मिट्टी के बिना खेती, अब घर पर ही पैदा होंगी फल-सब्जियां

Edited By Punjab Kesari, Updated: 27 Jun, 2017 04:29 PM

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बिना मिट्टी का प्रयोग किए भी खेती की जा सकती है और मुनाफा कमाया जा सकता है ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हरियाणा के बागवानी विभाग द्वारा नियुक्त तीन दोस्तों

गुरुग्राम: यदि आप अपनी सेहत के लिए जागरुक हैं और आगे किन सब्जियों की तालाश में रहते हैं तो ये खबर आपके लिए है। अब अाप बिना मिट्टी के जहरीले तत्वों रहित सब्जियां घर की छत पर उगा सकते हैं। गुड़गांव के तीन दोस्तों ने नारियल के बुर्रे के साथ सब्जियां उगाने का कारनामा कर दिखाया है हालांकि ये दोस्त इस खेती को व्यापारिक मकसद के लिए कर रहे हैं। लेकिन अब खेती के लिए भविष्य सही नजर आ रहा है क्योंकि इस तकनीक के जरिए हर नागरिक सेट्लाइट रहित सब्जियां उगा सकेगा।

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खेती का भविष्य
जिला बागवानी अधिकारी दीन मोहम्मद खान ने बताया कि यह खेती का भविष्य है। इस विधि में मिट्टी की जगह नारियल फाइबर को पोट्स में भरा जाता है अौर नियंत्रित वातावरण में तरल पोषक तत्व प्रदान किए जाते हैं। वहीं इस परियोजना से जुड़े किसान ध्रुव कुमार का कहना है कि हमें उर्वरकों और कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं है क्योंकि एक नियंत्रित वातावरण में सब्जियां उगाई जाती हैं। हम पराबैंगनी किरणों से सब्जियों को बचाने के लिए एक पॉलिथीन शीट का उपयोग करते हैं।
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तीन दोस्तों ने किया कमाल 
इस प्रोजेक्ट को 2015 में तीन दोस्तों रुपेश सिंगल, अविनाश गर्ग अौर विनय जैन ने सेटअप किया। ये तीनों आई.टी प्रोफैशनल हैं। नियंत्रित वातावरण के लिए इन तीनों ने इनडोर खेती तकनीक का प्रयोग किया। इस तकनीक द्वारा टमाटर, यूरोपियन खीरा, चेरी टमाटर, तुलसी आदि की खेती की। अविनाश का कहना है कि हमने हमारे खेतों में दो रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) जल संयंत्र स्थापित किए हैं। संयंत्र की क्षमता 2,000 लीटर/घंटा है। हमने कृषि उत्पादन के लिए भारी मात्रा में उत्पादन के लिए आरओ जल का उपयोग करने का निर्णय लिया है और इसके लिए पौधों को आवश्यक मात्रा में आवश्यक पोषक तत्व और खनिज सही अनुपात में मिलना अनिवार्य हैं।
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कैसे की जाती है खेती
इस खेती में मिट्टी के स्थान पर नारियल के अवशेष का प्रयोग होता है और इसे छोटे-छाटे बैगों में डालकर पोली हाऊस में सब्जी के पौधे उगाए जाते हैं। नारियल के इस अवशेष को खेती के लिए लगातार तीन साल तक प्रयोग किया जा सकता है। इस तकनीक से लगातार 7 महीनों तक सब्जियों का उत्पादन होता है। बिना मिट्टी के खेती करने का तरीका हाइड्रोपोनिक्स कहलाता है। इसमें फसलें उगाने के लिए द्रव्य पोषण या पौधों को दिए जाने वाले खनिज पहले ही पानी में मिला दिए जाते हैं।
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हाइड्रोपोनिक जैविक खेती के लाभ 
हाइड्रोपोनिक जैविक खेती के कई लाभ हैं। इस खेती के लिए कम पानी के साथ-साथ बहुत कम जगह की आवश्यकता होती है और यहां तक कि खिड़कियां, बालकनियों, छतों पर भी इस तकनीक से सब्जियां उगाई जा सकती हैं । सबसे अहम बात इस इस तकनीक से सुरक्षित अौर अच्छी फसलों का उत्पादन होता है। इस तकनीक से उगाई गई फसल कीटनाशकों से मुक्त होती है और पैदावार अधिकतम पोषक तत्वों के साथ बेहतर गुणवत्ता वाली होती है ।
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हाइड्रोपोनिक जैविक खेती में कुछ कमियां
इस तकनीक के जहां फायदे हैं वहीं कुछ कमियां भी हैं। हर कोई हाइड्रोपोनिक खेती पर होने वाले खर्चों को हैंडल नहीं कर सकता। इसे अच्छी देखभाल और रख रखाव की आवश्यता होती है।
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बहरहाल अब लोग पारंपरिक खेती को छोड़ आधुनिक तरीकों से फसलों को उगाने में लग गए हैं। इस तकनीक से फसलों को खेतों के बजाय बहुमंजिला इमारतों में उगाया जाएगा जहां कम मिट्टी औऱ पानी से अच्छी फसलों का उत्पादन होगा।


 

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