Edited By Deepak Paul, Updated: 14 Aug, 2018 05:59 PM
मानव संसाधन मंत्रालय का 27 करोड़ का वर्क ऑर्डर पत्र समेत तमाम फर्जी कागजात देकर महिला व उसके तीन साथियों ने एक्सपोर्टर सुनील आहूजा से 27 लाख रुपए ठग लिए। महिला ने खुद को सरकारी सप्लायर बता बड़े नेताओं का करीबी बताया। सांसद मनोज तिवारी का नाम लेकर...
नूंह( एेके बघेल): मानव संसाधन मंत्रालय का 27 करोड़ का वर्क ऑर्डर पत्र समेत तमाम फर्जी कागजात देकर महिला व उसके तीन साथियों ने एक्सपोर्टर सुनील आहूजा से 27 लाख रुपए ठग लिए। महिला ने खुद को सरकारी सप्लायर बता बड़े नेताओं का करीबी बताया। सांसद मनोज तिवारी का नाम लेकर किसी युवक से बात भी करा दी। एक्सपोर्टर ने महिला के खाते में वर्क ऑर्डर की फीस के 27 लाख रुपए जमा कर दिए। कमीशन के 27 लाख रुपए और देने थे, लेकिन फर्जीवाड़े का पता चल गया। गुड़गांव में ऐसे ही एक मामले में महिला की गिरफ्तारी के बाद पीड़ित ने एसपी से मिलकर सिटी थाने में नई दिल्ली के बसंतकुंज की रेनू मल्होत्रा पत्नी जोगिन्द्र, दिल्ली के दीपाली के अश्वनी ओबराय व उसके बेटे अचल ओबराय और वतन ओबराय के खिलाफ केस दर्ज कराया है।
जानकार के जरिए की थी मुलाकात
मॉडल टाउन में रहने वाले एक्सपोर्टर सुनील आहूजा स्वतंत्रता सेनानी चमन लाल के बेटे हैं। उनकी स्प्रिंग्स के नाम से एक फर्म देवीलाल कॉम्प्लेक्स में है। कंबल, बेडशीट, तौलिया आदि का काम करते हैं। जगन्नाथ विहार के डिम्पल उनके परिचित है। डिंपल ने ही अश्वनी से उनकी मुलाकात कराई। अश्वनी ने कहा कि वह मानव संसाधन मंत्रालय में सप्लाई का काम करता है। उसने मंत्रालय के सचिव अनिल स्वरूप द्वारा जारी वर्क ऑर्डर दिखाया। आरोपी बोला कि कंबल, बेडशीट, तौलिया आदि का भी वर्क ऑर्डर है। लेने के लिए सुनील तैयार हो गया।
आरोपी ने उसे दिल्ली बुलाया। अश्वनी, अचल व रेनू मिले। अश्वनी ने रेनू काे सरकारी सप्लायर बता कहा कि उसके पास कई वर्क ऑर्डर हैं। झांसे में लेने के लिए मंत्रालय की रसीद दी, लेकिन उसे होने पर महिला के खाते में रुपए जमा करने से मना कर मंत्रालय के खाते में ही रुपए जमा कराने को कहा। आरोपियों ने फोटो कॉपी को ओरिजनल दस्तावेज बताकर दिए। मंत्रालय से जारी वर्क ऑर्डर की फीस के 27 लाख जमा होने की फर्जी रसीद भी दी। सांसद मनोज तिवारी बता युवक से बात भी कराई तो उसने भी कहा कि कोई दिक्कत नहीं होगी। सुनील ने 27 लाख दे दिए। कमीशन के 27 लाख देने को लोन लेने में लगा था, पर फर्जीवाड़े का पता चल गया।