हरियाणा में गिर रहे लिंगानुपात से चिंतित सरकार का नया फैसला, अल्ट्रासाऊंड केंद्रों को दिए ये आदेश

Edited By Manisha rana, Updated: 24 Mar, 2025 12:19 PM

new decision of haryana government orders given to ultrasound centres

हरियाणा में लगातार गिर रहे लिंगानुपात से चिंतित सरकार ने सभी अल्ट्रासाऊंड केंद्रों को प्रत्येक गर्भवती महिला का अल्ट्रासाऊंड आर.सी.एच. पंजीकरण के आधार पर करने के आदेश दिए हैं।

चंडीगढ़ (पांडेय) : हरियाणा में लगातार गिर रहे लिंगानुपात से चिंतित सरकार ने सभी अल्ट्रासाऊंड केंद्रों को प्रत्येक गर्भवती महिला का अल्ट्रासाऊंड आर.सी.एच. पंजीकरण के आधार पर करने के आदेश दिए हैं। जिस महिला के पास आर.सी.एच. पंजीकरण नंबर नहीं होगा, न तो उसका अल्ट्रासाऊंड किया जा सकेगा और न ही उपचार होगा।

आर.सी.एच., आई.डी. किसी भी राज्य में प्रजनन और बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत दी जाने वाली एक विशिष्ट पहचान संख्या है। यह 15 से 49 साल की उम्र की सभी विवाहित और गर्भवती महिलाओं को दी जाती है। इसका इस्तेमाल किसी भी गर्भावस्था की जांच और उपचार के लिए किया जा सकता है। गांवों और शहरों में में नर्स ही आर. सी. सी.एच. आई.डी. बना सकती हैं। पूरे प्रदेश में ए.एन. एम. की भारी कमी है। इंडियन मैडीकल एसोसिएशन की हरियाणा इकाई ने स्वास्थ्य महानिदेशक के इस आदेश को सामाजिक असंतुलन पैदा करने बाला बताया है।

हिसार में 3 लाख की आबादी पर सिर्फ 3 ए.एन.एम.

अकेले हिसार में 3 लाख की आबादी पर सिर्फ 3 ए.एन.एम. हैं। ऐसे में आर. सी. एच. रजिस्ट्रेशन का काम संभव ही नहीं है। यही स्थिति राज्य के बाकी जिलों में हैं। आई.एम.ए. हरियाणा के अध्यक्ष डा. महावीर पी. जैन और महासचिव डा. धीरेंद्र कुमार सोनी का कहना है कि सरकार की मंशा अवैध गर्भपात रोकने की है, जिसके साथ सारे डाक्टर हैं, लेकिन इस मंशा को लागू करवाने का तरीका गलत है।

उन्होंने अल्ट्रासाऊंड के लिए आर.सी.एच. पंजीकरण की अनिवार्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि कोई सामान्य चैकअप के लिए आता है तो यह उसके लिए भी अनिवार्य है। स्वास्थ्य महानिदेशक और स्वास्थ्य सचिव के साथ स्वास्थ्य मंत्री को भी आई.एम.ए. के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर समस्या के सर्वमान्य समाधान की दिशा में प्रयास करना चाहिए। मौजूदा आदेश से समाज और डाक्टरों में सिर्फ पैनिक पैदा होगा और समस्या कम होने की बजाय बढ़ेगी ही।

आई.एम.ए. ने जताई स्वास्थ्य महानिदेशक के आदेश पर आपत्ति

आई.एम.ए. के डाक्टरों का कहना है कि कई बार ऐसी स्थिति पैदा होती है जब गर्भ रखना जरूरी नहीं होता। कई मामलों में पंजीकरण से ऐसी लड़कियों व महिलाओं की पहचान हो जाएगी जिनकी पहचान होनी सामाजिक व पारिवारिक हित में जरूरी नहीं है। ऐसे में अल्ट्रासाऊंड और उपचार के लिए आर.सी. एच. पंजीकरण की अनिवार्यता व्यावहारिक नहीं है, जिसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। आई.एम.ए. के प्रदेश अध्यक्ष डा. महावीर पी जैन, महासचिव डा. धीरेंद्र कुमार सोनी और पूर्व प्रधान डा. अजय महाजन ने इस संबंध में स्वास्थ्य महानिदेशक, स्वास्थ्य सचिव और सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को अपनी आपत्ति दर्ज करवाते हुए पत्र लिखा है।

प्रदेश में इस समय लिंगानुपात 910

हरियाणा में इस समय लिंगानुपात 910 रह गया है, जो कि साल 2019 में 923 पर पहुंच गया था। साल 2023 तक भी राज्य में लिंगानुपात की बहुत बढ़िया स्थिति थी लेकिन धीरे-धीरे लिंगानुपात सुधरने की बजाय गिरता जा रहा है। साल 2024 में जन्म लेने वाले 5, 16,402 बच्चों में 52.35 प्रतिशत लड़के और 47.64 प्रतिशत लड़‌कियां शामिल हैं। साल 2015 में हरियाणा का लिंगानुपात 876 था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पानीपत से राष्ट्रीय स्तर पर बेटी बचओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरूआत की थी। उस समय राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल थे। तब 2016 में हरियाणा का लिंगानुपात 900 हो गया था। स्वास्थ्य महानिदेशक डा. मनीष बंसल की और से सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों व आई. एम.ए. हरियाणा के पदाधिकारियों को भेजे गए आदेश में कहा गया है कि आर.सी.एच. पंजीकरण के बिना अल्ट्रासाऊंड करने पर इसे गैर कानूनी माना जाएगा। आई.एम.ए. हरियाणा के पूर्व अध्यक्ष डा. अजय महाजन का कहना है कि गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। राज्य सरकार को पहले इसमें बदलाव करना होगा, फिर आदेश जारी करना होगा। वैसे भी यह बिल्कुल व्यावहारिक नहीं है। गांवों व शहरों में इससे सामाजिक समस्या पैदा होगी।

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