Edited By Deepak Paul, Updated: 23 Jan, 2019 03:00 PM

महाभारत और गीता संदेश के लिए प्रख्यात कुरुक्षेत्र जिला 46 वर्ष का हो गया है। 23 जनवरी, 1973 में सरकार के नोटीफिकेशन से कुरुक्षेत्र जिले का गठन किया गया था। इन गुजरे वर्षों में कुरुक्षेत्र ने धार्मिक, ऐतिहासिक तथा शिक्षा की दृष्टि से अभूतपूर्व सफलता...
कुरुक्षेत्र(धमीजा): महाभारत और गीता संदेश के लिए प्रख्यात कुरुक्षेत्र जिला 46 वर्ष का हो गया है। 23 जनवरी, 1973 में सरकार के नोटीफिकेशन से कुरुक्षेत्र जिले का गठन किया गया था। इन गुजरे वर्षों में कुरुक्षेत्र ने धार्मिक, ऐतिहासिक तथा शिक्षा की दृष्टि से अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। बस जो कमी रह गई, वह औद्योगिक दृष्टि से 46 वर्ष बाद भी पिछडऩे के रूप में रही। यहां के पढ़े-लिखे युवक-युवतियों को नौकरी के लिए दूसरे महानगरों में जाना पड़ रहा है। 23 जनवरी, 1973 से पूर्व कुरुक्षेत्र तथा कैथल करनाल जिले का अंग थे। तब कुरुक्षेत्र थानेसर के रूप में सब-डिवीजन था।
लोगों को अपने प्रशासनिक कार्य करवाने हेतु करनाल जाना पड़ता था। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. गुलजारी लाल नंदा के प्रयासों से कुरुक्षेत्र को जिले का दर्जा 23 जनवरी, 1973 को प्राप्त हुआ। तब कैथल कुरुक्षेत्र के अधीन सब-डिवीजन बन गया।
जिले के विकास में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का योगदान
हरियाणा की आजादी के 2 वर्ष बाद 1968 में पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा की अध्यक्षता में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की स्थापना हुई। उनके समकालीन मुख्यमंत्रियों ने कुरुक्षेत्र के विकास के लिए धन प्रदान किया। नंदा के निधन के बाद कुरुक्षेत्र विकास की बागडोर हरियाणा के राज्यपालों ने सम्भाली और इसके विकास में सहयोग किया। कुरुक्षेत्र के डा. हिम्मत सिंह सिन्हा, विजय सभ्रवाल, कृष्ण बजाज के अनुसार वर्ष 1973 से पहले कुरुक्षेत्र में बस अड्डा रेलवे स्टेशन के पास पड़ी खाली जमीन पर होता था।
बसों की संख्या कम होने के कारण लोग तांगों की सवारी करते थे। कुरुक्षेत्र जिला बनने के पश्चात स्वतंत्रता दिवस पर पुरानी तहसील में तत्कालीन कृषि मंत्री भजन लाल ने तिरंगा फहराया था। उस समय संसदीय सीट कुरुक्षेत्र न होकर कैथल थी जहां से गुलजारी लाल नंदा सांसद चुने गए थे। थानेसर के तत्कालीन विधायक ओमप्रकाश गर्ग थे। बीते 46 वर्षों में कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर का अभूतपूर्व विकास हुआ, वहीं ज्योतिसर तीर्थ, शेख चेहली मकबरा, भद्रकाली मंदिर, स्थाणवीश्वर मंदिर, दुखभंजन मंदिर की कायाकल्प हुई। रेलवे ओवरब्रिज, कल्पना चावला तारामंडल, पैनोरमा, श्रीकृष्ण संग्रहालय व तिरुपति बालाजी मंदिर जैसी सौगातें मिलीं।