सीजफायर के नाम पर सेना के हाथ बांध दिए गए, देश को जवाब चाहिए: अनुराग ढांडा

Edited By Deepak Kumar, Updated: 13 May, 2025 07:16 PM

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आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता अनुराग ढांडा ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पाकिस्तान के साथ एकतरफा सीज़फायर पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि देश की जनता यह जानना चाहती है कि आखिर ऐसा कौन-सा दबाव था जिसके चलते आतंकवाद के ज़ख्म झेल रहे भारत को अमेरिका की...

चंडीगढ़: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पाकिस्तान के साथ एकतरफा सीज़फायर पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि देश की जनता यह जानना चाहती है कि आखिर ऐसा कौन-सा दबाव था जिसके चलते आतंकवाद के ज़ख्म झेल रहे भारत को अमेरिका की बात मानने के लिए मजबूर होना पड़ा।

केंद्र सरकार ने अचानक सीजफायर क्यों स्वीकार किया?: अनुराग ढांडा

अनुराग ढांडा ने कहा कि यह देश के लिए चौंकाने वाला है कि जब भारतीय सेना नियंत्रण रेखा पर पूरी ताकत से जवाब दे रही थी, पाकिस्तान बैकफुट पर था और भारत की रणनीतिक स्थिति मजबूत थी—उस समय केंद्र सरकार ने अचानक सीजफायर क्यों स्वीकार किया? क्या यह अमेरिकी दबाव था? क्या डोनाल्ड ट्रम्प ने व्यापारिक संबंधों को लेकर कोई धमकी दी थी?

पुंछ में शहीद हुए जवानों को न्याय कब मिलेगा?

आप के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी ने कहा कि पहलगाम में हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ने वाले आतंकवादियों को अब तक मौत के घाट क्यों नहीं उतारा गया? पुंछ में शहीद हुए जवानों को न्याय कब मिलेगा? यह कैसी मोदी सरकार है, जो सीजफायर की अपील पाकिस्तान से नहीं, बल्कि अमेरिका से सुन रहा है?

ढांडा की प्रधानमंत्री से मांग

ढांडा ने यह भी पूछा कि अगर पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई न करने का कोई भरोसा दिया था, तो फिर अब बार-बार सीजफायर का उल्लंघन क्यों हो रहा है? क्या इंदिरा गांधी की तरह मोदी सरकार भी कोई लिखित समझौता नहीं करा सकी? उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की कि वे संसद का विशेष सत्र बुलाएं और पाकिस्तान को आधिकारिक रूप से आतंकवादी देश घोषित करें। “देश की सेना को पीछे हटाने के बजाय मजबूत राजनीतिक समर्थन मिलना चाहिए, न कि विदेशी दबाव में रणनीति बदल दी जाए।

अनुराग ढांडा ने कहा कि आम आदमी पार्टी हर उस नीति का विरोध करेगी जो भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और सेना के मनोबल के खिलाफ हो। जब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय दबाव और सैन्य पराक्रम के चलते बैकफुट पर था, तब भारत को दृढ़ता से अपनी शर्तों पर बात करनी चाहिए थी। पाकिस्तान को सबक सिखाने का यह सबसे उपयुक्त समय था, लेकिन मोदी सरकार ने एक बार फिर विदेशी दबाव को देशहित से ऊपर रख दिया।

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