लॉकडाउन में मिट गईं दूरियां : नौ भाइयों की थी 9 रसोई, अब एक साथ बनता है पूरे परिवार का खाना

Edited By vinod kumar, Updated: 25 Apr, 2020 01:23 PM

nine brothers had nine kitchens now they cook together in lockdown

कोरोना के कारण पूरे देश के साथ हरियाणा में भी लॉकडाउन है और लोग घरों में बंद होने को मजबूर हैं। लोगों के लिए समय काटना मुश्किल हाे गया है और उनके काम-धंधे बंद हैं। लेकिन, इसके सुखद और सकारात्‍मक पहलू भी सामने आ रहे हैं।

हिसार: कोरोना के कारण पूरे देश के साथ हरियाणा में भी लॉकडाउन है और लोग घरों में बंद होने को मजबूर हैं। लोगों के लिए समय काटना मुश्किल हाे गया है और उनके काम-धंधे बंद हैं। लेकिन, इसके सुखद और सकारात्‍मक पहलू भी सामने आ रहे हैं।

लॉकडाउन में दिलों की दूरियां भी खत्‍म हो रही है। ऐसा ही उदाहरण हरियाणा के हिसार में सामने आया है। शहर के अर्बन एस्टेट के नौ भाइयों के अलग परिवारों की लॉकडाउन ने दूरियां समाप्‍त कर एक कर दिया। लॉकडाउन से पहले उनकी नौ रसोइयां थीं और आज उनका सांझा चूल्‍हा है।

लॉकडाउन के बाद हिसार के अर्बन एस्टेट का गोयल परिवार बना मिसाल
यह है गोयल परिवार। इस परिवार के सदस्‍यों के दिन ऐसे बीत रहे हैं कि सुबह के बाद रात कब होती है, उनको पता नहीं चलता। सांझे चूल्हे ने उनके संबंध में नई मिठास घोल दिया है। पहले नौ भाइयों के परिवारों की रसोई अलग-अलग थी। मगर लॉकडाउन के बाद रसोई एक हो गई है।

अब सुबह का नाश्ता व दोनों समय का खाना पूरे परिवार का इकट्ठा बनता है। घर की बहुओं ने भी मिल बैठकर समय के हिसाब अपनी-अपनी ड्यूटी बांध ली हैं दो-दो बहुएं एक साथ रसोई में काम करती हैं। घर के बड़े बच्चे खाना सर्व करते हैं। सभी नौ भाई एक साथ बैठकर तीनों समय का खाना खाते हैं। रात के खाने पर ही दिनभर की गतिविधियों पर चर्चा होती है।

रसोई एक होने से अब यह परिवार जरूरतमंदों की मदद के लिए भी रसोई में से खाना तैयार करवा रहे हैं और जरूरतमंदों में बांटते हैं। नौ भाई विनोद गोयल, आनंद गोयल, प्रमोद गोयल, संजय गोयल, पवन गोयल, रमेश गोयल, अरुण गोयल व अजय गोयल हैं, जो सुबह से लेकर रात तक सेवा के काम में लगे हैं। अपने दादा लखीराम गोयल से प्रेरणा लेकर यह परिवार सेवा में जुटा है।

सुबह उठने के बाद दो भाई सबसे पहले सब्जीमंडी जाते हैं और सब्जी लेकर आते हैं। इसके साथ ही बेजुबान जानवरों को खाना खिलाते हैं। गायों को रोटी, कुत्तों को बिस्कुट और बंदरों को केले खिलाए जाते हैं। इसके लिए अलग भाइयों की ड्यूटी लगती है।

इसी प्रकार भोजन वितरण से लेकर अन्य सेवा के काम करते हैं। महिलाएं घर संभालती हैं और रसोई में किस दिन क्या बनेगा, इसकी प्लानिंग करती हैं। घर की बहुएं काफी खुश हैं। पहले रसोई में तीन समय का खाना खुद बनाना पड़ता था। मगर अब रसोई में कम समय बीतता है, यह बचा हुआ समय वह बच्चों पर परिवार को दे पाती हैं।

अर्बन एस्टेट में रहने वाले पेट्रोल पंप संचालक अजय गोयल बताते हैं कि जिंदगी की भागदौड़ में पहले एक-दूसरे के पास बैठने का कम समय मिलता था, मगर लॉकडाउन ने पूरे परिवार को और करीब ला दिया है। एक-दूसरे के लिए अब समय ही समय है।

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