लाकडाउन के दौरान ब्लड बैंक में आई खून भारी कमी को हमारी टीम ने पूरा किया: पीसी शर्मा

Edited By Shivam, Updated: 24 Jan, 2021 12:47 AM

pc sharma said our team fulfilled massive blood loss in the blood bank

चंडीगढ़ पीजीआई के चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर जिनके नेतृत्व में करीब 6000 लोगों की टीम काम करती है। पीजीआई के चप्पे-चप्पे पर इनकी नजर रहती है। उस शख्स का नाम है पीसी शर्मा, जो न केवल खुद 56 बार रक्तदान कर चुके हैं, बल्कि इस काम के लिए लोगों को जागरूक करते...

चंडीगढ़ (धरणी): चंडीगढ़ पीजीआई के चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर जिनके नेतृत्व में करीब 6000 लोगों की टीम काम करती है। पीजीआई के चप्पे-चप्पे पर इनकी नजर रहती है। उस शख्स का नाम है पीसी शर्मा, जो न केवल खुद 56 बार रक्तदान कर चुके हैं, बल्कि इस काम के लिए लोगों को जागरूक करते रहते हैं। 18 साल से वह पीजीआई चंडीगढ़ में रक्तदान शिविर लगा रहे हैं, जिसमें हर साल करीब 500 से 800 लोग न केवल रक्तदान करते हैं, बल्कि इसके साथ ही सैकड़ों लोग ऑर्गन डोनेशन के लिए भी अपनी सहमति दे चुके हैं। जो अस्पताल में गंभीर स्थिति में आता है, लेकिन उसके साथ कोई सगा संबंधी भी खून देने वाला नहीं होता। ऐसे लोगों की जरूरत को पूरा करने के लिए पीसी शर्मा निश्चय कर चुके हैं कि वह हर साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन करेंगे और लोगों की सेवा तत्पर हमेशा करते रहेंगे। आज पंजाब केसरी ने पीजीआई के सिक्योरिटी चीफ ऑफिसर पीसी शर्मा के साथ खास बातचीत की, जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न:- 18वां रक्त दान शिविर का आयोजन हर साल की तरह आपके द्वारा किया गया। करीब कितनी यूनिट इसमें डोनेट किए जाने की उम्मीद है?
उत्तर:- 500 के करीब लोग अभी तक डोनेट किया। साथ ही हमारे इस ब्लड डोनेशन के साथ-साथ काफी 100 लोगों ने  ऑर्गन डोनेशन के लिए भी फॉर्म भर कर अपनी सहमति दे चुके हैं।

प्रश्न:- रक्तदान शिविर की प्रेरणा आखिर आपको कहां से मिली?
उत्तर:- मैं लगातार 1948 से खुद रक्तदान कर रहा हूं। 56 बार मैं ब्लड डोनेट कर चुका हूं। परंतु जब मैंने पीजीआई में आकर ज्वाइन किया तो मैंने यहां देखा कि बहुत से मरीजों के साथ सगे-संबंधी नहीं होते और उन्हें ब्लड की अति आवश्यकता होती है। उनकी परेशानी को देखते हुए मैंने प्रेरणा ली और मैंने ब्लड बैंक की टीम से बात करके निश्चय किया कि हर साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती के अवसर पर हम एक मेगा कैंप लगाएंगे, ताकि उन लोगों की जरूरत पूरी हो सके, जिनके साथ में कोई भी ब्लड देने वाला नहीं होता। पिछले 18 सालों से हम यह कैंप लगातार लगा रहे हैं। इसमें 500 से 800 लोग हर साल ब्लड दान करते हैं। 100 से ज्यादा लोग ऑर्गन डोनेशन के लिए अपनी सहमति फार्म भर कर देते हैं। इस बार कोरोना की गाइडलाइन को फॉलो करने के लिए हमने इसे थोड़ा सा लो प्रोफाइल रखा है, इसलिए इस बार डोनेशन थोड़ा कम है। जो बाहर से आने वाले लोग थे उनसे हमने फोन करके न आने की विनती की है।

प्रश्न:- चंडीगढ़ पीजीआई पर करीब 7-8 प्रदेशों के लोग आश्रित हैं। कोरोना कॉल के पीरियड में काफी चुनौती आपके लिए रही होगी?
उत्तर:- बिल्कुल, उस समय हमारी टीम के लिए भारी चुनौती थी, क्योंकि जो भी मरीज यहां आता है, उसका सबसे पहले वास्ता सिक्योरिटी गार्ड से पड़ता है। जो गेट पर खड़ा है, जो बिल्डिंग एंट्री पर खड़ा है या वार्ड पर खड़ा है। सरकार की गाइडलाइन को फॉलो करवाना हमारी जिम्मेदारी थी। हर आदमी को इंश्योर करना कि वह मास्क पहने, जिसके पास मास्क नहीं था, उसे अस्पताल की तरफ से मास्क दिया जाता था। हैंड सैनिटाइजर आते-जाते वक्त करवाए जाते थे। सोशल डिस्टेंसिंग के लिए हर समय पेट्रोलिंग टीम घूमती रहती थी। सभी गाइडलाइन को लगातार फॉलो किया गया। यह वक्त हमारी टीम के लिए बहुत बड़ा चैलेंज था। लेकिन हमारी टीम ने बहुत जिम्मेदारी से इसे निभाया।

प्रश्न:- उस समय तो रक्त की अति आवश्यकता थी। क्या उस समय भी आप के जवान सामने आए?
उत्तर:- लॉकडाउन के समय कहीं पर भी कोई ब्लड डोनेशन कैंप नहीं हो रहे थे और ब्लड डोनेट के लिए भी कोई आगे नहीं आ रहा था। जब ब्लड बैंक की तरफ से ब्लड की शॉर्टेज को लेकर हमारे पास मैसेज आया तो मेरे पास जो लगभग 6500 लोगों का डाटा है, उन्हें फोन करके हमने रिक्वेस्ट करके बुलाया। उस समय हमारी टीम के बहुत से लोगों ने ब्लड डोनेट किया और जरूरतमंद लोगों जिनके पास कोई ब्लड डोनर नहीं था, ब्लड बैंक में भी ब्लड की भारी कमी थी, उस समय हमारी टीम ने जरूरत पूरी की थी।

प्रश्न:- आप यहां के सिक्योरिटी चीफ हैं। आप के जवानों की वर्किंग क्या रहती है?
उत्तर:- सुबह 7 से दोपहर 3 बजे तक, दोपहर 3 से 11 तक और फिर रात 11 से सुबह 7 बजे तक यानि 8 घंटे की यहां शिफ्ट ड्यूटी होती है। हर सेंसेटिव एरिया पर सिक्योरिटी गार्ड है। सिक्योरिटी के अलावा ट्रैफिक मैनेजमेंट, क्राउड मैनेजमेंट और अस्पताल की प्रॉपर्टी का टेक केयर करना भी सिक्योरिटी गाड्र्स की जिम्मेदारी होती है और साथ ही इंस्टिट्यूट की फाइलों की सेफ्टी करना भी हमारी जिम्मेदारी रहती है। हमारे पास डेडीकेटेड फायर कंट्रोल रूम है। डेडीकेटेड सिक्योरिटी रूम है जो 24 घंटे वर्किंग में रहता है और हमारे ऑफिसर उन को मैनेज करते हैं।

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