प्रदेश के गांवों में कक्षा 8 के 19 फीसदी बच्चे भाग के सवाल भी हल नहीं कर सकते

Edited By Deepak Paul, Updated: 20 Feb, 2019 11:15 AM

19 percent of class 8 students in the villages not solve sum

प्रदेश के गांवों में पढऩे वाले दर्जा 3 के बच्चों में 34.3 फीसदी ऐसे हैं, जो गणित में घटाना तो जानते हैं लेकिन भाग देना नहीं आता। इसी प्रकार कक्षा 8 के 19 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जो संख्याओं का घटना तो जानते हैं लेकिन उन्हें भाग देना नहीं आता। यह तथ्य...

चंडीगढ़(शुक्ल): प्रदेश के गांवों में पढऩे वाले दर्जा 3 के बच्चों में 34.3 फीसदी ऐसे हैं, जो गणित में घटाना तो जानते हैं लेकिन भाग देना नहीं आता। इसी प्रकार कक्षा 8 के 19 फीसदी बच्चे ऐसे हैं, जो संख्याओं का घटना तो जानते हैं लेकिन उन्हें भाग देना नहीं आता। यह तथ्य ‘एन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ग्रामीण)’ की 2018 की रिपोर्ट में दिए गए हैं। 

ए.एस.ई.आर. नामक संगठन देश के ग्रामीण इलाकों में 3 से 16 साल तक के बच्चों के शैक्षणिक स्तर का सर्वे करता है। वह ये भी पता लगाता है कि कितने बच्चे स्कूल जा रहे हैं और कितने नहीं। जो बच्चे स्कूल जाते हैं उनकी पढ़ाई का स्तर कैसा है इत्यादि। वर्ष 2018 में ए.एस.ई.आर. ने देश में 5,46,527 बच्चों पर सर्वे किया।  हरियाणा के 21 जिलों के ग्रामीण इलाकों में किए गए सर्वे में पाया गया कि आठवीं कक्षा के 1.2 फीसदी बच्चे तो 1 से 9 तक की संख्या भी नहीं पहचानते। 3.4 प्रतिशत बच्चे ऐसे थे, जो अंकों को 9 तक तो पहचानते थे लेकिन 10-99 तक या उससे ऊपर की संख्या को नहीं पहचानते। 13.3 फीसदी ऐसे पाए गए, जो 99 तक की संख्या तो पहचानते थे लेकिन 2 अंकों वाली संख्या का 2 अंकों वाली संख्या से घटाना नहीं कर सकते थे। 19 प्रतिशत बच्चे ऐसे थे, जो 2 संख्याओं को घटाना तो जानते थे, लेकिन भाग देना उन्हें नहीं आता।

63.2 फीसदी छात्र ही ऐसे पाए गए, जो उपरोक्त संख्याओं का भाग दे सकते थे।इसी प्रकार, दर्जा 3  में 2.7 फीसदी बच्चे 1-9 तक की संख्या नहीं पहचानते थे। 12.8 फीसदी बच्चे 9 तक संख्या तो पहचानते थे, लेकिन 10 से 99 तक या उससे ऊपर की संख्या को नहीं पहचानते। 30.8 फीसदी बच्चे 99 तक की संख्या पहचानते थे लेकिन 2 संख्याओं को आपस में घटा नहीं सकते थे। 34.3 प्रतिशत बच्चे घटाने के सवाल तो हल कर ले रहे थे लेकिन भाग के सवालों को हल नहीं कर पा रहे थे। 19.4 फीसदी बच्चे ऐसे थे, जो भाग के सवाल कर सकते थे। सर्वे में कक्षा एक से लेकर आठवीं तक के बच्चों को शामिल किया गया। जब 8वीं के छात्रों का ये हाल है तो एक से 7वीं तक के छात्रों का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

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