लॉकडाउन के दौरान स्कूलों को हुए नुकसान के लिए मूल्यांकन कमेटी बनाए सरकार: कुलभूषण शर्मा

Edited By Shivam, Updated: 13 Oct, 2020 11:36 PM

government form assessment committee for damage to schools during lockdown

प्राईवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि कोरोना काल के दौरान निजी स्कूलों को हुए नुकसान का आंकलन करने के लिए प्रदेश स्तर पर एक मूल्यांकन कमेटी का गठन किया जाए। यह कमेटी मूल्यांकन करे कि निजी...

भिवानी (अशोक): प्राईवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि कोरोना काल के दौरान निजी स्कूलों को हुए नुकसान का आंकलन करने के लिए प्रदेश स्तर पर एक मूल्यांकन कमेटी का गठन किया जाए। यह कमेटी मूल्यांकन करे कि निजी स्कूलों को इस अवधि के दौरान नुकसान हुआ है या लाभ। कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही सरकार निजी स्कूलों के साथ व्यवहार करे। इसके साथ ही सरकार श्वेत पत्र जारी करे। ताकि सच्चाई जनता के सामने आ सके। 

कुलभूषण शर्मा मंगलवार को यहां हांसी रोड स्थित एक स्कूल में पत्रकारों के साथ बातचीत कर रहे थे। इस अवसर पर एसोसिएशन के महासचिव अमित डागर, मीडिया प्रभारी आकाश रहेजा, अजय गुप्ता, प्रवीन सोनी भी मौजूद थे। शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार निजी स्कूलों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। कोरोना काल के दौरान स्कूलों की आर्थिक हालत खस्ता हो चुकी है। सरकार व माननीय हाईकोर्ट ने भी आदेश दिए हैं कि स्कूल छात्रों से फीस न वसूले। लेकिन सरकार तो स्कूलों से हर चार्ज की वसूली कर रही है।  सम्बद्धता व परीक्षा के नाम पर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड स्कूलों से फीस ले चुका है। इसके अलावा स्कूल बसों का चार माह का पैसेंजर टैक्स माफ किया गया है जबकि 23 मार्च से स्कूल बंद हैं। स्कूल बसों का इंश्योरेस, पासिंग अवधि में भी छूट दी जाए।  उन्होंने कहा कि सरकार स्कूल में आने वाले बच्चों से यात्री कर वसूल रही है।जबकि छात्र स्कूल में यात्रा करने नहीं बल्कि शिक्षा ग्रहण करने आता है। पूर्व की हुड्डा सरकार में यह यात्री कर माफ था। उन्होंने सरकार से तुरंत यात्रा कर खत्म करने की मांग की। 

शर्मा ने कहा कि नियम 134ए का निजी स्कूलों का 500 करोड़ के लगभग रुपया राज्य सरकार की तरफ बकाया है। दो माह पूर्व निजी स्कूलों की शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक हुई थी, जिसमें एक सप्ताह के अन्दर-अन्दर उक्त राशि जारी करने का आश्वासन दिया गया था लेकिन आज तक एक भी पैसा उनके खाते में नहीं आया है। उन्होंने कहा कि सरकार निजी स्कूलों को तो फीस व एक्सट्रा चार्ज के रूप में एक भी पैसा नहीं लेने दे रही जबकि अपना एक भी पैसा छात्र व स्कूलों का माफ नहीं किया जा रहा। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह नियम 134ए की राशि तुरंत जारी करे। इसके अलावा शिक्षा बोर्ड स्कूलों का सम्बंद्धता स्कूल व बोर्ड परीक्षा की फीस तुरंत प्रभाव से माफ करे। ताकि कोरोना काल में अभिभावकों व स्कूल संचालकों को राहत मिल सके। 

उन्होंने कहा कि पिछले साल की 25 से 40 फीसदी फीस निजी स्कूलों की अभिभावकों की तरफ बकाया है। वह राशि भी दिलवाने के आदेश जारी किए जाएं। उन्होंने कहा कि 15 अक्तूबर से निजी स्कूलों को कक्षा 9 से 12वीं तक के लिए खोला जा रहा है। ऐसे में वे सरकार से मांग करते हैं कि जिस प्रकार सरकारी स्कूलों के साथ शिक्षा विभाग व सरकार द्वारा व्यवहार किया जा रहा है। वैसे ही निजी स्कूलों के साथ भी सरकार समान व्यवहार करे। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों का शिक्षक जो 60 हजार रुपये तनख्वाह लेता है, उसका कोरोना टैस्ट नि:शुल्क है लेकिन निजी स्कूलों के शिक्षक से 1600 रुपये की वसूली की जा रही है। यह भेदभाव क्यों बरता जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल कहते हैं कि सरकारी कालेजों में पढऩे वाली छात्राओं को नि:शुल्क बस सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। ऐसे में निजी कालेजों में पढऩे वाली छात्राएं क्या हरियाणा की रहने वाली नहीं हैं और मुख्यमंत्री की बेटी नहीं हैं? ऐसे में उनके साथ भेदभाव क्यों। 

शर्मा ने कहा कि 236 सरकारी स्कूलों को सीबीएसई के साथ जोड़ा गया है और आगामी समय में 1 हजार स्कूल जोडऩे की योजना है। ऐसे में वे मांग करते हैं कि जो सरकारी स्कूल हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के साथ सम्बद्ध रहेंगे, उन स्कूलों के छात्रों के साथ भेदभाव क्यों? क्या मुख्यमंत्री को अपने शिक्षा विभाग पर भरोसा नहीं है। उन्होंने मांग की कि सभी स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड से जोड़कर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को बंद किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया तो वे बरौदा उपचुनाव में सरकार का विरोध करने से पीछे नहीं हटेंगे। 

राहत नहीं अपना हक मांग रहे हैं निजी स्कूल संचालक
शर्मा ने कहा कि निजी स्कूलों को सरकार से राहत की कोई अपेक्षा नहीं हैं। निजी स्कूल संचालक अपना हक मांग रहे हैं। सरकार को तुरंत नियम 134ए के तहत 500 करोड़ों की राशि जारी करनी चाहिए जोकि पिछले तीन-चार साल से बकाया है। इसके अलावा स्क्ूलों को प्लेज मनी निकालने की स्वीकृति देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूल बंद हैं इसके बावजूद भी स्कूलों को एवरेज के आधार पर बिजली बिल, पानी बिल व स्कूल बसों का पैसेंजर टैक्स भेजा गया है। वे सरकार से मांग करते हैं कि जितनी बिजली खर्च हुई है, उसके आधार पर ही बिजली बिल भेजे जाएंगे। पैसेंजर टैक्स पूरा खत्म किया जाए।
भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रामअवतार शर्मा ने कहा कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने तीन साल पहले आठवीं कक्षा के बोर्ड के नाम पर निजी स्कूलों से शुल्क वसूल कर लिया। जोकि करोड़ों में है। वे शिक्षा बोर्ड से मांग करते हैं कि वह शुल्क तुरंत निजी स्कूलों को वापिस दिया जाए।

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