Edited By Isha, Updated: 14 Feb, 2025 11:38 AM
![dream of cheap housing of 1 lakh 80 thousand families in haryana was shattered](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_1image_18_10_105344752home-ll.jpg)
हरियाणा सरकार ने प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंतर्गत चलाई गई अफॉर्डेबल हाउसिंग पार्टनरशिप (एएचपी) योजना को रद्द कर दिया है।प्रदेश में जमीन महंगी होने और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग अधिकांश
चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंतर्गत चलाई गई अफॉर्डेबल हाउसिंग पार्टनरशिप (एएचपी) योजना को रद्द कर दिया है।प्रदेश में जमीन महंगी होने और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग अधिकांश शहरों में फिजिबल न होने के चलते सरकार के उसिंग फॉर ऑल विभाग ने इस योजना को रद्द कर दिया। विभाग ने इसकी सूचना सभी शहरों में योजना का संचालन करने वाले जिला नगर आयुक्तों और नगर निगम आयुक्त को पत्र क्रमांक एचएफए/ पीएमएवाई-यू/एचएपी/2024-25/1845-1846 दिनांक 15-1-2025 भेजकर दे दी है।
इसके अलावा विभाग ने केंद्र सरकार की ओर से इस योजना के तहत मिले लक्ष्य को भी वापस कर दिया है। दरअसल, हाउसिंग फॉर ऑल के तहत प्रदेश सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अंतर्गत अफॉर्डेबल हाउसिंग पार्टनरशिप योजना के तहत सस्ते दरों पर फ्लैट मुहैया कराने का निर्णय लिया था।
इस योजना में पात्र लोगों की पहचान करने के लिए वर्ष 2017 में सभी शहरों में घर-घर जाकर सर्वे भी कराया गया था। ऐसे में पूरे प्रदेश में एक लाख 80 हजार 879 लोग इस योजना के तहत पात्र पाए गए थे, जिन्हें सरकार की योजना अनुसार प्राइवेट बिल्डरों से मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनवाकर शहर अनुसार पांच से सात लाख रुपये में फ्लैट मुहैया कराने थे।
इस योजना के तहत प्राइवेट बिल्डर को इडब्ल्यूएस लोगों को सस्ते दरों पर फ्लैट देने की एवज में केंद्र सरकार की ओर से 1.5 लाख और सरकार की ओर से एक लाख रुपये देने का प्रविधान किया गया था। मगर आठ साल बाद अचानक हाउसिंग फॉर ऑल विभाग हरियाणा ने यह कहकर योजना को बंद कर दिया कि प्रदेश के सभी शहरों में जमीन महंगी है।
अफॉर्डेबल हाउसिंग पार्टनरशिप योजना केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) है। इस योजना के तहत एक लाख रुपये सहायता राशि दी जानी थी। एएचपी के तहत परियोजनाओं में कम से कम 250 फ्लैट होने चाहिए, जिनमें कम से कम 35 प्रतिशत फ्लैट इडब्ल्यूएस श्रेणी के होने चाहिए। शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों, एससी/ एसटी/ ओबीसी, अल्पसंख्यकों, एकल महिलाओं, ट्रांसजेंडर और समाज के अन्य कमजोर और असुरक्षित वर्गों को प्राथमिकता दी जानी थी।