पंचायतों के चुनाव सिम्बल पर लड़े जाएं या नहीं, इस पर निर्णय के लिए 24 को गुरुग्राम में अहम बैठक होगी: OP धनखड़

Edited By Manisha rana, Updated: 19 Aug, 2022 06:54 PM

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भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने बताया कि पंचायतों के चुनाव सिम्बल पर लड़े जाएं या नहीं, इस पर निर्णय के लिए 24 को गुरुग्राम में अहम बैठक...

चंडीगढ़ (धरणी) : भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने बताया कि पंचायतों के चुनाव सिम्बल पर लड़े जाएं या नहीं, इस पर निर्णय के लिए 24 को गुरुग्राम में अहम बैठक होगी। धनखड़ ने केंद्रीय मंत्रियों, राज्य मंत्रियों व वरिष्ठ नेताओं को कार्यकर्ताओं से सलाह करके रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। 24 की बैठक में इस रिपोर्ट पर मंथन होगा और फैसला लिया जाएगा। प्रदेश के कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल को पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों की कमान सौंपी गई है। सभी जिलों में प्रभारी नियुक्त किए जा चुके हैं। बतौर प्रदेशाध्यक्ष दो साल की पारी खेल चुके धनखड़ न केवल पंचायत व अगले कुछ महीनों में होने वाले नगर निगम चुनावों को लेकर अभी से तैयारियों में जुटे हैं बल्कि वे मिशन-2024 का भी खाका खींचने में सक्रिय हैं।

इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी के सदस्यों को कहा गया है कि वे ग्राउंड पर जाकर पार्टी वर्करों से फीडबैक लें। इसके बाद ही कोई निर्णय होगा। 2024 में होने वाले लोकसभा और इसी साल विधानसभा चुनावों को लेकर भी प्रदेशाध्यक्ष अभी से रणनीति तय करने में जुटे हैं। ‘मिशन-2024’ में उनका टारगेट 2019 से भी बेहतरीन प्रदर्शन करने का है। आमतौर पर भाजपा की मेन इकाई की एक्टिव हुआ करती थी। 

अहम बात यह है कि धनखड़ ने लगभग दो साल पहले तक प्रदेशाध्यक्ष की कमान संभाली तो उस समय हालात पूरी तरह से विपरित थे। इसके बाद भी वे संगठन को न केवल नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में कामयाब रहे बल्कि उन्होंने भाजपा के सभी मोर्चों, प्रकोष्ठों, सेल व विभागों को भी जमीनी स्तर तक एक्टिव कर दिया। जिन विभागों व सेल के पहले प्रदेश संयोजक ही हुआ करते थे अब उनकी प्रदेश, जिला व ब्लाक स्तर तक की इकाइयां हैं। अपने पुराने संगठनात्मक अनुभवों के बूते वे प्रदेश स्तर पर पदाधिकारियों की संख्या को 500 से बढ़ाकर दो हजार तक पहुंचाने में कामयाब रहे। 

प्रदेश स्तर से लेकर धनखड़ पार्टी संगठन को बूथ की आखिरी कड़ी तक ले जाने के लिए प्रयासरत हैं। हर बूथ पर तीन वर्करों की टीम बनी है, जिन्हें ‘त्रिदेव’ नाम दिया गया है। बूथ पालक, शक्ति केंद्र प्रमुख सहित और भी कई ऐसी इकाइयां हैं, जो सीधी लोगों तक पहुंच बना रही हैं। हर बूथ पर पांच वर्करों को जोड़कर शक्ति केंद्र बनाए हैं। बूथ शक्ति केंद्रों को एक्टिव करने के लिए हाल ही में उन्होंने प्रदेशभर में चार हजार वर्करों को ट्रेंड किया है। भाजपा सरकार में अंत्योदय की भावना को सबसे ऊपर रखा जाता है, लेकिन धनखड़ ने संगठन में भी अंत्यादेय का फार्मूला लागू कर दिया है। 

कुलदीप बिश्नोई को किन शर्तों पर भाजपा में शामिल होने पर धनखड़ कहते हैं कि भाजपा में कोई किसी शर्त पर नहीं आता। आदमपुर में होने वाले उपचुनाव की तैयारियों को लेकर उन्होंने कहा, अभी उपचुनाव बहुत दूर है। जब उपचुनाव आएगा तो उसकी रणनीति भी तय हो जाएगी। टिकट बिश्नोई को मिलेगी या उनके बेटे भव्य बिश्नोई को तो धनखड़ ने कहा, पार्टी की चुनाव समिति समय आने पर ही फैसले करती है। धनखड़ कहते है कि  भाजपा किसानों का जितना भला कर सकती है, उतना न तो किसी ने पहले किया और न ही कोई कर सकता। एमएसपी पर काम चल रहा है। भाजपा ने ही किसान सम्मान निधि की शुरूआत की। किसानों की फसलों के लिए बीमा योजना लाई गई। किसानों की फसलों का पैसा सीधा उनके बैंक खातों में जा रहा है। 

हरियाणा में सितंबर में संभावित पंचायती राज संस्थाओं–जिला परिषद, ब्लाक समिति व ग्राम पंचायत चुनावों को लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़  मनोहर पार्ट 1 सरकार में विकास एवं पंचायत मंत्री होने के नाते उन्होंने ही पढ़ी-लिखी पंचायतों का सबल आईडिया दिया था। सुप्रीम कोर्ट तक में इसके लिए लड़ाई लड़ी गई और आखिर में उनका यह सपना पूरा हुआ। अब अकेले पंचायतों में ही नहीं शहरी स्थानीय निकायों, नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिकाओं के चुनाव लड़ने के लिए भी शैक्षणिक योग्यता की शर्तें हैं। पढ़ी-लिखी पंचायतों को सोसायटी का बड़ा लाभ भी हुआ है। पंचायत चुनावों में रंजिश काफी बढ़ती है और यह बरसों तक चलती है, लेकिन पढ़ी-लिखी पंचायतों का लाभ यह हुआ कि पिछले पांच वर्षों के लिए इस तरह की क्राइम की घटनाओं में काफी गिरावट देखने को मिली। राज्य सरकार ने पंचायतों में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण देने का भी निर्णय लिया है। पंचायतों के चुनाव पार्टी सिम्बल पर लड़े जाएंगे या नहीं, इस पर अभी तक फैसला नहीं हो पाया है। 

धनखड़ 1978 में स्वयंसेवक बने और 1980 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में एक्टिव हो गए। एबीवीपी में हरियाणा व केंद्र के विभिन्न पदों पर रहते हुए लगातार 16 वर्षों तक काम किया। 1997 में भाजपा के भिवानी जिलाध्यक्ष बने और फिर प्रदेश महामंत्री बने। महामंत्री के तौर पर लगातार दो टर्म पूरे किए। उनके संगठनात्मक कार्यों को देखते हुए उन्हें किसान मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। वे दो बार अध्यक्ष रहे। 2014 में रोहतक से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हुई। इसी साल अक्तूबर में हुए विधानसभा चुनावों में उन्होंने बादली हलके से जीत हासिल की और सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। दो साल पहले उन्हें पार्टी ने हरियाणा की कमान सौंपी। 

ओम प्रकाश धनखड़ ने हर घर तिरंगा अभियान को संगठन ने कामयाब बनाया। प्रदेश के 10 लाख घरों में तिरंग पहुंचाएं मोदी सरकार के आठ साल पूरे होने पर 19 हजार 786 बूथों पर महासंपर्क अभियान चलाया।प्रदेश सरकार के सात वर्ष पूरे होने पर 18 हजार 438 बूथों के जरिये लोगों तक पहुंच बनाई। किसान आंदोलन की चुनौती के बीच 2021 में प्रदेशभर में 100 जगह निकाली तिरंगा यात्रा  ।129 नेताओं के साथ अंडेमान-निकोबार लेकर पहुंचे। बलिदानियों को  नमन किया। जयहिंद बोस कार्यक्रम के तहत प्रदेश के सभी 90 हलकों व 307 मंडलों में हुए कार्यक्रम हाल ही में हुए नगर परिषद और नगर पालिका चुनावों में भाजपा का उल्लेखनीय प्रदर्शन अक्तूबर 2021 में करीब 32 वर्षों के बाद पंचकूला में हुई प्रदेश परिषद की बैठक, 60 हजार त्रिदेव सहित लगभग एक लाख वर्करों की टीम लोगों तक पहुंची पार्टी के काम कर रही है।
 

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