Edited By Deepak Kumar, Updated: 24 Jan, 2025 08:18 PM
हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल की गई EVM के सत्यापन की मांग करने वाली कांग्रेस नेता करण दलाल की याचिका पर 11 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ सुनवाई करेगी।
डेस्कः हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान इस्तेमाल की गई EVM के सत्यापन की मांग करने वाली कांग्रेस नेता करण दलाल की ओर से दी गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अब 11 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ हरियाणा के पूर्व मंत्री और पांच बार विधायक रह चुके करण सिंह दलाल की याचिका पर सुनवाई करेगी, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के सत्यापन के लिए नीति बनाने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि इस मामले को इसी तरह की याचिकाओं के साथ मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि यह मामला मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष रखा जा सकता है।
ईवीएम के सत्यापन के लिए दलाल ने डाली है याचिका
कांग्रेस के 5 बार MLA रहे दलाल ने ईवीएम के सत्यापन के लिए नीति बनाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में शीर्ष अदालत की ओर से दिए गए पहले के फैसले का अनुपालन करने की मांग की है। दलाल और सह-याचिकाकर्ता लखन कुमार सिंगला ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में दूसरे सबसे अधिक वोट हासिल किए और उन्होंने चुनाव आयोग को ईवीएम के चार घटकों - कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट, वीवीपीएटी और सिंबल लोडिंग यूनिट की मूल "बर्न मेमोरी" या माइक्रोकंट्रोलर की जांच के लिए एक प्रोटोकॉल लागू करने का निर्देश देने की मांग की है।
अप्रैल 2024 में दिए थे ये निर्देश
न्यायमूर्ति खन्ना (अब सीजेआई) और न्यायमूर्ति दत्ता की पीठ ने अप्रैल 2024 में एक निर्देश पारित किया था कि चुनाव में दूसरे और तीसरे सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाले उम्मीदवारों द्वारा लिखित अनुरोध पर चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच प्रतिशत ईवीएम का ईवीएम निर्माताओं के इंजीनियरों द्वारा सत्यापन किया जाना चाहिए।उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों को इस कार्य के समय उपस्थित रहने का विकल्प दिया गया है।
याचिका के अनुसार, चुनाव आयोग द्वारा जारी मौजूदा मानक संचालन प्रक्रिया (SoP) में केवल बुनियादी निदान परीक्षण और मॉक पोल शामिल हैं, जिसमें बर्न मेमोरी में छेड़छाड़ की जांच नहीं की जाती है। ईवीएम के निर्माता भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) के इंजीनियरों की भूमिका कथित तौर पर मॉक पोल के दौरान वीवीपैट पर्चियों की गिनती तक सीमित है। याचिका में कहा कि इस दृष्टिकोण से मशीनों की अखंडता की गहन जांच नहीं हो पाती।
ईवीएम सत्यापन के लिए की मजबूत तंत्र की मांग
दलाल और सिंगला ने कहा कि उनकी याचिका में चुनाव परिणामों को चुनौती नहीं दी गई है, बल्कि ईवीएम सत्यापन के लिए एक मजबूत तंत्र की मांग की गई है। परिणामों को चुनौती देने वाली अलग-अलग चुनाव याचिकाएं पहले से ही पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं। याचिकाकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय से चुनाव आयोग को 8 सप्ताह के भीतर सत्यापन अभ्यास करने का निर्देश देने का आग्रह किया है।
(पंजाब केसरी हरियाणा की खबरें अब क्लिक में Whatsapp एवं Telegram पर जुड़ने के लिए लाल रंग पर क्लिक करें)