Edited By Mohammad Kumail, Updated: 29 Nov, 2023 05:03 PM
पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने में कृषि विभाग काफी हद तक अपने प्रयासो में सार्थक साबित हुआ है...
यमुनानगर (सुरेंद्र मेहता) : पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने में कृषि विभाग काफी हद तक अपने प्रयासो में सार्थक साबित हुआ है। जिला कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आत्मा राम गोदारा ने अपने कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि गत वर्ष जिले में हारसेक द्वारा एक्टिव फायर लोकेशन (एएफएल) चिन्हित हुए, जिसके बाद सरकार ने ग्रामीण विकास में प्रयासरत संस्थां डिलोईट इंडिया ने अपने जागरुकता प्रयास में तेजी दिखाते हुए लोगों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों से अवगत करवाया और ऐसे मामलों में कटौती लाने का प्रयास किया। अब तक गत वर्ष की तुलना अभी तक एएफएल में 35 फीसदी की कटौती दर्ज हुई है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अब तक मात्र 96 मामले ही सामने आए जो कि इस बात का सूचक है कि किसान वर्ग अब पराली प्रबंधन से भली भांती अवगत होता नजर आ रहा है।
गोदारा ने बताया कि पराली जलाने से न केवल भूमि की उर्वरकता खत्म होती है बल्कि उत्पन्न प्रदूषण क्षेत्र के लाखों लोगों की सेहत को प्रत्यक्ष रुप से हानि पहुंचाता है। यह प्रदूषण मात्र इसी स्थान तक ही नहीं सीमित रहता बल्कि पड़ोसी राज्यों जैसे दिल्ली और यूपी को भी नुकसान पहुंचाता है। सितंबर से नवंबर तक खरीफ की फसल कटाई के दौरान अपनी अगली फसल को उगाने के लिये किसान कई लोजेस्टिकल समास्याओं का सामना करते हैं। इसलिये किसान अक्सर खेत के अवशेषों को जलाने में सरल तरीका ढूंढते हैं जिससे की हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में एक्टिव फायर लोकेशन (एएफएल) के रुप में उभरते हैं।
किसानों को कृषि यंत्र साथी ऐप के माध्यम से बेलर्स और सुपरसीडर्स समय पर उपलब्ध करवा उन्हें सशक्त बनाने का भी प्रयास किया गया। लघु किसानों को प्राथमिक रुप से सर्विस देकर उन्हें इस ऐप के माध्यम से मशीनें उपलब्ध करवाई।
आत्माराम गोदारा का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में एक चुनौती जो उन्हें मिली, वह यह है कि यमुनानगर जिले में बड़े पैमाने में उद्योगों की कमी जहां पराली को एक ईंधन के रुप में इन उद्योगों में इस्तेमाल किया जा सके। इस समास्या को ध्यान में रखते हुए डिलाईट ने जिले और प्रदेश के बाहर अनेक उद्योगों को चिन्हित कर एक नैटवर्क बनाया जहां किसानों को पराली का उचित दाम उन्हें मिल सके। पराली से उत्पन्न उर्जा ईंट, न्यूजप्रिंट यहां तक की सीएनजी बनाने के उपयोग में लाई जा रही है। इस प्रयास से न केवल किसान आर्थिक रुप से मजबूती पा रहे हैं बल्कि उर्जा का एक ओर स्त्रोत भी कारगर साबित हो रहा है। कृषि विभाग के उपकृषि निदेशक ने अपने फील्ड स्टाफ, किसानों और डिलोईट की सपोर्ट टीम द्वारा किये गये प्रयासों की सराहना की।
(हरियाणा की खबरें अब व्हाट्सऐप पर भी, बस यहां क्लिक करें और Punjab Kesari Haryana का ग्रुप ज्वाइन करें।)
(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)