Edited By Manisha rana, Updated: 13 Dec, 2025 08:56 AM

हरियाणा के विभिन्न जिलों में पशुओं में लम्पी स्किन डिजीज (एल.एस.डी.) का संक्रमण बढ़ रहा है। इस बीमारी के लक्षण पिछले दिनों हरियाणा से बाहर भी कुछ जगहों पर देखने को मिले थे।
हिसार : हरियाणा के विभिन्न जिलों में पशुओं में लम्पी स्किन डिजीज (एल.एस.डी.) का संक्रमण बढ़ रहा है। इस बीमारी के लक्षण पिछले दिनों हरियाणा से बाहर भी कुछ जगहों पर देखने को मिले थे। इस बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने पशुपालकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। वैज्ञानिकों ने बताया कि बीमार पशु का का उपचार केवल नजदीकी पशु चिकित्सालय या औषधालय की सलाह से करवा सकते हैं। घावों और जटिल लक्षणों का उपचार केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की देख-रेख में हो।
स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण तत्काल करवाएं, यही सर्वश्रेष्ठ बचाव है। विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा जन स्वास्थ्य एवं महामारी विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. राजेश खुराना ने बताया कि कुलपति डा. विनोद कुमार वर्मा के निर्देशन में विशेषज्ञों की टीमें फील्ड में सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं तथा प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं की जांच और उपचार सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके अलावा जिन पशुओं में लक्षण दिखाई दे रहे हों, उनका टीकाकरण न करवाएं। संक्रमित पशुओं को रोग समाप्त होने तक पशु मेलों और दूसरे क्षेत्रों में ले जाना सख्त वर्जित है।
कैसे फैलता है इस बीमारी का वायरस
लुवास वैज्ञानिकों के अनुसार ढेलेदार त्वचा रोग एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है जो पॉक्स वायरस से फैलता है। विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने इसे नोटीफाएबल ट्रांसबाऊंड्री डिजीज की श्रेणी में रखा है। यह रोग संक्रमित पशु के संपर्क में आने या मच्छर, मक्खी एवं चीचड़ जैसे कीटों द्वारा तेजी से फैलता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह जूनोटिक नहीं है, यानी मनुष्यों में नहीं फैलता। पशुपालक घबराएं नहीं लेकिन पूरी सावधानी अवश्य बरतनी होती है।
रोग फैलाव रोकने के लिए ये सावधानियां बरतें
- बीमार पशु को तुरंत अलग बाड़े में रखें।
- पशुओं के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें।
- बाड़े को स्वच्छ, सूखा एवं हवादार रखें।
- नियमित रूप सेमार-मक्खी रोधी रसायन छिड़के।
- नीम की पत्तियों और गुग्गुल का धुआं भी अत्यंत प्रभावी है।
- स्वस्थ पशुओं को फिटकरी या लाल दवा से दिन में 2 बार नहलाएं।
- घाव पर पानी न लगाएं, नहीं उसे खुजाने दें। घाव में कीड़े न पड़ने दें।
- पशुओं को पौष्टिक आहार और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाएं।
- बीमार पशु को छूने के बाद स्वस्थ पशु के पास न जाएं।
- संपर्क के बाद साबुन से हाथ अच्छी तरह धोएं।
हिसार जिले में मिले थे बीमारी से ग्रसित पशु
पिछले दिनों हिसार जिले में कई पशु लम्पी बीमारी से ग्रसित मिले थे। उस समय इन सभी पशुओं को अन्य गौवंश से अलग स्खकर उनका उपचार शुरू करवाया गया था। पशुपालन विभाग ने जिले भर के गौवंश पालकों तथा सभी गौशालाओं को इस बीमारी से बचाने के लिए सावधानी बरतने के विशेष दिशा-निर्देश दिए थे। पशुपालन विभाग ने ये केस नबढ़े इसको लेकर टीकाकरण अभियान भी शुरू किया था।
नमी वाले मौसम में ज्यादा फैलता है यह रोगः डा. ज्ञान सिंह
लुवास के पशु चिकित्सा रोगनिदान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. ज्ञान सिंह ने बताया कि यह रोग गर्म एवं नमी वाले मौसम में अधिक फैलता है। इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार, शरीर पर गांठें या फोडे, आंख नाक से पानी आना, भूख कम हो जाना, खुरों में दर्द एवं सूजन, दूध उत्पादन में कमी, गर्भपात तथा थनों में सूजन शामिल है। उन्होंने बताया कि बीमारी की रुग्णता दर 10.20 और मृत्यु दर लगभग 1.5 प्रतिशत तक देखी जा रही है।
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