नौकरियों में आर्थिक आरक्षण के मामले को HC ने किया बर्खास्त, अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी हरियाणा सरकार

Edited By Manisha rana, Updated: 01 Jun, 2024 11:09 AM

hc dismissed the case of economic reservation in jobs

नौकरियों में सामाजिक और आर्थिक आधार पर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने दिए जाने वाले आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। हरियाणा सरकार ने नौकरियों में सामाजिक और आर्थिक आधार पर पिछले आवेदकों को प्रावधान किया था।

हरियाणा डेस्क : नौकरियों में सामाजिक और आर्थिक आधार पर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने दिए जाने वाले आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। हरियाणा सरकार ने नौकरियों में सामाजिक और आर्थिक आधार पर पिछले आवेदकों को प्रावधान किया था।

बताया जा रहा है कि इसके तहत जिस परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी पर ना हो और परिवार की आमदनी कम हो, तो ऐसे परिवार से आने वाले आवेदक को सामाजिक और आर्थिक आधार पर 5 अतिरिक्त अंक का लाभ देने का प्रावधान किया गया था, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।

सीएम सैनी बोले- इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती

हाईकोर्ट के फैसले पर अब हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रतिक्रिया सामने आई है। सीएम नायब सैनी ने कहा है कि वो हाई कोर्ट को इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। वहीं हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल ने कहा कि अन्त्योदय के इस संकल्प को पूरा करने की यह लड़ाई जारी रहेगी।
 

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर कहा "समाज के गरीब, कमजोर और वंचित वर्ग को आगे लाने के लिए अतिरिक्त 5 नंबर देने की एक महत्वाकांक्षी योजना हरियाणा सरकार द्वारा बनाई गई थी। जिसके विरुद्ध हाई कोर्ट ने निर्णय दिया और इसे निरस्त कर दिया गया। हरियाणा सरकार के नाते हम संवैधानिक और कानूनी प्रक्रिया के तहत इस लड़ाई को जारी रखेंगे और माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। गरीबों, कमज़ोर और वंचितों को न्याय दिलाने की यह लड़ाई हरियाणा सरकार अंतिम विकल्प तक लड़ती रहेगी।"

 

 

वहीं पूर्व सीएम मनोहर लाल ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर लिखा "हम अंत्योदय के संकल्प को लेकर चले थे और इस संकल्प को पूरा करने के लिए ही समाज में आर्थिक रूप से पिछड़े और कमजोर वर्ग को अतिरिक्त 5 अंक दिए जाने की योजना बनाई गई थी जिसे हाई कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया है। कानून की अपनी प्रक्रिया और मर्यादाएं हैं। पर अन्त्योदय के इस संकल्प को पूरा करने की यह लड़ाई जारी रहेगी। मैं हरियाणा परिवार के अपने उन सभी गरीब, कमजोर और विधवा माताओं-बहनों को विश्वास दिलाता हूँ कि उन्हें इस योजना का लाभ मिला था उन्हें न्याय दिलाने के लिए हम हमेशा उनके साथ खड़े हैं और खड़े रहेंगे।"

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