संसद मार्च का एलान जल्द ही करेंगे: संयुक्त किसान मोर्चा

Edited By Isha, Updated: 20 Apr, 2021 11:10 AM

parliament march to be announced soon

तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है और आज सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमे किसान मोर्चा ने स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली संसद कुछ जरूर होगा लेकिन उसकी तारीख...

सोनीपत(पवन राठी): तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है और आज सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमे किसान मोर्चा ने स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली संसद कुछ जरूर होगा लेकिन उसकी तारीख जल्दी ही किसान मोर्चा रणनीति के साथ तय करेगा।

कुंडली बॉर्डर पर एक अहम प्रेस कांफ्रेंस में आला नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि संसद मार्च का जो आह्वान किसानों ने किया था वह जरूर होगा उसको टाला नहीं गया है लेकिन उसके लिए सिर्फ किसान मोर्चा रणनीति तैयार कर रहा है और उसकी तारीख जल्द ही तय कर दी जाएगी, किसान आंदोलन ने सरकार द्वारा "ऑपरेशन क्लीन" की धमकी का मुकाबला "ऑपरेशन शक्ति" से करने की रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत एक तरफ तो किसान "प्रतिरोध सप्ताह" मनाकर सभी मोर्चों पर कोरोना का मुकाबला करने का पुख्ता इंतजाम करेंगे तो दूसरी तरफ अगले सप्ताह से किसानों को वापस अपने मोर्चों पर आने का आह्वान किया गया है।

पिछले कुछ दिनों से यह संकेत मिल रहे हैं कि सरकार कोरोना संक्रमण के बहाने किसान आंदोलन को खत्म करने की साजिश रच रही है। मीडिया में कई रिपोर्ट आई है कि विधानसभा चुनाव पूरा होते ही "ऑपरेशन क्लीन" के नाम से हरियाणा और केंद्र सरकार ने किसानों के मोर्चों पर हमला कर उसका सफाया करने की योजना बनाई है। इसी योजना की भूमिका बनाने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कोरोना संकट के चलते किसान आंदोलन को खत्म करने की अपील का नाटक भी किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर ऐसी कोई कार्यवाही हुई तो किसान उसका डटकर मुकाबला करेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने यह भी फैसला किया है कि आने वाले एक सप्ताह में मोर्चे की तरफ से कोरोना का मुकाबला करने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। याद रहे कि कोरोना संक्रमण नया नहीं है। दिल्ली के बाहर मोर्चे लगाते समय भी देश में कोरोना का संक्रमण फैला हुआ था। लेकिन पिछले 5 महीने में किसान आंदोलन के किसी भी मोर्चे में कभी भी कोरोना संक्रमण फैलने की खबर नहीं आई है। इसलिए सरकार द्वारा किसान आंदोलन पर उंगली उठाने का कोई आधार नहीं है। कोरोना का मुकाबला करने में बीजेपी सरकारों का निकम्मापन और पाखंड अब पूरे देश के सामने आ चुका है जबकि खुद प्रधानमंत्री और गृहमंत्री विधानसभा चुनाव में बड़ी से बड़ी भीड़ जुटाने का दावा कर रहे हैं। इस सरकार को किसानों को महामारी से बचने की नसीहत देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा कोरोना की आड़ में सरकार द्वारा जनता में डर फैलाने, आम जनता पर दोष डालने, उनपर जुर्माना ठोकने और कॉरपोरेट घरानों को मुनाफे की खुली छूट देने की निंदा करता है।

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