Edited By Manisha rana, Updated: 17 Feb, 2025 02:08 PM
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समाज के कल्याण के लिए बना विभाग इन दिनों लोगों के साथ भद्दा मजाक कर रहा है। ऐसा ही कुछ मामला फूलकां गांव में सामने आया है, जहां एक पीड़ित व्यक्ति को समाज कल्याण विभाग ने पिछले 5 साल से रिकार्ड में मृत दिखा दिया, जबकि वह खुद के जिंदा होने का सबूत कई...
सिरसा : समाज के कल्याण के लिए बना विभाग इन दिनों लोगों के साथ भद्दा मजाक कर रहा है। ऐसा ही कुछ मामला फूलकां गांव में सामने आया है, जहां एक पीड़ित व्यक्ति को समाज कल्याण विभाग ने पिछले 5 साल से रिकार्ड में मृत दिखा दिया, जबकि वह खुद के जिंदा होने का सबूत कई बार दे चुका है, किंतु विभागीय अधिकारियों को शायद अभी उसके जिंदा होने पर संदेह है। हालांकि यह बात अलग है कि विभाग ने रिकार्ड में मृत दिखाए उक्त व्यक्ति को जुलाई 2024 में विधुर पैंशन भी जारी कर दी गई थी, लेकिन उसके बाद फिर पैंशन रोक दी। पीड़ित ने जिला उपायुक्त से इस मामले में लापरवाह अधिकारियों पर तुरंत कार्रवाई करने की मांग करते हुए पैंशन दोबारा शुरु करवाने की गुहार लगाई है।
जानकारी अनुसार फूलकां निवासी 54 वर्षीय लाल चंद ने बताया कि करीब 4 साल पहले जब वह बैंक में गया तो अधिकारी ने उसे अपना आधार अपडेट करवाने की बात कही। बाद में मैंने आधार अपडेट करवाया तो पता चला कि मुझे तो 18 नवंबर 2019 को ही मृत दिखा दिया था। वर्ष 2022 में मैंने फैमिली आई.डी. विभाग में एफिडेविट देकर खुद के जिंदा होने का प्रमाण दिया। जिसके बाद फैमिली आई.डी. में त्रुटि सही हो गई। वर्ष-2024 में प्रदेश सरकार द्वारा विधुर पैंशन शुरू की गई तो लालचंद की भी पैंशन लागू हो गई, क्योंकि उसकी पत्नी सावित्री देवी की नवंबर 1996 में मृत्यु हो चुकी थी। लाल चंद को जून 2024 की प्रथम पैंशन की राशि 3 जुलाई को उसके बैंक खाते में जमा हो गई। लेकिन बाद में पैंशन फिर बंद हो गई। जब उसने इसको लेकर समाज कल्याण विभाग में पता किया तो मालूम हुआ कि उसे 18 नवंबर 2019 से अभी तक मृत ही दिखाया जा रहा है। उसने पैंशन दोबारा शुरू करवाने के लिए विभाग से गुहार लगाई, लेकिन उसके हिस्से सिर्फ दफ्तरों के चक्कर ही नसीब हो रहे हैं। उसका कहना है कि जिस भी अधिकारी के पास वह जाता है तो वे अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और दूसरे अधिकारी के पास भेज देते हैं।
रिकार्ड में मृत, किंतु विभाग ने दे दी पैंशन
समाज कल्याण विभाग खुद के रिकार्ड से किस कदर खिलवाड़ करता है इसकी बानगी भी इस मामले में जाहिर हो रही है। दरअसल पीड़ित लाल चंद ने जब जून 2024 में विधुर पैंशन के लिए अप्लाई किया तो विभाग ने दरियादिली दिखाते हुए जुलाई महीने में पैंशन राशि उसके खाते में डाल दी। किंतु उसके बाद विभाग ने फिर पैंशन बंद कर दी। हालांकि विभाग के रिकार्ड के अनुसार लाल चंद को वर्ष-2019 से मृतक दिखाया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि विभाग खुद के रिकार्ड को भी दरकिनार कर देता है या फिर डिजिटल सिस्टम में होती ऐसी त्रुटि को सुधारने में वर्षों तक पीड़ितों को दर-दर भटकने के लिए मजबूर कर दिया जाता है।
हंसी का पात्र बना पीड़ित
पीड़ित लालचंद ने जब पैंशन विभाग की अधिकारिक वैबसाइट पर खुद का स्टेटस चैक करवाया तो उसमें उसे आज भी मृतक दिखाया जा रहा है, जबकि वह कई बार विभाग को खुद के जिंदा होने का सबूत दे चुका है। उसने बताया कि विभागीय लापरवाही के चलते उसे लोगों की हंसी का पात्र बनना पड़ रहा है, जबकि पैंशन न मिलने के चलते आर्थिक नुक्सान अलग से उठाना पड़ रहा है। पीड़ित ने जिला उपायुक्त से गुहार लगाई है कि उसे जल्द न्याय दिलवाया जाए। वहीं इस विषय में सिरसा ब्लॉक केे क्रीड अधिकारी रविंद्र कुमार से कई बार बात करने का प्रयास किया, किंतु उनका मोबाइल नंबर व्यस्त रहने के चलते बात नहीं हो पाई।
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