Edited By Isha, Updated: 17 May, 2025 08:11 AM

रियाणा के पुलिस महानिदेशक (DGP) शत्रुजीत कपूर ने मीडिया के सामने FSL की कार्यप्रणाली में हो रहे बड़े बदलावों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अब सीन ऑफ क्राइम से सबूत इकट्ठा करने के लिए पुराने डिब्बों
करनाल: हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (DGP) शत्रुजीत कपूर ने मीडिया के सामने FSL की कार्यप्रणाली में हो रहे बड़े बदलावों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अब सीन ऑफ क्राइम से सबूत इकट्ठा करने के लिए पुराने डिब्बों, कंटेनरों और वैक्स सीलिंग का तरीका पिछे छोड़ा जा रहा है।इसकी जगह वैज्ञानिकों की टीम ने 1 साल की मेहनत से नया कंटेनर और पैकेजिंग मैटेरियल विकसित किया है।
DGP कपूर ने कहा कि अब मोबाइल फॉरेंसिक यूनिट की टीमें जब घटनास्थल पर जाएंगी, तो सबूतों को इसी मॉडर्न पैकेजिंग सेटअप में कलेक्ट करेंगी. इस सेटअप में सीलिंग वैक्स की जरूरत नहीं होगी और अगर कोई टेंपरिंग या छेड़छाड़ करता है, तो वह स्पष्ट रूप से सामने आ जाएगा।इससे चेन ऑफ कस्टडी को साबित करना बेहद आसान हो जाएगा। वहीं DGPकपूर ने बताया कि FSL के अंदर 208 नई पोस्टों को मंजूरी दी गई है, जिससे मैनपावर में 70 प्रतिशत बढ़ी है।अब साइंटिफिक स्टाफ की संख्या 168 से बढ़कर 342 हो गई है। स्वीकृत कुल पदों की संख्या 351 से बढ़कर 599 हो चुकी है. यह न केवल FSL की कार्यक्षमता को बढ़ाएगा बल्कि जांच प्रक्रिया को भी तेजी देगा।
उन्होंने बताया कि आजकल अपराधों में डिजिटल डिवाइसों की भूमिका बढ़ रही है. ऐसे में उन्हें सही तरीके से कलेक्ट करना, उसका विश्लेषण करना और डेटा को रिट्रीव करना बहुत जरूरी है।इस जरूरत को देखते हुए साइबर फॉरेंसिक डिविजन के लिए 155 पद स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 21 पर नियुक्ति हो चुकी हैं. जब सभी पद भर जाएंगे तो हर जिले में साइबर फॉरेंसिक एक्सपर्ट होंगे।सभी डिवीजनों की क्षमता कई गुना बढ़ाई गई है। DGP ने बताया कि FSL की प्रमुख डिवीजनों जैसे टॉक्सिकोलॉजी, सेरोलॉजी, डीएनए और एनडीपीएस में मैनपावर और इक्विपमेंट के रूप में अहम एडिशन किए गए हैं।
DGP ने आगे बताया कि जिला स्तर पर मिनी एफएसएल (DFSL) लैब की स्थापना का कार्य भी चल रहा है. करनाल में सिविल लाइन के पास पहले से ही एक डीएफएसएल लैब कार्यरत है, जहां जिलास्तरीय सैंपलों की जांच की जा सकती है। इससे क्षेत्रीय या मुख्य एफएसएल पर निर्भरता कम होगी।फिलहाल हरियाणा में एक मुख्य लैब मधुबन में और 4 रीजनल लैब गुड़गांव, रोहतक, पंचकूला और हिसार में मौजूद हैं. राज्य सरकार का लक्ष्य है कि सभी 22 जिलों में लैब बनाई जाएं, ताकि पुलिस को एक व्यापक फोरेंसिक नेटवर्क मिल सके।