SYL: हरियाणा अपने हिस्से का एक बूंद पानी भी नहीं छोड़ेगा: भूपेंद्र सिंह हुड्डा

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 06 Sep, 2022 05:55 PM

syl haryana will not spare even a of water for its share hooda

हुड्डा ने कहा कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री कई बार बैठक कर चुके हैं, लेकिन इस विवाद का कोई समाधान नहीं निकला है। इसलिए एक बार फिर से मुख्यमंत्रियों की बैठक से एसवाईएल का समाधान नहीं होगा।

दिल्ली(कमल कंसल): सतलुज-यमुना लिंक विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद अब राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आनी भी शुरू हो गई हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा अपने हिस्से का एक बूंद पानी भी नहीं छोड़ेगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है, उसे इंप्लीमेंट करने की जिम्मेदारी हरियाणा और पंजाब सरकार का है। हुड्डा ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर हमने पहले राष्ट्रपति से मुलाकात भी की थी। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया भी था।

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फैसला ना मानने वालों पर चले अवमानना का केस

 

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को हुई सुनवाई में कहा कि दोनों सरकारें इस मुद्दे को केंद्र सरकार की मध्यस्थता से सुलझाएं। कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री जल शक्ति मंत्रालय के साथ इस महीने के अंत तक एक मीटिंग कर इस मुद्दे पर बात करें। इसी के साथ इस बैठक की रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट में दायर करनी होगी। रिपोर्ट सबमिट करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है। इस फैसले पर हुड्डा ने कहा कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री कई बार बैठक कर चुके हैं, लेकिन इस विवाद का कोई समाधान नहीं निकला है। इसलिए एक बार फिर से मुख्यमंत्रियों की बैठक से एसवाईएल का समाधान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ना मानने पर अब कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जाना चाहिए।

 

दोनों राज्यों के जल विवाद में केंद्र कर रहा मध्यस्थता

 

1966 में पंजाब से अलग होकर हरियाणा का गठन होने के साथ ही सतलुज-यमुना लिंक के विवाद का भी जन्म हो गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में 1982 में नहर का सतलुज को यमुना से जोड़ने के लिए नहर का निर्माण शुरू भी हो गया था। उन्होंने पंजाब के पटियाला जिले के कपूरी गांव में इसकी शुरुआत की थी। इसके तहत 214 किमी लंबी नहर बनाई जानी है। नहर का 122 किलोमीटर  हिस्सा पंजाब में है और बाकी 92 किमी हिस्सा हरियाणा में बनना है। हालांकि दोनों राज्यों के बीच विवाद के चलते यह योजना दशकों से लंबित है। बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दोनों राज्यों की मध्यस्थता करते हुए इस विवाद को सुलझाने का फरमान सुनाया था। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल और पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच बैठक हुई भी थी, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया था। 

 

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