Edited By Shivam, Updated: 02 Feb, 2020 05:56 PM
प्रदेश में आवारा पशुओं के आंकड़ों को लेकर हरियाणा राज्य सूचना आयोग ने कड़ा रूख अपनाया है। राज्य सूचना आयुक्त ने इस संबंध में 3 फरवरी को अपने कार्यालय में प्रदेश के सभी 22 जिलों के एडीसी सहित हरियाणा गौ सेवा आयोग, निदेशालय शहरी निकाय, विकास एवं...
चंडीगढ़ (धरणी): गाय, गीता और गंगा के नाम पर वोट लेकर सत्ता में आई प्रदेश सरकार गौवंश की सुध लेना भूल गई। सरकार द्वारा गठित हरियाणा गौ सेवा आयोग व जिला स्तर पर एडीसी की अध्यक्षता में गठित कमेटियां आरटीआई के तहत सूचनाएं देने से भी कतराने लगे हैं। राज्य सूचना आयुक्त जय सिंह बिश्नोई ने आवारा पशुओं बारे आरटीआई एक्ट में सूचना ना देने पर कड़ा संज्ञान लेते हुए प्रदेश के सभी 22 जिलों के एडीसी को नोटिस भेजकर तलब किया है। साथ ही गौ सेवा आयोग, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, राज्य पुलिस मुख्यालय, शहरी स्थानीय निकाय विभाग व पंचायत एवं विकास विभाग निदेशालय के जन सूचना अधिकारियों को भी तलब किया है।
केस की सुनवाई तीन फरवरी को दोपहर 2 बजे राज्य सूचना आयोग में होगी। इसी केस में 30 सितम्बर को सूचना आयोग ने निर्धारित 30 दिन में सूचना ना देने से अपीलकर्ता को हुई परेशानी का 15000 रूपये मुआवजा डीजीपी, निदेशक शहरी निकाय व निदेशक पंचायत एवं विकास विभाग को (5000 रूपये प्रत्येक) भरने के आदेश सैक्शन 19(8) (बी) के तहत किए हैं। आयोग ने सूचनाओं के स्वत: प्रकटीकरण बारे आरटीआई एक्ट-2005 के सैक्शन 4(1)(ए) व (बी) की तीन माह में अनुपालना करने की सैक्शन 25(5) के तहत अनुशंसास की है।
गौरतलब है कि इसी केस की पिछली सुनवाई में 30 सितम्बर को राज्य सूचना आयोग ने पशुपालन एवं डेयरी विभाग के सभी उपनिदेशकों को भी तलब कर चुका है। आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया कि पूरे हरियाणा में गाय, बैल, सांड, आदि आवारा पशुओं का आतंक है। रोजाना लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे, मर रहे हैं। किसानों की फसलें खराब हो रही हैं। जबकि सरकार ने प्रदेश को आवारा पशुओं से मुक्त करना था। इसी संदर्भ में उन्होंने पिछले वर्ष 1 अक्टूबर 2018 को हरियाणा गौ सेवा आयोग से 11 बिन्दुओं पर सूचना मांगी थी।
इस सूचना को तमाम जिलों के अतिरिक्त उपायुक्तों, शहरी स्थानीय निकाय, पुलिस मुख्यालय, पंचायती राज निदेशालय, गौ सेवा आयोग व पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने देना था। पशुपालन विभाग के इलावा किसी ने सूचना नहीं दी। कपूर ने बताया कि उनकी आरटीआई के जवाब में अभी तक प्राप्त सूचना से खुलासा हुआ है कि पिछले पांच वर्षों से हरियाणा में गौ सेवा आयोग का बजट 45 लाख से बढ़कर 30 करोड़ हुआ। फिर भी सरकार प्रदेश को आवार पशुओं के खतरे से मुक्त नहीं करा सकी। जबकि हरियाणा सरकार ने पहले गत वर्ष 15 अगस्त 2018 तक व फिर 1 जनवरी 2019 तक पूरे प्रदेश को आवारा पशुओं से मुक्त करने का लक्ष्य बनाया था। लेकिन ये अभियान दोनों बार विफल रहा। अकेले सिरसा की गौशालाओं में 10,722 गौवंश की मौत हो गई। लेकिन सरकार व गौसेवा आयोग सोए रहे।
स्ट्रे कैटल फ्री कमेटियां निष्क्रिय हुई:
हरियाणा गौ सेवा आयोग की 23 मई 2018 को सम्पन्न 13वीं मीटिंग में प्रदेश को आवारा पशु मुक्त कराने का फैसला हुआ था। इसी के अंतर्गत हरियाणा सरकार ने प्रत्येक जिले के एडीसी की चेयरमैनशिप में आवारा पशु मुक्त अभियान के लिए उच्च स्तरीय कमेटियां गठित की थी। इसमें प्रत्येक कमेटी में अतिरिक्त जिला उपायुक्त, एसडीएम, डीएसपी, नगर निगम/परिषद/नगरपालिका के उच्च अधिकारी, जिला राजस्व अधिकारी, उपनिदेशक पशुपालन विभाग व जिला प्रभारी गऊसेवा आयोग को शामिल किया गया था। लेकिन अधिकांश जिलों में ये कमेटियां निष्क्रिय रही। सरकार ने भी इनकी सुध नहीं ली।