हरियाणा का हिस्सा देने को तैयार नहीं पंजाब, स्पीकर अब शाह से हस्तक्षेप करने का करेंगे आग्रह

Edited By vinod kumar, Updated: 28 May, 2020 03:36 PM

पिछले 53 साल से पंजाब विधानसभा ने हरियाणा विधानसभा के 20 कमरों पर कब्जा किया हुआ है। इन कमराें काे वापस लेने के लिए हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने पंजाब विधानसभा अध्यक्ष राणा केपी सिंह से मुलाकात भी की थी। जबकि पंजाब विधानसभा अध्यक्ष...

चंडीगढ़ (धरणी): पिछले 53 साल से पंजाब विधानसभा ने हरियाणा विधानसभा के 20 कमरों पर कब्जा किया हुआ है। इन कमराें काे वापस लेने के लिए हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने पंजाब विधानसभा अध्यक्ष राणा केपी सिंह से मुलाकात भी की थी। जबकि पंजाब विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर भी पंजाब की और से कब्जाए गए कमरों का ब्यौरा उपलब्ध करवाया गया था। लेकिन बावजूद इसके पंजाब हरियाणा विधानसभा को उसका हिस्सा देने को तैयार नहीं है।

हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता पंजाब के इस व्यवहार पर गंभीर नजर आ रहे है। इसके लिए वे कानूनी सलाह लेने के साथ -साथ चंडीगढ़ के प्राशासक और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी हस्तक्षेप करने का आग्रह करेंगे।

ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि इस मामले में उन्होंने 6 माह पहले हरियाणा विधानसभा के सचिव सहित पंजाब विधानसभा अध्यक्ष राणा केपी सिंह से मुलाकात की थी। उन्होंने उनसे निवेदन किया था कि विधानसभा का 40 प्रतिशत हिस्सा हरियाणा को मिला था। जिसमें से 27 प्रतिशत हिस्सा ही हरियाणा को मिला है जबकि 13 प्रतिशत हिस्सा अभी भी पंजाब विधानसभा के पास है। जिसमें 25 कमरे ऐसे है जो हरियाणा के लिए चिन्हित है। लेकिन वह आज तक हरियाणा को नहीं मिले है।

गुप्ता ने कहा कि इसके लिए उन्होंने पंजाब विधानसभा अध्यक्ष को आग्रह किया, लेकिन अब उन्हें मीडिया के जरिए पता चला कि पंजाब विधानसभा अध्यक्ष ने हरियाणा को ये कमरे देने के लिए मना कर दिया है। उन्होंने कहा कि ये पंजाब और हरियाणा में हुए अग्रीमेंट का उल्लंघन है, जो दुर्भायपूर्ण है। 

उन्हाेंने कहा कि पहले 1966 में हरियाणा विधानसभा के 54 सदस्य थे, लेकिन आज उनकी संख्या 90 हो चुकी है, जबकि स्टाफ जो पहले 125 का था। आज हरियाणा विधानसभा के स्टाफ की संख्या भी 350 से अधिक हो चुकी है। गुप्ता ने बताया कि हरियाणा को मिलने वाले 40 प्रतिशत हिस्से में से विधानसभा का 13 प्रतिशत हिस्सा अभी भी पंजाब के पास है जो लगभग 5 हजार स्क्वायर फीट है। उन्होंने कहा कि इसके लिए वह हरियाणा सरकार के मुख्य अधिवक्ता से कानूनी सलाह लेंगे या चंडीगढ़ के प्राशासक से मिलकर वह हरियाणा का हिस्सा दिलवाने के आग्रह करेंगे। जबकिं अगर यहां बात नहीं बनती तो वह मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बात करके केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी इस मामले में  हस्तक्षेप करने का आग्रह करेंगे।

वहीं इस दौरान हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने हरियाणा एमएलए होस्टल में लंबे समय तक कब्जा रखने वाले विधायकों की बकाया राशि की रिकवरी पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि एमएलए होस्टल के अंदर अनियमताओं का विषय सामने आया था। जिन्हें देखते हुए हरियाणा विधानसभा ने एमएलए होस्टल के कर्मचारियों को विधायकों पर बकाया राशि कैलकुलेट करके बताने के लिए कहा था। जिसमें 15 विधायकों की तरफ एमएलए होस्टल की 5 लाख 53 हजार  के करीब बकाया राशि बनती थी।

जिसके बाद उन्होंने विधायकों को नोटिस भी भेजे। जिस पर विधायकों ने इस पर जवाब देते हुए कानून की जानकारी न होने की वजह से ऐसा होने की बात कही थी और इसपर पुनः विचार का आग्रह किया था। जिस विषय पर विधानसभा की आवास सम्मति ने निर्णय करते हुए विधायकों पर एमएलए होस्टल की बनती आधी राशि माफ करने का फैसला किया है। जिसके अनुसार अब विधायकों के खाते  2 लाख 75 हजार के करीब राशि विधानसभा को ट्रांसफर होगी।

लॉकडाउन के दौरान पूर्व विधायक सतविंदर राणा के एमएलए होस्टल के नजदीक से पकड़े जाने पर उन्हाेंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जबसे लॉकडाउन हुआ है हमने किसी भी विधायक या अन्य व्यक्ति के लिए एमएलए होस्टल का कोई भी कमरा न देने के आदेश जारी किए है। जबकि एमएलए होस्टल की कैंटीन भी पूरी तरह से बंद रखी गई है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान हमने सख्ती से नियमो का पालन किया है जबकि अगर कोई व्यक्ति एमएलए होस्टल के बाहर पार्क से पकड़ा जाए  तो वह एक सार्वजनिक स्थान है जहां कोई भी आ जा सकता है।

 

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