Edited By Isha, Updated: 16 Feb, 2025 10:43 AM
![haryana lags behind neighbouring states in education](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_1image_17_35_553174927hooda-ll.jpg)
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि उच्च शिक्षा के मामले में हरियाणा काफी पिछड़ गया है। उन्होंने यहां जारी बयान में नीति आयोग की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि उच्च शिक्षा के मामले में
चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि उच्च शिक्षा के मामले में हरियाणा काफी पिछड़ गया है। उन्होंने यहां जारी बयान में नीति आयोग की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि उच्च शिक्षा के मामले में हरियाणा अन्य राज्यों से कहीं ज्यादा पीछे है, यहां तक कि अपने निकटतम पड़ोसी राज्यों से भी पिछड़ गया है।
हुड्डा ने कहा कि रिपोर्ट के लिए शिक्षा के लिए वित्त पोषण, रैंकिंग और गुणवत्ता को आधार बनाया गया है। नीति आयोग की रिपोर्ट में पता चलता है कि विश्वविद्यालय रैंङ्क्षकग के मामले में भी हरियाणा के अन्य राज्यों की तुलना में खराब प्रदर्शन कर रहा है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सरकार पड़ोसी राज्यों की तुलना में शिक्षा क्षेत्र के लिए कम बजटीय आवंटन कर रही है। यहां तक कि दो साल पहले हरियाणा सरकार ने राज्य के सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को अनुदान सहायता के स्थान पर ऋण देने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के शिक्षा के प्रति उदासीन रवैये के कारण उच्च शिक्षा में ड्रॉपआउट रेट लगातार बढ़ रहा है और कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के कोर्स में बड़ी संख्या में सीटें खाली रह रही हैं।
हुड्डा ने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में पड़ोसी राज्यों की तुलना में उच्च शिक्षा का घनत्व भी कम है, लेकिन उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बड़ी संख्या में नियमित शिक्षकों की कमी भी ङ्क्षचता का विषय बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों ही खबर आई थी कि सिरसा के कालांवली के स्कूल में 96 छात्राओं के लिये सिर्फ एक गेस्ट टीचर की नियुक्ति की गई है। उसी टीचर पर सभी क्लास की छात्राओं को पढ़ाने, स्कूल का रिकॉर्ड मेंटेन करने, बैठक में जाने और मिड डे मील तक की जिम्मेदारी है। यह खबर बताती है कि भाजपा सरकार ने प्रदेश के शिक्षा तंत्र की क्या हालत बना दी है, क्योंकि सिर्फ कालांवली में ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के सरकारी स्कूलों का यही हाल है।
हुड्डा ने कहा कि प्रदेश के 28 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी विद्यार्थी नहीं है। 262 ऐसे स्कूल हैं, जहां सिर्फ एक से लेकर 10 तक ही विद्यार्थी हैं। 520 ऐसे स्कूल हैं, जहां 11 से लेकर 20 तक ही विद्यार्थी हैं। आठ मिडिल स्कूल ऐसे हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या शून्य है। बारह स्कूल ऐसे हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या एक से 10 है और 73 ऐसे हैं, जहां संख्या मात्र 11 से 20 है। एक हाईस्कूल भी ऐसा है, जहां एक भी विद्यार्थी नहीं है।