डिप्थीरिया बीमारी से 12 बच्चों की मौत, जांच में जुटा स्वास्थ्य विभाग

Edited By Shivam, Updated: 14 Sep, 2019 08:05 PM

12 children died due to diphtheria disease department under investigation

जिला में इस वर्ष डिप्थीरिया के कारण दर्जन भर बच्चों की जान जा चुकी हैं। डिप्थीरिया के कारण बच्चों की मौत होने के बाद स्वास्थ्य जांच में जुटा हैं। पिछले वर्ष भी डिप्थीरिया के कारण दो दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी।

मेवात(नूंह मेवात): जिला में इस वर्ष डिप्थीरिया के कारण दर्जन भर बच्चों की जान जा चुकी हैं।  बच्चों की मौत होने के बाद स्वास्थ्य जांच में जुटा हैं। पिछले वर्ष भी डिप्थीरिया के कारण दो दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी। विभाग द्वारा इसके लिए बैठकें आयोजित की जा रही है। इसी संदर्भ में उपायुक्त पंकज की अध्यक्षता में उनके कार्यालय में स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ बैठक का आयोजन किया गया। 

बैठक को संबोधित करते हुए उपायुक्त पंकज ने कहा कि गलघोटू एक खतरनाक बिमारी है। इसके कारण मृत्यु तक हो सकती है। इसके बचाव के लिए जिले के रोगी तुरंत अपने नजदीकी मेडिकल कॉलेज नल्हड़ में चिकित्सकों से संपर्क करें, ताकि वह इस बीमारी से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि बच्चों को बुखार के साथ गले में सूजन आना व सांस लेने में तकलीफ, खाने-पीने में दिक्कत होना गलघोटू (डिप्थीरिया) बीमारी का मुख्य लक्षण होता है। 

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उपायुक्त ने बताया कि इस बीमारी के लक्षण को देखते हुए रोगी तुरंत किसी बड़े अस्पताल में संपर्क करें। नूंह जिले में इस बिमारी का जो विशेष टीका (एण्टी डिक्थरीरियां सिरम) लगाया जाता है, वह नल्हड़ मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि जिस भी रोगी को गलघोटू बिमारी के लक्षण दिखाई पड़ते है तो जल्द से जल्द नल्हड़ मेडिकल कॉलेज में संपर्क करें। उन्होंने बताया कि इस बीमारी का बचाव एक मात्र टीका है।

वहीं जिला टीकाकरण अधिकारी डॉक्टर दुबे ने बताया कि बच्चों में गलघोटू बीमारी होने का मुख्य कारण शिशु को जन्म के समय पूर्ण टीकाकरण नहीं करवाना है। उन्होंने कहा कि यह बिमारी मेवात को छोड़ कर पूरे हरियाणा में बहुत कम होती है, क्योकि प्रदेश के अन्य जिलों में माता-पिता अपने बच्चों को जन्म के समय टीकाकरण का पूरा कोर्स कराते है। इस बिमारी से जिले में कुछ मौतें होने की सूचना मिली है। उन्होंने लोगों से आह्वïन किया कि वे अपनों बच्चों को गलघोटू , काली खांसी, टैटनिश के टीके जन्म के समय अवश्य लगवाएं। बता दें कि गलघोटू की वजह से करीब 12 बच्चों की नूंह जिले में इस वर्ष मौत हो चुकी है। वहीं पिछले साल डिप्थीरिया की वजह से नूंह जिले में दो दर्जन से अधिक बच्चों की जान चली गई थी। 

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