM

51 percent of women in haryana suffer from anemia

खाने के साथ और बाद में दूध चाय  पीने से हरियाणा की 51 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है। खून की कमी को एनीमिया कहा जाता है। यह खुलासा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के सर्वे में हुआ है।

चंडीगढ़: खाने के साथ और बाद में दूध चाय  पीने से हरियाणा की 51 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है। खून की कमी को एनीमिया कहा जाता है। यह खुलासा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के सर्वे में हुआ है। इस सर्वे में दस लाख महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई थी। 20 से 49 साल की महिलाएं सबसे ज्यादा एनीमिया से पीड़ित हैं। एनएचएम के 2022-23 के सर्वे में प्रदेश की करीब 59 फीसदी महिलाओं में खून की कमी पाई गई थी।

एनिमिया मुक्त हरियाणा कार्यक्रम की प्रोग्राम ऑफिसर सुनिधि करोल ने कहा कि खानपान का गलत तालमेल एनीमिया बड़ी वजह है। अक्सर लोग पालक के साथ पनीर खाते हैं। पनीर में कैल्शियम होता है जो आयरन को शरीर में ग्रहण नहीं करने देता। इसके अलावा महिलाएं आयरन की गोलियां दूध से खाती हैं। इससे भी आयरन शरीर में अवशोषित नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि हरियाणा में कई लोग खाना खाने के बाद चाय पीते हैं।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के 2019-20 के मुताबिक 6-59 महीने की उम्र के 70.4 फीसदी बच्चे और 15-49 वर्ष की उम्र की 61 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। सर्वेक्षण में बताया गया है कि हरियाणा में 71 प्रतिशत स्कूली बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं। एनएफएचएस का सर्वे हर पांच साल में होता है। एनएफएचएस की सर्वे रिपोर्ट भी जल्द जारी होने वाली है।


दूध पिलाने वाली महिलाओं में 68% महिलाएं एनिमिक मिली

एनएचएम के एनिमिया ट्रैकिंग वेब के मुताबिक 20 से 49 साल की 60 फीसदी महिलाएं सबसे ज्यादा खून की कमी का शिकार हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना है कि 20 से 49 साल की महिलाओं में सबसे ज्यादा खून की कमी पाई जाती है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें मासिक धर्म, गर्भावस्था और पोषण की कमी प्रमुख है। वहीं, छह से 59 माह की 53 फीसदी बच्चे, पांच से नौ साल में 50 फीसदी, गर्भावस्था में 52 फीसदी, दूध पिलाने वाली महिलाओं में 68 फीसदी महिलाएं एनिमिक मिली हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक वीरेंद्र यादव ने कहा कि पिछले सालों की तुलना में सुधार देखने को मिला है, मगर यह स्थिति थति तभी बदलेगी लेगी जब जब लोगों के के व्यवहार में परिवर्तन आएगा। स्कूल स्तर से संपूर्ण आहार की आदत डलवानी होगी। लोगों को आयरन के साथ फोलिक एसिड, विटामिन बी 12 व विटामिन सी से भरपूर आहार लेने होंगे। स्वास्थ्य केंद्रों में जो आयरन की गोलियां दी जाती हैं उससे कोई नुकसान नहीं होता है। उसे भी समय पर लें। प्रदेश में टी-4 कैंपेन यानी टेस्ट, ट्रीट, टॉक व ट्रैक के जरिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। हर तीन महीने पर एनीमिया मुक्त हरियाणा अभियान चलाया जाता है। 

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