सरकार और अधिकारियों की लापरवाही से  इस बार भी मोरनी क्षेत्र के दर्जनों गांव जल संकट से जूझ रहे :विजय बंसल

Edited By Isha, Updated: 07 Jun, 2024 04:46 PM

this time also dozens of villages in morni area are facing water crisis

हर वर्ष की भांति इस बार भी सरकार और अधिकारियों की लापरवाही के कारण कालका विधानसभा के पहाड़ी क्षेत्र मोरनी के दर्जनों गांव के निवासी भीषण गर्मी के मौसम में जल संकट से जूझ रहे हैं यहां पर लोग पानी की एक-एक बूंद को तरस रहे हैं।

चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी):  हर वर्ष की भांति इस बार भी सरकार और अधिकारियों की लापरवाही के कारण कालका विधानसभा के पहाड़ी क्षेत्र मोरनी के दर्जनों गांव के निवासी भीषण गर्मी के मौसम में जल संकट से जूझ रहे हैं यहां पर लोग पानी की एक-एक बूंद को तरस रहे हैं।

शिवालिक विकास मंच प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व चेयरमैन एडवोकेट विजय बंसल ने कहां की वर्ष 2006 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा मंजूर गत कई वर्षों से मोरनी एवं आसपास के इलाकों में पानी की समस्या के समाधान के मध्यनजर मोरनी की नदियों पर डैम बनाने की योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा रहा है।

जो की एकमात्र इसी योजना से ही जल संकट दूर हो सकता है। जबकि इस विषय में एडवोकेट विजय बंसल ने मुख्यमंत्री सहित संबंधित विभाग अधिकारियों को कई बार पत्र भी लिखा। गत वर्ष भी मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर नदियों पर बांध बनाने और मोरनी के दर्जनों गांव में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में लगाए गए हैंडपंपो की रिपेयर करने की मांग भी की थी जो पिछले कई वर्षों से खराब पड़े हुए हैं। लेकिन आज तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।


 विजय बंसल एडवोकेट ने कहा कि मोरनी के ग्रामीण लोगों की हालत यह है कि कई कई दिनों तक यहां पानी नहीं आ रहा। पानी की एक-एक बूंद के लिए लोग त्राहि त्राहि कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां एक और सरकार ने मोरनी क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियां बढ़ाने के लिए काम करने के वादे किए थे लेकिन स्थानीय निवासी ही पानी को तरस रहे हैं।

 एडवोकेट विजय बंसल ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा पिछले 10 वर्ष के कार्यकाल के दौरान मोरनी में लोगों को पानी, सड़के, स्कूल, अस्पताल जैसी अन्य मूलभूत सुविधाएं नहीं दे रही है इसी कारण से मोरनी से लगभग 25% की आबादी पलायन कर आसपास के शहरों में जाकर बस चुकी ह बावजूद इसके सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही।


गौरतलब है कि शिवालिक विकास मंच हरियाणा प्रदेश के अध्यक्ष एवं पूर्व चेयरमैन हरियाणा सरकार एडवोकेट विजय बंसल द्वारा गत वर्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को नदियों पर डैम बनाने के लिए भेजे ज्ञापन के जवाब में सीएमओ ने इरीगेशन वाटर रिसोर्सेज विभाग को लेटर लिखकर आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देश दिए थे।

   विजय बंसल एडवोकेट ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन में बताया था कि हरियाणा के एकमात्र पहाड़ी क्षेत्र मोरनी में अनेकों बरसती नदिया बहती है जिनमे बरसात के पानी से अत्याधिक मात्रा में होता है जोकि मैदानी क्षेत्र में जाकर पानी के तेज बहाव से बाढ़ जैसी स्थिति भी पैदा करता है। ऐसे में टांगरी नदी पर आरसीसी डैम लगाकर मोरनी वासियों को पेयजल एवं सिंचाई सुविधाए उपलब्ध करवाने के लिए पूर्व चेयरमैन विजय बंसल एडवोकेट ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांग की थी। इसके साथ ही डगराना, छामला, दीवानवाला, खेतपुराली नदियों पर डैम बनाने की भी मांग की थी।

विजय बंसल ने कहा कि इनमे प्रमुख रूप से टांगरी नदी है जोकि हरियाणा के जिला अंबाला एवम दक्षिण हरियाणा तथा पंजाब के क्षेत्रों में बाढ़ का कारण बनती है,यदि इस टांगरी नदी पर बंक नाम स्थान पर जहां इस नदी का बहाव तंग है और दोनो ओर पहाड़ है वजन पर आरसीसी डैम लगाकर स्थानीय लोगो को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाया जा सकता है जिसमे जल भंडारण का क्षेत्र चार से पांच किमी तक हो सकेगा और निचले मैदानी क्षेत्र में बाढ़ का खतरा भी कम होगा। 

विजय बंसल ने कहा कि इस क्षेत्र में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा भी पेयजल नलकूपों की करोड़ों की परियोजनाएं लगाई है जोकि असफल साबित हुई है जिसमें जनता के करोड़ों रुपए बर्बाद हो गए हैं क्योंकि मोरनी जैसे ऊंचे पहाड़ी क्षेत्र में ट्यूबवेल लंबे समय तक नहीं चल सकते। यहां केवल एकमात्र नदियों पर बांध बनाकर ही पानी को स्टोर किया जा सकता है जिसे पाइप द्वारा उठाकर गांवो को सप्लाई दी जा सकती है। इस पहाड़ी क्षेत्र में यही एकमात्र समाधान है लेकिन सरकार और अधिकारी न जाने इस योजना को क्यों ठंडे बस्ते में डाले हुए हैं।

इसके साथ ही छामला बांध के निर्माण के लिए भी मुख्य मंत्री द्वारा अनेकों घोषणाएं की गई परंतु अब तक उसे भी अमल में नहीं लाया गया जबकि इस छामला बांध के निर्माण का मामला घग्गर स्टेंडिंग कमेटी के पास विचाराधीन है। ऐसे में टांगरी नदी पर बांध का निर्माण किया जाना अति आवश्यक है। एडवोकेट विजय बंसल ने कहा कि हैरानी की बात है कि वर्ष 2006 में सरकार ने छामला डैम को मंजूरी दी थी उस पर अभी तक आगे की कोई कार्यवाही नहीं हुई।

 विजय बंसल के पत्र के जवाब में पिछली वर्ष जून महीने में मुख्यमंत्री एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एम असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अर्बन इंजीनियर इन चीफ ने एडीशनल चीफ सेक्रेट्री इरिगेशन वाटर रिसोर्सेज पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट को पत्र लिखकर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। विजय बंसल ने कहा कि अब बांध निर्माण के रास्ते खुल गए हैं। डैम निर्माण से जल्द ही कालका, पिंजोर, मोरनी बरवाला, रायपुररानी क्षेत्र में ना केवल सिंचाई और पीने के पानी की किल्लत दूर होगी बल्कि तेजी से गिरते जा रहे भूमिगत जल स्तर में भी सुधार होगा।

 

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