हरियाणा के किसान की बदली किस्मत, ये खेती कर कमा रहे लाखों रुपये

Edited By Deepak Kumar, Updated: 22 Jun, 2025 04:19 PM

haryana farmer yogendra yadav is earning lakhs from mushroom farming

महेंद्रगढ़ जिले के खायरा गांव निवासी किसान योगेंद्र यादव ने जल संकट को अवसर में बदलते हुए महज 4 साल में मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। आज उनकी वार्षिक आय 55 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है, और वे 1100 क्विंटल मशरूम का उत्पादन कर रहे...

डेस्कः महेंद्रगढ़ जिले के खायरा गांव निवासी किसान योगेंद्र यादव ने जल संकट को अवसर में बदलते हुए महज 4 साल में मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। वर्ष 2022 में भूजल गिरने से जब खेत का बोरवेल ठप्प हो गया, तो योगेंद्र ने पारंपरिक खेती छोड़कर मशरूम उत्पादन की ओर रुख किया। आज उनकी वार्षिक आय 55 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है, और वे 1100 क्विंटल मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं।

टैक्सी ड्राइवर से प्रगतिशील किसान तक का सफर

योगेंद्र यादव ने 2005 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद कई बार सरकारी नौकरी के प्रयास किए। असफल रहने पर उन्होंने गुरुग्राम में टैक्सी चलाना शुरू किया। कुछ वर्षों बाद नौकरी छोड़कर अपने गांव लौटे और तीन एकड़ भूमि पर खेती शुरू की। लेकिन 2022 में पानी की कमी ने उन्हें खेती के पारंपरिक तरीकों पर पुनर्विचार के लिए मजबूर किया। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र महेंद्रगढ़, मशरूम सेंटर मुरथल व गुरुग्राम से प्रशिक्षण लेकर 'महेंद्रगढ़ मशरूम फार्म' की शुरुआत की। पहले साल उन्होंने 20 क्विंटल उत्पादन से ढाई लाख रुपये की आय अर्जित की। 2023 में यह बढ़कर 200 क्विंटल और 15 लाख रुपये की आय हो गई।

आधुनिक तकनीक से बढ़ाया उत्पादन

2024 में खाद यूनिट की स्थापना के साथ ही उत्पादन 900 क्विंटल तक पहुंच गया और आय 25 लाख रुपये हुई। इसके बाद दो नई आधुनिक यूनिट शुरू की गईं, जिससे उत्पादन 1100 क्विंटल और आय 55 लाख रुपये वार्षिक हो गई। अब उनका लक्ष्य अगले वर्ष तक 1500 क्विंटल उत्पादन का है। हर सप्ताह तीन दिन दिल्ली, गुरुग्राम और रेवाड़ी में ताज़ा मशरूम की आपूर्ति की जा रही है।

विविध उत्पाद और रोजगार के नए अवसर

योगेंद्र यादव फार्म पर सफेद बटन, पिंक व व्हाइट ओयेस्टर, मिल्की, ऋषि सहित सात किस्म की मशरूम उगा रहे हैं। उन्होंने मशरूम से नमकीन, बिस्किट, लड्डू, अचार और सूखा पाउडर जैसे उत्पाद बनाना शुरू किया, जिनकी बाज़ार में अच्छी मांग है। उन्होंने खुद की प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की है, जहां 10 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया गया है।

युवाओं को दे रहे प्रशिक्षण

योगेंद्र यादव हर महीने लगभग 50 युवाओं को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। उनका बेटा विनय, विहान और पत्नी ममता भी इस कार्य में सहयोग कर रहे हैं। हाल ही में उन्हें राज्य के प्रगतिशील किसान अवॉर्ड से भी नवाजा गया है, जिससे यह साबित होता है कि अगर सोच बदली जाए तो खेती में भी अपार संभावनाएं हैं।

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