Edited By Isha, Updated: 14 Feb, 2025 11:39 AM
![a total of 7200 cases are pending in the state information commission](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_10_45_040723324highcourt-ll.jpg)
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने राज्य सूचना आयोग से आरटीआई में मिली जानकारी से खुलासा किया कि सूचना आयोग में आरटीआई के अंतर्गत विभिन्न अपीलों व शिकायतों के कुल 7216 केस लंबित है
चंडीगढ़( चन्द्र शेखर धरणी ): आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने राज्य सूचना आयोग से आरटीआई में मिली जानकारी से खुलासा किया कि सूचना आयोग में आरटीआई के अंतर्गत विभिन्न अपीलों व शिकायतों के कुल 7216 केस लंबित है । आयोग में सूचना आयुक्तों व स्टाफ के वेतन पर पिछले बीस वर्षो में 92 करोड़ रुपये व कैपिटल हेड पर 36.39 करोड़ सहित कुल 128.39 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं । जबकि पिछले बीस वर्षो में आरटीआई एक्ट बारे जनता को जागरूक करने पर मात्र 2.50 लाख रुपये खर्च किये गये और पिछले 14 वर्षो में तो इस कार्य पर फूटी कौड़ी भी खर्च नहीं की गई ।
समय से सूचना न देने के डिफाल्टर सूचना अधिकारियों पर आयोग ने कुल 5.86 करोड़ का जुर्माना ठोका । लेकिन इन सूचना अधिकारियों ने सिर्फ 2.84 करोड़ रुपये जुर्माना जमा कराया, जबकि 3.02 करोड़ की जुर्माना राशि इनसे वसूल करनी बाकी है । आयोग ने पिछले बीस वर्षो में कुल 92.22 लाख रुपए की क्षति पूर्ति मुआवज़ा राशि भी आवेदकों को दोषी सूचना अधिकारियों से दिलवाई । इसी दौरान आयोग ने आरटीआई एक्ट की उल्लंघना व समय से सूचना न देने के कुल 1974 सूचना अधिकारियों के खिलाफ़ विभागीय कारवाई करने के लिये सरकार को अनुशंसा भी की ।
आयोग की भारी विफलता का नमूना:-
सूचना आयोग के पास प्रदेश के जन सूचना अधिकारियों व प्रथम अपीलीय अधिकरियों की सूची तक नहीं है । ऐसे में सूचना लेने के लिये आम जनता की हालत क्या होगी, आवेदक किसको आरटीआई लगाएं,किसे प्रथम अपील करें ?आयोग के पास इतनी भी सूचना नहीं है कि प्र्देश भर में नियुक्त सभी राज्य जन सूचना अधिकारियों व प्रथम अपीलीय अधिकारियों को आरटीआई एक्ट -2005 की कोई ट्रेनिंग मिली है या नहीं ।
लंबित केस निबटाने में आठ वर्ष लग सकते हैं: - गत 1 जनवरी 2024 मे आयोग में लंबित विभिन्न केसों की कुल संख्या 8340 थी जो 31 दिसंबर 2024 मे घट कर 7216 रह गई । यानि पूरे वर्ष में सिर्फ 1124 पेंडिंग केसों का निबटान किया गया । यही गति रही तो लंबित केसों का निबटान होने में करीब आठ वर्ष लग सकते हैं ।
पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार आरटीआई एक्ट को पिछले दरवाज़े से खत्म कर रही है । सूचना अधिकारी समय से सूचना नहीं देते और फिर सूचना आयोग में अपील करने पर कोर्ट से भी लम्बी तारीखें लग कर अपील कर्ताओं को धक्के कटाए जा रहे हैं ।इसी कारण प्रदेश में आरटीआई एक्ट मज़ाक़ बन कर रह गया है ।
सरकार से मांग:-कपूर ने आयोग में लंबित सभी केसों को युद्ध स्तर पर समय बद्ध सीमा में निबटाने, आरटीआई एक्ट को प्रभावी ढंग से लागू करने, डिफाल्टर सूचना अधिकारियों से
बकाया 3.02 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि वसूल करने व नियुक्त सभी जन सूचना अधिकारियों व प्रथम अपीलीय अधिकारियों को आरटीआई एक्ट -2005 की ट्रेनिंग दिलवाने की मांग की है ।