छोरियों के जन्म पर फिर संकट! 8 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा हरियाणा में लिंगानुपात, ये जिला सबसे ज्यादा प्रभावित

Edited By Isha, Updated: 08 Nov, 2024 04:04 PM

haryanas ratio reached its lowest level in eight years

भ्रूण हत्या के लिए बदनाम हरियाणा का लिंगानुपात (एसआरबी यानी जन्म के समय लिंगानुपात) आठ साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। साल 2024 के 10 महीने में यानी अक्टूबर तक का लिंगानुपात 905 दर्ज किया गया है जो पिछले साल के मुकाबले

हरियाणा डेस्कः भ्रूण हत्या के लिए बदनाम हरियाणा का लिंगानुपात (एसआरबी यानी जन्म के समय लिंगानुपात) आठ साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। साल 2024 के 10 महीने में यानी अक्टूबर तक का लिंगानुपात 905 दर्ज किया गया है जो पिछले साल के मुकाबले 11 अंक कम है। इससे कम लिंगानुपात 2016 में दर्ज किया गया था।

गुरुग्राम (859), रेवाड़ी (868), चरखी दादरी (873), रोहतक (880), पानीपत (890) और महेंद्रगढ़ (896) का लिंगानुपात 900 से नीचे पहुंच गया है और ये जिले सबसे खराब स्थिति में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, आदर्श लिंगानुपात की स्थिति 950 है, जिससे हरियाणा बहुत दूर है और आज तक इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाया है।  

 

गुरुग्राम का सबसे खराब प्रदर्शन
गुरुग्राम के सबसे खराब प्रदर्शन पर जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी वीरेंद्र यादव ने डाउन टू अर्थ को बताया कि पोर्टल में इस साल बहुत सारी समस्याएं थीं। जून, जुलाई और अगस्त में पोर्टल में दिक्कतों की वजह से इस साल बहुत कम पंजीकरण हुए हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल सात से आठ हजार जन्म का अंतर आ रहा है। उनका कहना है कि हम इसे चेक करा रहे हैं। सभी एंट्री पूरी होने के बाद स्थिति थोड़ी बेहतर हो सकती है।


राज्य में कोख में मारी जा रही लड़कियों 
हरियाणा में गिरते लिंगानुपात को देखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान शुरू किया था। अभियान के बाद राज्य के लिंगानुपात में सुधार हुआ और यह 2019 में 923 तक पहुंच गया। लेकिन 2020 में इसमें गिरावट आने लगी जो अब तक जारी है।    लिंगानुपात में गिरावट का अर्थ यह है कि राज्य में लड़कियों को कोख में मारा जा रहा है।

कैथल जिले पीएनडीटी इंचार्ज गौरव पुनिया डाउन टू अर्थ को बताते हैं कि उनके जिले में लिंगानुपात बेहतर है लेकिन राज्य में गिरावट चिंताजनक है। उनका कहना है कि हरियाणा में सख्ती के कारण शायद ही कहीं लिंग जांच और भ्रूण हत्या हो रही है। यह काम हरियाणा से सटे चार राज्यों- दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में किया जा रहा है। वह यह भी बताते हैं कि हरियाणा की आर्थिक तरक्की के बावजूद यहां की बड़ी आबादी की मानसिकता अब भी नहीं बदली है। जब तक लड़कों और लड़कियों में भेदभाव की यह मानसिकता नहीं बदलेगी, हालात बेहतर नहीं होंगे।


पड़ोसी राज्य मुख्य कारण 
हरियाणा में लोगों की लड़कों की चाहत के कारण ही पड़ोसी राज्यों में अल्ट्रासाउंड संचालकों और गर्भपात केंद्रों का धंधा फल फूल पर चल रहा है। इन राज्यों में भ्रूण जांच को लेकर अधिक सख्ती नहीं है। हरियाणा के लोग दलालों में माध्यम से यहां पहुंचकर जांच और गर्भपात करा लेते हैं। गौरव पूनिया ने बताया कि कई बार अल्ट्रा साउंड करने वाले पैसों के लिए गर्भ में पल रहे भ्रूण की गलत जानकारी तक दे देते हैं।

ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब लड़की बताकर, लड़कों का गर्भपात करा दिया गया। उनका कहना है कि अल्ट्रा साउंड करने वाले और गर्भपात कराने वालों के तार आपस में जुड़े रहते हैं। ये सेंटर बहुत कम समय में बहुत ज्यादा पैसा कमा लेते हैं।पुनिया आगे बताते हैं कि हरियाणा में 2005 के बाद से लिंग जांच के खिलाफ अब तक करीब 1,200 सफल रेड हो रही चुकी हैं। लेकिन अब सफलता की दर कम हो रही है क्योंकि इस काम में लिप्त लोग बेहद सतर्क हो गए हैं।



परिवार की बदनामी की वजह नहीं रख रहे लड़कियां
हरियाणा सूचना अधिकार मंच के राज्य संयोजक सुभाष चंदर डाउन टू अर्थ को बताते हैं कि राज्य में लड़कियों की चाहत इसलिए भी कम है क्योंकि उनके परिजनों को डर रहता है कि वह आगे चलकर कहीं परिवार की बदनामी की वजह न जाएं। लोगों की एक सोच यह भी है कि लड़कियां वंश और पैसा कमाकर घर नहीं चला सकतीं, उल्टा उनकी शादी पर दहेज देना पड़ेगा।

सुभाष चंदर आगे कहते हैं कि ऐसी ही सोच के कारण हरियाणा के लड़कों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं। उनका कहना है कि अधिकांश गांवों में 300-400 लड़के ऐसे हैं जिनकी शादी नहीं हो रही है। वह यहां तक कहते हैं कि बहुत से परिवारों में लड़कियां होने पर उनकी परवरिश ठीक से न होने पर वह कुपोषण का शिकार हो जाती हैं और कुछ समय बाद उनकी मृत्यु तक हो जाती है।

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