हरियाणा विधानसभा चुनाव: गुर्जर राजनीति का केंद्र समालखा

Edited By Shivam, Updated: 09 Sep, 2019 01:00 PM

haryana assembly election center of gurjar politics samalkha

हरियाणा के अंदर भाजपा की राजनीति में इस वक्त 2 प्रमुख गुर्जर नेता हैं। केंद्रीय राजनीति में फरीदाबाद से सांसद कृष्ण पाल गुर्जर केंद्र में मंत्री हैं। हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष कंवर पाल...

हरियाणा के अंदर भाजपा की राजनीति में इस वक्त 2 प्रमुख गुर्जर नेता हैं। केंद्रीय राजनीति में फरीदाबाद से सांसद कृष्ण पाल गुर्जर केंद्र में मंत्री हैं। हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष कंवर पाल गुर्जर जगाधरी से विधायक हैं। हरियाणा की अंदर गुर्जर राजनीति में विशेष पकड़ रखने वाले पूर्व मंत्री बच्चन सिंह आर्य को भाजपा आने वाले चुनावों में समालखा या अन्य किसी गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र में उतार सकती है। आर्य हरियाणा के अंदर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में लोकसभा चुनावों से पहले शामिल हुए थे।

आर्य 1991 से 1996 में भजनलाल सरकार में राज्य मंत्री के पद पर रहे हैं। तब वह सफीदों विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे। गुर्जर राजनीति के पर्यायवाची बन चुके समालखा विधानसभा क्षेत्र से कई बार करतार सिंह भड़ाना भी विधायक व मंत्री बने। अगुर्जर राजनीति का केंद्र समालखातीत में समालखा गुर्जर राजनीति का सबसे बड़े केंद्र के रूप में रहा है। देवीलाल की रणनीति को देखकर ही तब अवतार सिंह भड़ाना ने समालखा में विशाल गुर्जर सम्मेलन बुलाया। उन्ही दिनों समालखा के गुर्जर नेता व कांग्रेस के दिग्गज नेता कतार सिंह छौक्कर ने भी जवाबी एक गुर्जर सम्मेलन करवाया जिसमें कांग्रेस के तब के राष्ट्रीय नेता राजेश पायलेट व उनकी पत्नी रमा पायलेट आए थे। 

महिला कांग्रेस भी बिना सेनापति के
हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्षा शैलजा की ताजपोशी से कुछ घंटे पहले महिला कांग्रेस की अध्यक्षा सुमित्रा चौहान ने जबरदस्त झटका पूरी कांग्रेस को दिया। भाजपा में सुमित्रा के शामिल होने की खबर ने सबको सन्न कर दिया। अभी तक जो क्रम इनैलो से भाजपा के अंदर जाने का चल रहा था, वह अब कांग्रेस में भी शुरू हो चुका है,वह भी शीर्ष स्तर पर। अब महिला कांग्रेस भी बिना सेनापति के ही होगी। जब तक नई नियुक्ति नहीं होती। महिला कांग्रेस में अब नई नियुक्ति कब तक होगी,यह भी देखने वाली बात रहेगी,क्योंकि चुनाव सिर पर हैं।

पन्ना प्रमुखों की चर्चा 
हरियाणा की राजनीति में आजकल पन्ना प्रमुखों की चर्चा सर्वत्र है। भाजपा द्वारा 2 लाख पन्ना प्रमुखों का कार्यक्रम जहां रोहतक में रखा गया, वहीं शैलजा की ताजपोशी पर चंडीगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी कहा कि इन पन्नों को फाड़कर रख दें। भाजपा की राजनीतिक नीतियों की चर्चा तो कांग्रेस के कार्यक्रमों में अक्सर रहती है,अब पन्ना प्रमुखों की भी चर्चा विरोधी राजनीतिक दलों में देखी जा सकती है। भाजपा भी अपने पन्ना प्रमुखों को लेकर पूर्णतया सजग है व प्रोत्साहन देती रहती है। भाजपा संगठन के अंदर पन्ना प्रमुखों का बढ़ता रुतबा कई राजनीतिक दलों के लिए परेशानी का कारण है।  

 प्रस्तुति -धरणी ।

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